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कोरोना महामारी के बीच राजस्थान में मिले ब्लैक फंगस के 700 मामले

जयपुर। राजस्थान में कोरोना महामारी (Corona epidemic in Rajasthan) के बीच ब्लैक फंगस (Black fungus) के बढ़ते मामलों ने गहलोत सरकार को चिंता में डाल दिया है। प्रदेश के जयपुर, अजमेर, जोधपुर, कोटा, उदयपुर समेत कई अन्य जिलों में इस बीमारी के करीब 700 मामले हैं। अकेले जयपुर के एसएमएस हॉस्पिटल (SMS Hospital) में 100 से अधिक मरीज भर्ती हैं। अस्पताल में 33 बेड का वार्ड फुल होने के बाद अब अलग से नया वार्ड बनाया गया है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Chief Minister Ashok Gehlot) ने एक दिन पहले इसे राजस्थान की हेल्थ इंश्योरेंस चिरंजीवी योजना में शामिल किया था। इसके बाद सरकार ने ब्लैक फंगस को महामारी घोषित किया है। अब तक सरकार की ओर से अधिकृत आंकड़े के अनुसार प्रदेश में ऐसे 100 ही मामले रिपोर्ट हैं।

राजस्थान में ब्लैक फंगस अबतक नोटिफाइड डिजीज घोषित नहीं थी, इसलिए सरकार के पास इसके अधिकृत आंकड़े नहीं हैं। विभिन्न स्त्रोतों से प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रदेश में अब तक 700 से अधिक लोग ब्लैक फंगस का शिकार हो चुके हैं। जयपुर में ही करीब 148 लोग इससे संक्रमित हो चुके हैं। जोधपुर में 100 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं। 30 केस बीकानेर के और बाकी अजमेर, कोटा और उदयपुर समेत अन्य जिलों के हैं। स्थिति बिगड़ती देख सरकार ने बुधवार को ब्लैक फंगस को भी महामारी घोषित कर दिया है। अब सरकार को ब्लैक फंगस के हर मामले, मौतों और दवा का हिसाब रखना होगा। यहां कोरोना से ठीक हुए लोगों में यह बीमारी तेजी से फैल रही है। इससे अब तक राज्य में दो लोगों की मौत हो चुकी है। प्रदेश में जयपुर, जोधपुर के अलावा सीकर, पाली, बाड़मेर, बीकानेर, कोटा और अन्य जिलों में भी यह बीमारी तेजी से फैल रही है। ब्लैक फंगस को महामारी घोषित करने के पीछे सरकारी तर्क यह है कि इस फैसले के बाद अब इस बीमारी की प्रभावी तरीके से मॉनिटरिंग हो सकेगी, साथ ही इलाज को लेकर भी गंभीरता बरती जा सकेगी।



जयपुर में म्यूकर माइकोसिस यूनिट के कन्वीनर और ईएनटी विभाग के प्रोफेसर डॉ. मोहनीश ग्रोवर कहते हैं कि ब्लैक फंगस शरीर में तेजी से फैलता है। पहले से डायबिटिज के शिकार कोरोना संक्रमित इसके शिकार बनते हैं। ये शरीर की दूसरी बीमारियों से लडऩे की क्षमता को कम करता है। ईएनटी सर्जन डॉ. सतीश जैन के मुताबिक ब्लैक फंगस का सर्वाधिक खतरा डायबिटिज के रोगियों को है। स्टेरॉयड की ओवरडोज के कारण डायबिटिक कोरोना संक्रमित जल्द इसकी चपेट में आ जाते हैं। चिकित्सकों के मुताबिक पूरे राज्य में अब तक सात सौ अधिक मरीज इसकी चपेट में आ चुके हैं। इनमें से सवा चार सौ से अधिक मरीजों का हिस्सा सर्जरी के दौरान काटकर हटाना पड़ा है। इस बीमारी में मृत्यु दर 30 से 40 प्रतिशत है।

राजस्थान में इतनी चिंता इसलिए
इस फंगस व इन्फेक्शन को रोकने के लिए एकमात्र इंजेक्शन लाइपोसोमल एम्फोटेरिसिन-बी आता है, जिसकी उपलब्धता बाजार में नहीं के बराबर है। पीडित मरीजों के परिजन इंजेक्शन के लिए इधर से उधर भटकने को मजबूर है। इसे देखते हुए सरकार ने इस इंजेक्शन की मांग केन्द्र सरकार से की है। इसके अलावा इस इंजेक्शन की खरीद के लिए सरकार ने 2500 वायल (शीशी) खरीदने के सीरम कंपनी को ऑर्डर भी दिया है। कोरोना की दूसरी लहर में ब्लैक फंगस का पहला केस जोधपुर-बीकानेर क्षेत्र में सामने आया था।

क्या है ब्लैक फंगस
कोरोना पीडितों में संक्रमण के प्रभाव को कम करने के लिए स्टेरॉयड दिया जाता है। इससे मरीज की इम्युनिटी कम हो जाती है। जिससे मरीज में ब्लड शुगर का लेवल अचानक बढ़ने लग जाता है। इसका साइड इफेक्ट म्यूकोर माइकोसिस के रूप में झेलना पड़ रहा है। प्रारम्भिक तौर पर इस बीमारी में नाक खुश्क होती है। नाक की परत अंदर से सूखने लगती है व सुन्न हो जाती है। चेहरे व तलवे की त्वचा सुन्न हो जाती है। चेहरे पर सूजन आती है। दांत ढीले पड़ते हैं। इस बीमारी में आंख की नसों के पास फंगस जमा हो जाता है, जो सेंट्रल रेटाइनल आर्टरी का ब्लड फ्लो बंद कर देता है। इससे अधिकांश मरीजों में आंखों की रोशनी हमेशा के लिए चली जाती है। इसके अलावा कई मरीजों में फंगस नीचे की ओर फैलता है तो जबड़े को खराब कर देता है।

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