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पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई कल तक के लिए टाल दी


इस्लामाबाद । पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट (Pakistan Supreme Court) ने मंगलवार को सुनवाई (Hearing) कल तक के लिए (Till Tomorrow) टाल दी (Adjourns) और प्रधानमंत्री इमरान खान (PM Imran Khan) के खिलाफ दायर अविश्वास प्रस्ताव पर (On No-Confidence Motion) नेशनल असेंबली (National Assembly) की कार्यवाही (Proceedings) का रिकॉर्ड मांगा (Seeks Record) ।


डॉन न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, शीर्ष अदालत ने रविवार को हुए अविश्वास प्रस्ताव पर नेशनल असेंबली के उपाध्यक्ष कासिम खान सूरी के फैसले की वैधता पर अपनी सुनवाई फिर से शुरू करते हुए निर्देश जारी किए।मुख्य न्यायाधीश उमर अता बंदियाल की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय पीठ ने सुनवाई की अध्यक्षता की, जिसमें जस्टिस इजाजुल अहसन, मोहम्मद अली मजहर, मुनीब अख्तर और जमाल खान मंडोखाइल शामिल थे।

सोमवार को, सीजेपी ने टिप्पणी की थी कि अदालत ‘इस मुद्दे पर उचित आदेश’ जारी करेगी, लेकिन पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) और अन्य विपक्षी दलों के वकील फारूक एच नाइक द्वारा अपनी दलीलें पेश करने के बाद सुनवाई स्थगित कर दी गई थी।
मंगलवार की सुनवाई की शुरुआत में, पीपीपी सीनेटर रजा रब्बानी ने कहा कि कैसे, मीडिया रिपोर्टों के अनुसार पाकिस्तान के चुनाव आयोग (ईसीपी) ने कहा था कि तीन महीने के भीतर आम चुनाव कराना संभव नहीं है। हालांकि, ईसीपी ने चुनाव के संबंध में कोई भी बयान जारी करने से इनकार किया है। उन्होंने कहा, “जो कुछ भी हुआ है उसे केवल नागरिक मार्शल लॉ कहा जा सकता है।”

यह कहते हुए कि यह संविधान के विपरीत नहीं हो सकता, उन्होंने कहा कि सूरी का फैसला ‘अवैध’ था। उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 95 का हवाला देते हुए कहा, ‘अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान किए बिना उसे खारिज नहीं किया जा सकता है।’

डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, रब्बानी ने यह भी कहा कि अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ एक कहानी गढ़ने का एक जानबूझकर प्रयास किया गया था, जबकि एक विदेशी साजिश भी रची गई थी। उन्होंने यह भी कहा कि सूरी का विपक्षी सांसदों को बिना कोई सबूत दिए देशद्रोही करार देना गलत था।

उन्होंने कहा कि एनए अध्यक्ष असद कैसर के खिलाफ एक अविश्वास प्रस्ताव भी प्रस्तुत किया गया था, जो स्पीकर की शक्ति को सीमित करता है। उन्होंने कहा कि अविश्वास प्रक्रिया के दौरान विधानसभाओं को भंग नहीं किया जा सकता है। उन्होंने अदालत से डिप्टी स्पीकर के फैसले को खारिज करने और एनए को बहाल करने का आग्रह किया, साथ ही कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा समिति के कार्यवृत्त और ‘धमकी पत्र’ भी प्रस्तुत किया जाना चाहिए।

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