भोपाल। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनावों (assembly elections) से साल भर पहले पार्टी ने सरकार (government) और संगठन (organization) की व्यापक समीक्षा (Comprehensive review) करनी शुरू कर दी है। भाजपा (BJP) अभी राज्य में सत्ता में है, पर वह पिछला विधानसभा चुनाव हार गई थी। बाद में जोड़-तोड़ कर उसने सत्ता हासिल की है। ऐसे में पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व सारे पहलुओं को ध्यान में रखते हुए चुनावी रणनीति पर गंभीरता से विचार कर रहा है।
भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री संगठन बीएल संतोष (BL Santosh) ने इस महीने की शुरुआत में ही मध्यप्रदेश में रातापानी अभ्यारण के विश्राम गृह में प्रदेश के प्रमुख नेताओं के साथ 11 घंटे लंबी मंथन बैठक कर सरकार और संगठन दोनों स्तर पर समीक्षा की है। सूत्रों के अनुसार, केंद्रीय नेतृत्व ने राज्य के नेताओं को साफ कर दिया है कि अगले एक साल में जनता में नीचे तक सुशासन और भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन का संदेश पहुंचना चाहिए।
उनका कहना था कि सरकार ने अच्छे काम किए हैं व जो उपलब्धियां हासिल की हैं, उनको जनता को बताना भी जरूरी है। साथ ही 2018 में किन कारणों से चुनाव हारे थे, उन कमियों को भी जल्द दूर किया जाए।
इस बैठक को पार्टी में चुनावी रणनीति की दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, केंद्रीय नेतृत्व को पिछले महीनों में सरकार और संगठन में विभिन्न स्तरों से जो रिपोर्ट मिली है, उसके अनुसार ग्वालियर चंबल क्षेत्र और महाकौशल क्षेत्र में पार्टी की स्थिति अन्य क्षेत्रों की तुलना में कमजोर है। इस बीच ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में आने से राज्य के भाजपा के समीकरण भी बदले हैं। कई क्षेत्रों में सिंधिया के समर्थकों के भाजपा में आने के बाद संगठन, सत्ता में मिली अहमियत को पार्टी के कई नेता नहीं पचा पा रहे।
सालभर से चल रहा विशेष अभियान
भाजपा ने बीते साल एक रणनीति तैयार कर आदिवासियों और दलित समुदाय तक अपनी व्यापक पहुंच बनाने का अभियान शुरू किया था। जिसके तहत इन समुदायों के बीच पार्टी ने न केवल अपने नेताओं को पहुंचाया बल्कि कुछ सम्मेलन भी किए हैं। हालांकि, नतीजे बहुत ज्यादा सकारात्मक नहीं आए हैं।
सामाजिक समीकरण काफी महत्वपूर्ण
सूत्रों के अनुसार, वजह यह भी मानी जा रही है कि भाजपा के विरोधी आदिवासियों में यह बात ले जा रहे हैं कि उनको अभी तक मिल रहे कई अधिकारों से भविष्य में वंचित किया जा सकता है। हालांकि, ऐसी कोई योजना नहीं है। पार्टी दलित और आदिवासी समुदाय के साथ अपने समर्थक पिछड़ा वर्ग समुदाय को भी बरकरार रखने के लिए जुट गई है।