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जानिए भारतीय नोटों के बारें में सबकुछ, कब और कैसे आए गांधी, उन्हें हटाया जा सकता है या नहीं

नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी के संस्थापक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Delhi Chief Minister Arvind Kejriwal) ने नोट पर महात्मा गांधी के साथ-साथ भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी की फोटो (Photo of Lord Ganesha and Goddess Lakshmi) लगाने की भी मांग की है. केजरीवाल के इस बयान को गुजरात चुनाव (Gujarat elections) से पहले ‘हिंदुत्व कार्ड’ के तौर पर देखा जा रहा है. ये मांग करते हुए केजरीवाल ने कहा कि अगर नोट पर एक तरफ गांधीजी (Gandhiji) की और दूसरी तरफ लक्ष्मी-गणेश की तस्वीर होगी, तो इससे पूरे देश को उनका आशीर्वाद मिलेगा.

केजरीवाल ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था नाजुक (economy fragile) दौर से गुजर रही है, डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर होता जा रहा है, इसमें सुधार के लिए केंद्र सरकार बड़ा फैसला ले. केजरीवाल ने नोटों पर गांधीजी के साथ-साथ गणेश-लक्ष्मी की तस्वीर लगाने की मांग करते हुए कहा कि सारे नोट बदलने की जरूरत नहीं है, लेकिन जो नए नोट छपते हैं, उन पर ये शुरुआत की जा सकती है.

केजरीवाल पहले नहीं हैं, जिन्होंने इस तरह की मांग की है. इससे पहले बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने भी दो साल पहले नोटों पर भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी की तस्वीर छापने की मांग की थी. उस समय स्वामी ने कहा था कि अर्थव्यवस्था सुधारने के लिए धन की देवी लक्ष्मी की तस्वीर छापनी चाहिए. नोटों पर गांधीजी की तस्वीर को लेकर अक्सर सवाल उठते रहे हैं. कुछ कहते हैं कि नोटों पर से महात्मा गांधी की तस्वीर हटा देनी चाहिए. कुछ कहते हैं कि महात्मा गांधी की तस्वीर हो, लेकिन बाकी नोटों पर दूसरे महापुरुषों की तस्वीर भी छपनी चाहिए. अभी कुछ दिन पहले ही अखिल भारतीय हिंदू महासभा ने भी मांग की थी कि नोटों पर महात्मा गांधी की जगह नेताजी सुभाष चंद्र बोस की तस्वीर छाप देनी चाहिए.


इसका सीधा सा जवाब है- नहीं. आजादी के बाद कई सालों तक नोटों पर अशोक स्तंभ या दूसरे प्रतीक छपते रहे थे. महात्मा गांधी की तस्वीर लगाने का फैसला ही इसलिए लिया गया था, क्योंकि उनकी स्वीकार्यता पूरे देश में थी. माना जाता है कि गांधीजी की बजाय दूसरे किसी महापुरुष की तस्वीर को छापा जाता, तो इससे विवाद और विरोध हो सकता था. यही वजह थी कि नोटों पर महात्मा गांधी की तस्वीर छापने का फैसला लिया गया.

नोटों पर महात्मा गांधी की बजाय दूसरे किसी महापुरुष की तस्वीर छापी जाए? इसे लेकर केंद्रीय रिजर्व बैंक (RBI) की एक कमेटी का गठन किया गया था. नवंबर 2014 में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने लोकसभा में बताया था कि आरबीआई की कमेटी ने महात्मा गांधी की बजाय दूसरे किसी नेता की तस्वीर न छापने का फैसला लिया है, क्योंकि कोई भी व्यक्ति गांधीजी से ज्यादा देश के स्वभाव का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकता. इसी साल जून में नोटों से महात्मा गांधी की तस्वीर हटाने की खबरें चल रही थीं. आरबीआई ने इसक खंडन कर दिया था. आरबीआई ने बयान जारी कर साफ किया था कि अभी नोटों से महात्मा गांधी की तस्वीर हटाने का कोई प्रस्ताव नहीं आया है.

भारत को आजादी तो 15 अगस्त 1947 को मिल गई थी, लेकिन गणतंत्र 26 जनवरी 1950 को बना. तब तक रिजर्व बैंक प्रचलित करंसी नोट ही जारी कर रहा था. रिजर्व बैंक की वेबसाइट के मुताबिक, सरकार ने पहली बार 1949 में 1 रुपये के नोट का नया डिजाइन तैयार किया था. उस समय नोटों पर ब्रिटेन के महाराजा की तस्वीर छपती थी. उस समय सहमति बनी कि ब्रिटेन के महाराज की जगह महात्मा गांधी की तस्वीर छापी जानी चाहिए, लेकिन बाद में तय हुआ कि नोटों पर अशोक स्तंभ की तस्वीर छापी जाएगी.


1950 में पहली बार 2, 5, 10 और 100 रुपये के नोट छापे गए. इन सभी नोटों पर अशोक स्तंभ की तस्वीर छापी गई. 1953 में नोटों पर हिंदी को प्रमुखता से छापा गया. फिर 1954 में एक हजार, दो हजार और 10 हजार रुपये के नोट फिर से जारी किए गए, लेकिन 1978 में इनकी नोटबंदी कर दी गई, यानी इन्हें चलन से बाहर कर दिया गया.

1969 में महात्मा गांधी के 100वें जन्मदिन पर पहली बार करंसी पर महात्मा गांधी की तस्वीर छापी गई. इसमें महात्मा गांधी को बैठे हुआ दिखाया गया था. पीछे सेवाग्राम आश्रम छपा था. 1972 में रिजर्व बैंक ने 20 रुपये और 1975 में 50 रुपये का नोट जारी किया. 80 के दशक में फिर नई सीरीज के नोट जारी किए गए. 1 रुपये के नोट पर तेल का कुंआ, 2 रुपये के नोट पर आर्यभट्ट के उपग्रह की तस्वीर, 5 रुपये के नोट पर ट्रैक्टर से खेत जोतता किसान और 10 रुपये के नोट पर कोणार्क मंदिर का चक्र, मोर और शालीमार गार्डन छापे गए. ये वो दौर था जब अर्थव्यवस्था बढ़ रही थी और लोगों की खरीदारी करने की ताकत भी बढ़ रही थी. लिहाजा रिजर्व बैंक ने 500 रुपये का नोट जारी किया. इस पर महात्मा गांधी की तस्वीर छापी गई. वाटरमार्क में अशोक स्तंभ को रखा गया.

1996 में रिजर्व बैंक ने कई सारे सुरक्षा फीचर्स के साथ ‘महात्मा गांधी सीरीज’ के नए करंसी नोट जारी किए. वाटरमार्क भी बदले गए. इसमें ऐसा फीचर भी जोड़ा गया, जिससे नेत्रहीन भी नोट को आसानी से पहचान सकें. 9 अक्टूबर 2000 को आरबीआई ने एक हजार रुपये का नोट जारी किया. 8 नवंबर 2016 में नोटबंदी हो गई. महात्मा गांधी सीरीज के 500 और 1000 रुपये के नोट चलन से बाहर कर दिए गए. इसके बाद 2 हजार रुपये का नोट जारी किया गया. इसमें भी गांधीजी की तस्वीर छापी गई. अक्सर मन में सवाल आता है कि नोट पर महात्मा गांधी की तस्वीर जो छपी है, वो कब की है? ये तस्वीर 1946 में खींची गई थी. ये तस्वीर उस समय ली गई थी, जब महात्मा गांधी लॉर्ड फ्रेडरिक पेथिक लॉरेंस विक्ट्री हाउस में आए थे.

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