- 125 कालोनियों में भी जलप्रदाय ठीक ढंग से नहीं होता
उज्जैन। उत्तर तथा दक्षिण विधानसभा में आने वाले शहर के 54 वार्डों में लगभग साढ़े 7 लाख की आबादी निवास करती है। लेकिन पीएचई के रिकार्ड में नल कनेक्शनधारी सिर्फ 62 हजार उपभोक्ता है। शेष आबादी बोरिंग, कुएं और हेण्डपंप के सहारे पानी पी रही है। जनता इस मुद्दे पर प्रत्याशियों को घेरेगी।
उल्लेखनीय है कि उज्जैन उत्तर विधानसभा से कांग्रेस ने हाल ही में अपना प्रत्याशी फाइनल किया है। जबकि भाजपा ने अभी इस सीट से अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया है। दूसरी ओर दक्षिण विधानसभा में भाजपा ने अपना उम्मीदवार के नाम की घोषणा कर दी है और कांग्रेस ने यहां प्रत्याशी चयन नहीं कर पाई है। जैसे ही उत्तर और दक्षिण सीट के लिए दोनों ही प्रमुख दलों के साथ अन्य दल के उम्मीदवार भी जल्द तय हो जाएंगे। इसके बाद चुनाव प्रचार जोर पकड़ेगा और हर पार्टी का उम्मीदवार वोट मांगने के लिए मतदाताओं के घर-घर जाएंगे। उत्तर तथा दक्षिण विधानसभा क्षेत्र में नगर निगम सीमा के अंतर्गत 54 वार्डों में खासकर आगर रोड, एमआर-5 मार्ग, इंदौर रोड और देवास रोड की 125 से अधिक वैध कॉलोनियां ऐसी है जहां 40 हजार से ज्यादा परिवार निवास कर रहे हैं। इसमें से 50 फीसदी से ज्यादा कॉलोनियां ऐसी है जिन्हें विकसित हुए 1 दशक से ज्यादा समय हो गया है। बावजूद इसके इन कॉलोनियों में अभी भी 40 हजार से ज्यादा परिवार पीएचई की जल प्रदाय व्यवस्था से वंचित है। यह लोग सालों से बोरिंग, कुएं और हेण्डपंप का पानी पीकर काम चला रहे हैं।
अधिकांश कॉलोनियों में बोरिंग का पानी भी टीडीएस अधिक होने के कारण पीने लायक नहीं है। कहने को तो शहर में अमृत मिशन योजना का पहला चरण पूर्ण होने के बाद पानी की 44 टंकियां नगर निगम बना चुका है, लेकिन इन टंकियों को भरने तथा इनके माध्यम से जल प्रदाय करने के लिए अभी तक आधे से अधिक वार्डों में पाईप लाइन का जाल ही नहीं बिछ पाया है। अमृत मिशन योजना उज्जैन के लिए 700 करोड़ का प्रस्ताव मंजूर है। दूसरे चरण में केन्द्र सरकार 482 करोड़ की राशि में से 170 करोड़ की कटौती कर शेष राशि मंजूर कर चुकी है। काटी गई 170 करोड़ की राशि में से शहर में पुराने पंप, पेयजल सप्लाय लाइन बदलने और लोगों के घरों तक नई पाईप लाइन बिछाने पर खर्च होनी थी। यह राशि केन्द्र सरकार द्वारा प्रस्ताव से हटा दिए जाने के बाद शहर के लोगों को अब अमृत मिशन योजना के दूसरे चरण से भी कोई खास उम्मीद नहीं रह गई है। कुल मिलाकर आधी से ज्यादा आबादी उत्तर और दक्षिण विधानसभा में पीएचई के पानी के लिए तरस रही है। मतदाताओं से वोट मांगने से पहले अब हर दल के उम्मीदवार को मतदाता के सवाल का जवाब सोचकर ही दरवाजा खटखटाना पड़ेगा। ऐसी कॉलोनियों के अधिकांश मतदाताओं का कहना है कि अगर सत्तारुढ़ दल के उम्मीदवार वोट मांगने आए तो उन्हें इस मुद्दे पर खरी खोटी भी सुनाई जाएगी। Share: