उज्जैन। जिले के भू-जल स्तर में तेजी से गिरावट आ रही है। उज्जैन की बात करें तो मार्च में ही 26 फीट से ज्यादा जल स्तर नीचे गिर चुका है। सामान्य तौर पर उज्जैन में 25 फीट तक पानी मिल जाता है। वर्तमान में 28 से 30 फीट पर मिल रहा है। आशंका है कि मई तक जल स्तर 35 से 40 फीट नीचे चला जाएगा।
उल्लेखनीय है कि बढ़ती गर्मी व दोहन की वजह से तेजी से जिले का भू-जल स्तर गिर रहा है। भू-जल कार्यालय के आंकड़े बता रहे हैं कि पिछले दो साल तक जिले का औसतन भू-जल स्तर अप्रैल में 40 से 45 फीट नीचे था, जो इस बार मार्च में ही औसतन 35 फीट नीचे जा पहुँचा है। बावजूद, शहर के भूजल की मौजूदा स्थिति को जानने के बाद भी जिम्मेदार अफसरों की ओर से पर्याप्त प्रयास नहीं किए जा रहे हैं। हाल ही में एमआइसी बैठक में शहर में जल संकट से निपटने के लिए टैंकरों के संचालन के लिए योजना बना ली गई, लेकिन जल का पुनर्भरण कैसे हो? इसका संचय कैसे हो? इस पर अब भी कोई खास ध्यान नहीं है। मामले में सहायक भू जल विद् प्रकाश चौधरी ने कहा कि जिले का भू जल स्तर तेजी से नीचे जा रहा है। इससे मई में कुछ क्षेत्रों में पेयजल की समस्या खड़ी हो सकती है। जून में यदि समय रहते बारिश नहीं हुई तो दिक्कत और भी बढ़ेगी। सम्बन्धित विभागों को इस ओर ध्यान देना चाहिए।
नहीं हो रहा वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम का पालन
नगर निगम की ओर से नक्शा पास कराने दौरान यह शर्त होती है कि मकान बनेगा तो वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम जरूरी है लेकिन शहर के 80 फीसदी घरों में जल संरक्षण के लिये वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं है। हालात यह है कि सरकारी भवनों में लगे रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम भी काम नहीं कर रहे हैं। इस साल भी अब तक निगम ने वॉटर हार्वेस्टिंग के लिए कोई कार्य योजना नहीं बनाई है, जबकि कई कंपनियाँ सीएसआर से यह काम करने को तैयार भी हैं। बता दें कि नगर निगम के नियम के अनुसार प्रत्येक घर और सरकारी कार्यालयों में जल संरक्षण करना है, लेकिन कहीं भी यह व्यवस्था नहीं की गई है। बारिश का पानी संचय नहीं होने से वह बेकार हो रहा है। यदि जून में समय पर बारिश नहीं हुई तो समस्या और ज्यादा बढ़ जाएगी। बताया जाता है कि शहर में सबसे पहले नागझिरी, हामूखेड़ी, भैरवगढ़, मोरूखेड़ी व शंकरपुर क्षेत्र में वाटर लेवल डाउन होने से हेड पंप पानी देना बंद कर देते हैं। Share: