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Coronavirus China का फैलाया हुआ एक जैविक हथियार? जानिए क्यों कहा जा रहा है ऐसा

नई दिल्ली: कोविड-19 (Covid-19) के शुरुआती मामले सबसे पहले चीनी शहर वुहान (Wuhan) में दिसंबर 2019 से दिखाई देने लगे थे. इस दौरान दुनिया इस फैलते खतरे से अनजान रही क्योंकि चीन (China) सरकार ने सक्रिय रूप से कोरोना वायरस (Coronavirus) के बारे में जानकारी को दबाने की कोशिश की और यहां तक कि दुनिया को इस बारे में सचेत करने का प्रयास करने वालों को धमकाने और दंडित करने के हद तक चली गई.

चीन ने छुपाई कोरोना से जुड़ी जानकारी
तब से ही वायरस के प्रारंभिक रूप से निपटने और इसके बारे में जानकारी छुपाने के प्रयासों के लिए चीन सरकार (Chinese Govt) को अंतरराष्ट्रीय समुदाय की तीखी प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ रहा है. चीन की कथित लापरवाही ही एकमात्र कारण है कि वायरस दुनियाभर में तेजी से फैल गया और पूरी दुनिया को झकझोर देने में कामयाब रहा.

वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी का नाम आया सामने
वायरस की उत्पत्ति को उजागर करने के लिए वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं ने यह तलाशना शुरू किया कि वास्तव में वायरस कहां से आया होगा. सच्चाई का पता लगाने के लिए शोधकर्ताओं ने चीन के वुहान शहर की और देखना शुरू किया, जहां इस वायरस के सबसे पहले मामले सामने आए थे. वायरस की उत्पत्ति के बारे में कई सिद्धांतों पर चर्चा की जाने लगी. उनमें से एक संभावना यह भी थी कि कोविड-19 स्वाभाविक रूप से उत्पन्न नहीं हुआ था, बल्कि जानबूझकर एक प्रयोगशाला में विकसित किया गया था.


अमेरिकी फैक्ट शीट में किया गया ये दावा
जनवरी में प्रकाशित एक अमेरिकी फैक्ट शीट के अनुसार चीन में वैज्ञानिक, विशेष रूप से वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के वैज्ञानिक पशु-व्युत्पन्न (एनिमल-डिराइव्ड) कोरोना वायरस पर लगातार शोध कर रहे थे. फैक्ट शीट से यह भी पता चलता है कि प्रकोप के डेढ़ साल बाद भी चीन दुनिया के सामने सारी सच्चाई प्रकट करने से कतरा रहा है और दुनियाभर में वायरस के तेजी से प्रसार में अपनी संलिप्तता पर पर्दा डालने के लिए जानबूझकर वायरस के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी छिपाने की कोशिश कर रहा है.

कोरोना वायरस पर चीन की घिनौनी चाल
फैक्ट शीट में आगे कहा गया है कि वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के वैज्ञानिक सबसे पहले कोविड-19 जैसे लक्षणों वाले संक्रमण के मामलों की पहचान 2019 की शरद ऋतु से ही करने लगे थे. जबकि दिसंबर 2019 तक मामले सार्वजनिक रूप से दर्ज नहीं किए थे. यह दर्शाता है कि चीनी सरकार को 2019 की शरद ऋतु से ही इस बारे में जानकारी थी, फिर भी उसने इसके बारे में दुनिया को सचेत नहीं करना तय किया.

इससे भी ज्यादा चिंताजनक यह है कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के संबंध में लगातार गोपनीयता बनाए रखी है. यह भी पता चला है कि इस इंस्टीट्यूट के पीपुल्स लिबरेशन आर्मी से संबंध हैं और उसने कई गुप्त परियोजनाओं पर इंस्टीट्यूट के साथ सहयोग किया है. चीन द्वारा जैविक हथियारों को विकसित करने का प्रयास करने के पहले से ही प्रलेखित सबूत हैं और इस प्रकार यह मानने में कोई दो राय नहीं है कि कोविड-19 एक जैविक हथियार है जो वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में विकसित किया गया.

‘द ऑस्ट्रेलियन’ अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी कोविड-19 के शुरुआती फैलाव वाली जगह से केवल 10 मील की दूरी पर स्थित है. यह एक संयोग की बात है कि सदी की सबसे बड़ी महामारी, जिसने दुनियाभर में लाखों लोगों को संक्रमित किया और मार डाला, ऐसे शहर से पनपना शुरू हुई, जहां घातक और संक्रामक वायरस पर शोध करने वाली चीन की एक गुप्त प्रयोगशाला स्थित है. इसके अलावा हाल ही में अनुवादित चीनी दस्तावेजों से पता चला है कि कोविड-19 महामारी से पांच साल पहले ही चीनी वैज्ञानिकों ने सार्स (SARS) कोरोना वायरस को हथियार बनाने की संभावना पर चर्चा शुरू कर दी थी.


SARS-CoV-2 के स्पाइक प्रोटीन में फ्यूरिन क्लीवेज साइट वायरस को प्रजातियों और ऊतक बाधाओं को पार करने की क्षमता प्रदान करती है, जो पहले अन्य SARS जैसे CoV में पहले कभी नहीं देखा गया. इसकी पूरी संभावना है कि क्लीवेज साइट को S1/S2 जंक्शन पर शोधकर्ताओं द्वारा कृत्रिम रूप से एक गेन-ऑफ-फंक्शन प्रयोग में डाला गया था. इसका अर्थ है कि इसे मानवों द्वारा किसी प्रयोगशाला में बनाया गया था. वायरस को समझने और अंततः उसे हराने के लिए कोविड-19 नामक वायरस की उत्पत्ति को समझना महत्वपूर्ण है. लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन सहित पश्चिमी और अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य संगठनों के साथ सहयोग करने से चीनी सरकार के इनकार ने इस कार्य को असीम रूप से कठिन बना दिया गया है.

चीन की सरकार हाल के महीनों में विकासशील देशों को यह दावा करते हुए अपनी अपरीक्षित साइनोवैक वैक्सीन वितरित कर रही है और यह बता रही है कि वह दुनिया से वायरस का सफाया करना चाहती है. यदि उसकी यही मंशा है फिर उसे शोधकर्ताओं और पत्रकारों को वायरस की उत्पत्ति की जांच करने की अनुमति देने में इतनी हिचक क्यों है? आखिर चीनी कम्युनिस्ट पार्टी वुहान में कौन से राज छुपा रही है? गौरतलब है कि चीनी सरकार ने ऑस्ट्रेलिया के साथ व्यापार युद्ध तब छेड़ दिया जब ऑस्ट्रेलिया ने वायरस की उत्पत्ति की स्वतंत्र जांच के लिए मांग करना शुरू कर दिया. शी जिनपिंग ने वायरस की उत्पत्ति की जांच करने के बजाय ऑस्ट्रेलिया से कोयले जैसे महत्त्वपूर्ण सामानों का आयात कम कर अपनी अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने का फैसला लिया.

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