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कांग्रेस के कारण 14 सीटें हारी आप

  • February 09, 2025

    • पंजे की मार से झाड़ू के तिनके बिखरे
    • इस शिकस्त को कैसे भूल पाएंगे केजरीवाल

    नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव नहीं लडऩे का आप को भारी खामियाजा भुगतना पड़ा। अगर कांग्रेस और आप मिलकर चुनाव लड़ते तो दिल्ली में यूपीए गठबंधन की जीत होती। भाजपा ने विधानसभा की 70 में से 22 सीटें तो जीतीं, लेकिन इनमें से कई पर उसका वोट शेयर घटा। कांग्रेस ने कोई सीट नहीं जीती, लेकिन कई सीटों पर 5 से 15 प्रतिशत तक वोट हासिल किए और इसी कारण भाजपा के उम्मीदवार आसानी से जीत गए। चुनाव परिणाम का दिलचस्प पहलू यह रहा कि भाजपा ने 14 ऐसी सीटें जीतीं, जहां आम आदमी पार्टी के वोट कांग्रेस में बंटने से उसे फायदा हुआ।

    कोई 344, तो कोई 392 वोट से हारा
    दिल्ली विधानसभा की 10 सीटें ऐसी है जहां पर हार-जीत का अंतर बेहद कम है। इनमें तीमारपुर में 1500, राजिंदर नगर में 1231, पड़पडग़ंज में 675, मालवीय नगर में 2131, महरौली में 1782, संगम विहार में 344, त्रिलोकपुरी में 392, नई दिल्ली 4089 वोटों के अंतर से हारजीत हुई है।+


    इन सुरमाओं को 10 वोट नहीं मिले
    दिल्ली विधानसभा चुनाव में 10 उम्मीदवार ऐसे हैं जो दहाई का आंकड़ा भी छू नहीं पाए। इनमें ईश्वरचंद को 1 वोट मिला, जबकि 2 उम्मीदवारों को 8-8 वोट मिले और 3 उम्मीदवारों को मात्र 9-9 वोट ही मिल पाए। साथ ही इस बार जमानत गंवाने वाले उम्मीदवारों की संख्या पिछले चुनाव के मुकाबले काफी अधिक रही।

    मन मोहने में कामयाब रहे मोहन यादव… मान नहीं रख पाए मान
    विधानसभा चुनाव में मप्र के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव मतदाताओं का मन मोहने में कामयाब रहे। जापान से लौटकर मुख्यमंत्री ने दिल्ली की जिन 12 सीटों पर प्रचार किया उनमें 11 सीटों पर जीत दिलवाने में कामयाब रहे। वहीं पंजाब में आप के मुख्यमंत्री भगवंत मान मतदाताओं को मनाने में पूरी तरह नाकाम रहे। उन्होंने यहां 12 सीटों पर प्रचार के साथ ही रोड शो भी किया था, लेकिन सभी सीटों पर हार का सामना करना पड़ा।

    आतिशी आज देंगी इस्तीफा… 16 को दिल्ली को मिलेगा नया सीएम
    विधानसभा चुनाव में करारी मात के बाद मुख्यमंत्री आतिशी आज एलजी से मुलाकात कर इस्तीफा देंगी। आतिशी उन दिग्गज नेताओं में एकमात्र आप प्रत्याशी थी जो कालकाजी विधानसभा क्षेत्र से जीतने में कामयाब रही। शेष दिग्गज नेताओं को हार का सामना करना पड़ा। उधर प्रचंड जीत के बाद भाजपा में नए मुख्यमंत्री के नाम पर अटकलें लगना शुरू हो गई है। एक दर्जन से अधिक नेताओं के नाम रेस में शामिल हैं। फिलहाल दिल्ली को नए मुख्यमंत्री के लिए एक सप्ताह का इंतजार करना पड़ेगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 12 फरवरी को फ्रांस में एआई समिट में हिस्सा लेने जाएंगे। 13 फरवरी को दो दिवसीय दौरे पर अमेरिका जाएंगे। जहां वे राष्ट्रपति ट्रंप से मिलेंगे। मोदी के अमेरिका से लौटने के बाद 16 फरवरी को दिल्ली में नए सीएम के नाम का ऐलान होगा। हालांकि दावेदारों में केजरीवाल को हराने वाले प्रवेश वर्मा मुख्यमंत्री की दौड़ में सबसे आगे हैं।

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