नई दिल्ली। खगोलविदों ने सैद्धांतिक तौर पर 50 वर्ष पहले माना था कि आकाशगंगा में इंटरस्टेलर गैसों के सुपरबबल्स यानी विशालकाय बुलबुले मौजूद हैं। जबकि, दशकों से पता था कि हमारा सौर मंडल भी ऐसे सुपरबबल में मौजूद है। लेकिन, इसका सटीक आकार, दायरा, बनने में समय और तारों के निर्माण में इसकी भूमिका की पुख्ता जानकारी नहीं थी।
हार्वर्ड एंड स्मिथसोनियन स्पेस टेलीस्कोप साइंस इंस्टीट्यूट के सेंटर फॉर एस्ट्रोफिजिक्स के खगोलविदों ने एक थ्रीडी मॉडल के जरिये इन जानकारियों की खोज की है। सबसे दिलचस्प बात यह पता चली है कि सौर मंडल हमेशा से इस बबल में नहीं था, बल्कि एक दुर्लभ संयोग या किस्मत से इसमें पहुंचा है।
नई जानकारियों के आधार पर तमाम संकल्पनाओं, खासतौर पर कंस्पिरेसी थियरीज को बल मिला है कि ब्रह्मांड में हमारी मौजूदगी के पीछे किसी सुपरइंटेलिजेंट ताकत का हाथ है, वर्ना इतने दुर्लभ संयोग सिर्फ पृथ्वी पर जीवन को बनाए रखने के लिए ही क्यों होते।
1,000 प्रकाश वर्ष के दायरे में फैले विशालकाय बुलबुल के अंदर है हमारा सौर मंडल
शोध से जुड़े यूनिवर्सिटी ऑफ विएना में खगोल विज्ञान के प्रोफेसर जो अल्वेज कहते हैं कि बबल के निर्माण के लिए पहला सुपरनोवा विस्फोट जब हुआ था, तो सूर्य इसके दायरे से बहुत दूर था। लेकिन करीब 50 लाख वर्ष पहले अचानक यह बबल के बीच में पहुंच गया। यह जगह उतनी ही खास है, जैसे किसी बेहतरीन शो में बैठन वाले मुख्य अतिथि की कुर्सी होती है।
बेहतरीन जासूसी कहानी है यह खोज
हार्वर्ड में प्रोफेसर और सेंटर फॉर एस्ट्रोफिजिक्स की खगोलशास्त्री एलिसा गुडमैन कहती हैं कि सुपरनोवा विस्फोट के मॉडल, तारों की गति और बबल के थ्रीडी मानचित्रों से एक-एक कड़ी मिलाई गई और एक अविश्वसनीय जासूसी कहानी की तरह आंकड़ों और सिद्धांतो के आधार पर यह खोज हुई।
हमारे अस्तित्व की मूल कहानी आगे बढ़ेगी
शोध की मुख्य लेखिका डेटा विजुअलाइजेशन विशेषज्ञ खगोलविद् कैथरीन जकर कहती हैं कि इस खोज से हमारे अस्तित्व की मूल कहानी आगे बढ़ती है। इस जानकारी की बदौलत पहली बार यह समझाया जा सकता है कि कैसे पृथ्वी और इसके आस-पास के हजारों युवा तारें 1,000 प्रकाश वर्ष दायरे में फैले सुपरबबल में मौजूद हैं। शोध के सह-लेखक और हार्वर्ड के सोधकर्ता माइकल फोले हमारे आसपास के तमाम इंटरस्टेलर गैस बबल की थ्रीडी मैपिंग कर रहे हैं, जिससे आकाशगंगा की संरचना को समझने में मदद मिलेगी।
बुलबुले में सितारों का आंगन
1.4 करोड़ साल पहले शुरू हुई सुपरनोवा की एक श्रृंखला ने इंटरस्टेलर गैसों को आकाशगंगा में बाहर की ओर धकेल दिया, इसी दौरान यह बुलबुला बना, जिसकी सतह पर तारों के निर्माण की परिस्थितियां बनीं। कह सकते हैं कि इंटरस्टेलर गैस के बुलबुले के आंगन में तारे पनपे।