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ब्लैक फंगस के बाद बोन डेथ के मामले आए सामने, जानें इसके पीछे की वजह

नई दिल्ली । कोरोना संक्रमण (corona infection) से ठीक होने के बाद पहले जहां ब्लैक फंगस (black fungus) का खतरा दिखाई दे रहा था वहीं अब बोन डेथ के मामले में भी सामने आ रहे हैं। कोविड से ठीक होने के बाद मुंबई में कुछ मरीजों में एवैस्कुलर नेक्रोसिस (avascular necrosis) यानी बोन डेथ (bone death) के मामले आए हैं। डॉक्टरों के मुताबिक यह बोन यानी हड्डी तक खून की सप्लाई बंद हो जाने से होता है।

खून की सप्लाई में दिक्कत तो हो सकता है एवैस्कुलर नेक्रोसिस
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के डीजी डॉ. बलराम भार्गव ने कहा कि यह पहले से पता है कि कोविड मरीजों में ब्लड क्लॉटिंग (खून का थक्का जमने) का खतरा रहता है। अगर खून की सप्लाई नहीं होगी तो एवैस्कुलर नेक्रोसिस हो सकता है। इसलिए जो भी कोविड के सीरियस मरीज हॉस्पिटल में भर्ती होते हैं उन्हें ब्लड थिनर दिया जाता है और गाइडलाइन में भी इसका जिक्र है।


नई नहीं है यह बीमारी
फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पिटल में जॉइंट रिप्लेसमेंट निदेशक डॉ. कौशल कांत मिश्रा ने कहा कि हड्डी में एवैस्कुलर नेक्रोसिस कोई नई बीमारी नहीं है। ये पहले भी देखी जाती रही है। ये बीमारी ज्यादातर उन लोगों में पाई जाती थी जो लोग किसी वजह से स्टेरॉयड का इस्तेमाल करते है या धूम्रपान करते है या अल्कोहल लेते हैं।

हड्डियों में खून की सप्लाई बंद होने से होती है बोन डेथ
डॉक्टर मिश्रा ने कहा कि कि कोविड से उबरने के बाद भी कुछ मरीजों में एवैस्कुलर नेक्रोसिस दिख रहा है, इसके दो अहम कारण हो सकते हैं। पहला यह कि कोविड के मरीजों में खून का थक्का जमने का रिस्क रहता है जिसकी वजह से हार्टअटैक, ब्रेन अटैक, पैरालिसिस या किडनी और आंत में दिक्कत आती है। यह इन अंगों में खून की सप्लाई खत्म होने की वजह से होती है और यह काम करना बंद कर देते हैं। उसी तरह से हड्डियों में भी खून की सप्लाई बंद होने पर एवैस्कुलर नेक्रोसिस या बोन डेथ होती है।

स्टेरॉयड के ज्यादा इस्तेमाल से हो रही बोन डेथ?
दूसरा, यह भी देखा गया है कि कोविड के लगभग 70-80 पर्सेंट मरीजों में स्टेरॉयड का इस्तेमाल किया गया है। इसलिए यह कह पाना मुश्किल है कि बोन की एवैस्कुलर नेक्रोसिस थक्का जमने की वजह से है या स्टेरॉयड के इस्तेमाल की वजह से है।

शरीर के इन अंगों की हड्डियां होती हैं प्रभावित
वजह कोई भी हो, मरीज की समस्या और उसका इलाज एक जैसा ही होता है। डॉ. मिश्रा ने कहा कि शरीर की कुछ हड्डियों में एवैस्कुलर नेक्रोसिस का खतरा ज्यादा होता है जैसे हिप बॉल, अंगूठे के ठीक नीचे वाली हड्डी (स्केफॉइड) या टांग का नीचे का एक तिहाई हिस्सा, कंधे की बॉल, टैलस बोन जो एंकल जॉइंट होती है और घुटने की हड्डी में हो सकता है।

क्या होता है एवैस्कुलर नेक्रोसिस
जब किसी भी हड्डी में ब्लड सप्लाई खत्म हो जाती है तो उसमें ऑक्सिजन की कमी की वजह से बोन सेल की डेथ हो जाती है, जैसा कि किसी भी और अंग में होता है। इसकी वजह से उस जगह पर या उस हड्डी के आसपास दर्द होता है। मूवमेंट में दिक्कत आती है और जॉइंट में आर्थराइटिस हो जाती है यानी जॉइंट्स खराब हो जाते हैं।

डॉक्टर के मुताबिक सावधानी के तौर पर लोग लोग शराब ना पिएं, स्टेरॉयड का डॉक्टर की देखरेख में ही इस्तेमाल करें, स्मोकिंग ना करें। एवैस्कुलर नेक्रोसिस किस स्टेज में है उस हिसाब से इसका इलाज होता है। शुरुआती स्टेज में सिर्फ दवाओं से फायदा हो सकता है लेकिन बाद में सर्जरी की जरूरत पड़ती है। सबसे कॉमन सर्जरी हिप जॉइंट रिप्लेसमेंट होती है क्योंकि लगभग 50-60 पर्सेंट केस में एवैस्कुलर नेक्रोसिस हिप बॉल को ही इफेक्ट करती है।

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