चंदौली। केंद्रीय मंत्री महेंद्र नाथ पांडेय (Union Minister Mahendra Nath Pandey) चंदौली दौरे पर थे. उन्होंने अपने संसदीय क्षेत्र (Parliamentary area) का निरीक्षण किया. इस दौरान उन्होंन क्षेत्र में बाढ़ से पीड़ितों को राहत सामग्री बांटी. बाढ़ को लेकर महेंद्र पांडे (Mahendra Pandey) ने कहा कि, देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसको लेकर चिंतित हैं. वो खुद मॉनिटरिंग कर रहे हैं. हम लोग उनके सिपहसालार के रूप में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में जा रहे हैं. लोगों को राहत पहुंचाने के लिए प्रदेश और देश की सरकार कटिबद्ध हैं. लेकिन इसी दौरान उस समय स्थिति असहज बन गयी, जब सड़क बनाने को लेकर, चुनाव के दौरान मंत्री जी के वादे को याद दिलाने के लिए महिलाओं ने उनका घेराव कर दिया. जिसके बाद मंत्री जी असहज हो गए. हालांकि इस दौरान उन्होंने महिलाओं की बातों को सुनकर उन्हें सड़क बनाने का भरोसा दिलाया.
गुलाम नबी आजाद की तारीफ
चंदौली दौरे पर आए केंद्रीय मंत्री महेंद्र नाथ पांडेय ने, गुलाब नबी आजाद(Gulab Nabi Azad) के साथ ही कांग्रेस नेताओं के पलायन पर अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कांग्रेस मुक्त, मजबूत भारत की जो परिकल्पना है, वह साकार होती दिख रही है. कांग्रेस में वह लोग जो देश के लिए कुछ करना चाह रहे हैं, वो परिस्थितियों के अनुसार कांग्रेस को छोड़ रहे हैं. उन्होंने कहा कि कांग्रेस को भी इस बारे में अपने चिंतन करने की जरूरत है. यही नहीं उन्होंने गुलाम नबी आजाद को अच्छा नेता बताया. हालांकि गुलाम नबी के बीजेपी में शामिल होने की बात को उन्होंने केंद्रीय नेतृत्व पर छोड़ दिया.
केजरीवाल को दिल्ली की जनता माफ नहीं करेगी-महेंद्र नाथ पांडेय
केंद्रीय मंत्री महेंद्र नाथ पांडेय ने अन्ना हजारे की तरफ से, केजरीवाल को शराब नीति पर लिखी चिट्ठी पर भी अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने केजरीवाल पर निशाना साधते हुए कहा कि ये ऐसे लोग हैं, जिन्होंने एक अच्छे जन आंदोलन को सत्ता की लालच में तबाह कर दिया. उसकी भावनाओं को नष्ट कर दिया. दिल्ली की जनता उनको भविष्य में जवाब देगी. उन्होंने राजघाट पर किए गए विरोध पर भी चुटकी ली.
हेमंत सोरेन पर साधा निशाना
झारखंड में सियासी हलचल पर प्रतिक्रिया देते हुए केंद्रीय मंत्री ने हेमन्त सोरेन पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने पट्टा लेने के लिए नहीं कहा था. निर्वाचन आयोग ने पहले भी संसद में लाभ के पदों पर अनेक बार सांसद और विधान सभाओं की सदस्यता छीनी है. एक बार रायबरेली में भी महोदय को लाभ के पद पर रहने के वजह से इस्तीफ़ा देना पड़ा था. दोबारा चुनाव लड़ना पड़ा था. लाभ का कोई भी काम करने पर भारत निर्वाचन आयोग अपने कदम उठाता है, और देश के संविधान में उसकी व्यवस्था है, तो इसमें भाजपा कहां से आ गई.