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अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद जम्मू-कश्मीर में भी आतंकवाद के मोर्चे पर बढ़ा खतरा

 

नई दिल्ली। अफगानिस्तान (afganistan) में तालिबान (Taliban) के कब्जे के बाद जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) में भी आतंकवाद (terrorism) के मोर्चे पर खतरा बढ़ा है। पता चला है कि आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (Jaish-e-Mohammed) के 38 दहशतगर्दों ने तालिबानी आतंकियों से प्रशिक्षण लिया है। अत्याधुनिक हथियार चलाने के साथ ही सूचना प्रौद्योगिकी में प्रशिक्षित ये दुर्दांत आतंकी एक सप्ताह पहले पाक अधिकृत कश्मीर (POK) के हजीरा में स्थित जैश के ट्रेनिंग कैंप में पहुंचे हैं। पुंछ के चक्कां दा बाग के सामने हजीरा कैंप में हलचल तेज होने के भी इनपुट हैं। 

पुंछ (Poonch) का इलाका सीमा पार से आतंकवाद को लेकर काफी संवेदनशील है। सूत्रों के अनुसार यहां कोटली, हजीरा, बाग समेत कुछ अन्य इलाकों में आतंकियों के ट्रेनिंग कैंप चल रहे हैं। इस जिले से लगी एलओसी पर 20 से ज्यादा लॉंचिंग पैड के भी सक्रिय होने की सूचना है। प्रत्येक लॉंचिंग पैड पर 10-12 आतंकियों को घुसपैठ के लिए तैयार रखा गया है। 

पहले इन लॉंचिंग पैड पर आतंकियों की संख्या अधिक होती थी, लेकिन भारत के स्ट्राइक के डर से अब कम संख्या में दहशतगर्दों को रखा जा रहा है। आतंकियों की मूवमेंट पीओके में सेना की चौकियों के आसपास भी दिख रही है। सूत्रों का कहना है कि भौगोलिक परिस्थितियों की वजह से पुंछ का एलओसी से लगता इलाका काफी संवेदनशील है। 


गुलपुर, सलोत्री, चक्कां दा बाग आदि इलाकों से घने जंगलों के रास्ते घुसपैठ करना आसान होता है। वर्ष 2002 के आसपास अफगानी व सूडानी आतंकियों की पुंछ के इलाके में मौजूदगी भी रही है। कश्मीर के आईजी विजय कुमार का कहना है कि तालिबानी खतरे से निपटने में सुरक्षा बल पूरी तरह सक्षम हैं। हम इसके लिए सभी प्रकार की तैयारियां कर रहे हैं। 

सीमा पार की हलचल, तालिबान पर पूरी नजर 
सुरक्षा एजेंसी से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इंटेलिजेंस ग्रिड को और मजबूत किया गया है। सीमा पार और तालिबान की गतिविधियों पर पूरी नजर रखी जा रही है। कश्मीर में एलओसी से लगते इलाके से अभी हलचल की सूचना नहीं है। वैसे भी लॉंचिंग पैड सक्रिय हैं। सरहद की सुरक्षा में लगे जवानों को अतिरिक्त मुस्तैद रहने को कहा गया है। 

मक्की की फसल घुसपैठ के लिए मुफीद
एलओसी से सटे इलाके में मक्की की फसल तैयार है। मक्की की खड़ी फसल के बीच घुसपैठ के बाद बिना किसी की नजर में आए लंबी दूरी तय कर पाना आसान होता है। इसलिए नियंत्रण रेखा पर अतिरिक्त सतर्कता बरती जा रही है। ग्रामीणों से भी कहा गया है कि वे संदिग्ध दिखते ही सूचित करें।

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