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IDBI के निजीकरण के बाद उसके किसी प्रस्ताव को रोकने की सरकार की मंशा नहीं

नई दिल्ली। भारतीय औद्योगिक विकास बैंक (आईडीबीआई) (Industrial Development Bank of India – IDBI)) की विनिवेश प्रक्रिया (disinvestment process) की शुरुआत चुकी है। सरकार और सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनी एलआईसी (Public Sector Insurance Company LIC) की बैंक के नए मालिक के किसी प्रस्ताव को रोकने की मंशा नहीं है। सरकार इसके भावी प्रवर्तकों को स्वतंत्रता देने की इच्छुक है। आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी।


आधिकारिक सूत्रों ने रविवार को बताया कि सरकार का यह कदम निवेशकों की चिंताओं को दूर करने का प्रयास है। सरकार आईडीबीआई में 60.72 फीसदी हिस्सेदारी बेच रही है, जिसे प्रबंधन नियंत्रण भी सौंपा जाएगा। दरअसल निजीकरण के बाद आईडीबीआई में सरकार और एलआईसी की हिस्सेदारी घटकर 34 फीसदी रह जाएगी।

उल्लेखनीय है कि आईडीबीआई बैंक में केंद्र सरकार और एलआईसी की 60.72 फीसदी हिस्सेदारी है। इस बैंक में सरकार की हिस्सेदारी 45.48 फीसदी और एलआईसी की 49.24 फीसदी है। इसकी बिक्री के लिए इस महीने की शुरुआत में ही निविदाएं आमंत्रित की गई थीं। वित्त वर्ष 2022-23 की दूसरी तिमाही में बैंक का मुनाफा 46 फीसदी बढ़कर 828 करोड़ रुपये रहा है। अभी बैंक का बाजार मूल्यांकन 47,633 करोड़ रुपये है। मौजूदा मूल्य पर करीब 61 फीसदी की हिस्सेदारी की बिक्री से सरकार को 29 हजार करोड़ रुपये प्राप्त होंगे। (एजेंसी, हि.स.)

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