- धुलेंडी पर महाकाल की भस्मारती में उड़ा हर्बल रंग गुलाल-सुबह से दोपहर बाद तक पूरे शहर में मना रंगों का त्यौहार
उज्जैन। कोरोना के कारण पिछले दो साल से लोग रंगों का त्योहार होली नहीं मना पा रहे थे लेकिन इस बार कोई प्रतिबंध नहीं होने के कारण लोगों ने खुलकर होली खेली। होलिका दहन के दूसरे दिन कल तड़के होने वाले भगवान महाकाल की भस्मारती में भी हर्बल रंग और गुलाल उड़ाया गया। इसके बाद पूरे शहर में रंग और गुलाल के साथ होली मनाने का दौर शुरु हो गया। इसी के साथ कल से भगवान महाकाल की दिनचर्या भी परिवर्तित हो गई। उल्लेखनीय है कि साल 2020 के मार्च महीने से कोरोना महामारी की शुरुआत हो गई थी। इसी के चलते महामारी का सबसे बड़ा और पहला लॉकडाउन शुरु हो गया था। इसी के बीच होली का पर्व आकर भी बगैर रंगत के गुजर गया था। 2021 में भी कोरोना की दूसरी लहर ने कोहराम मचाया और इस साल भी रंगों का त्यौहार लोग नहीं मना पाए थे। कोरोना के प्रतिबंध, मास्क की अनिवार्यता और सोशल डिस्टेंसिंग की अनिवार्यता के चलते अन्य त्यौहारों की तरह होली के रंग भी दो साल से फीके थे लेकिन तीसरी लहर आने के बावजूद वैक्सीनेशन की बदौलत यह पहली तथा दूसरी लहर की तरह अधिक हावी नहीं हो पाई।
इसी के चलते दो महीने पहले भी पूरे प्रदेश से कोरोना गाईड लाईन के सारे प्रतिबंध सरकार ने हटा दिए थे। इसका असर होलिका दहन वाले दिन से लेकर कल धुलेंडी तक साफ नजर आया। होली के दिन शाम को भगवान महाकाल के आंगन में होलिका दहन किया गया, इसमें हजारों की तादाद में लोग शामिल हुए। होलिका दहन के बाद मंदिर परिसर में लोगों ने भगवान के साथ रंग और गुलाल उड़ाकर होली खेली। इसी के साथ कल तड़के चार बजे भगवान महाकाल की भस्मारती में भी हर्बल रंग और गुलाल उड़ाया गया तथा होली का पर्व मनाया गया। इसके बाद से पूरे नगर में होली का त्यौहार मनाने के लिए लोग सड़कों पर भी नजर आए। दो साल प्रतिबंधों के बाद कल दिनभर लोगों ने खुलकर होली मनाई। इसमें बड़ों के साथ-साथ बच्चों में भी उत्साह साफ नजर आ रहा था। इस अवसर पर लोगों ने कई रंगारंग कार्यक्रमों का भी आयोजन किया।
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