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भारत से जुड़ेंगे दुनिया के सभी प्रमुख शहर, Air India खरीद रहा है 840 विमान

नई दिल्ली (New Delhi)। टाटा समूह की कंपनी (Tata group company) एअर इंडिया (Air India) ने एयरबस और बोइंग (airbus and boeing) कंपनियों को कुल 840 विमान खरीद का ऑर्डर (840 aircraft purchase order) दिया है। इनमें से 370 विमान अगले 10 साल में लेने का वैकल्पिक खरीद अधिकार अपने पास रखा है। ये पक्के ऑर्डर पर लिए जा रहे 470 विमानों के अलावा होंगे। इससे भारत दुनिया के हर प्रमुख देश से सीधे जुड़ सकेगा।

एअर इंडिया के मुख्य व्यावसायिक व रूपांतर अधिकारी निपुण अग्रवाल ने भारतीय उड्डयन क्षेत्र में इस ऑर्डर को ऐतिहासिक क्षण बताते हुए कहा कि इसने पूरे विश्व में उत्साह जगाया है। 470 विमानों के पक्के ऑर्डर और 370 विमानों के वैकल्पिक खरीद अधिकार के लिहाज से यह डील वैश्विक उड्डयन क्षेत्र के आधुनिक इतिहास की सबसे बड़ी डील में से एक है। दावा किया कि दो साल पहले एअर इंडिया के निजीकरण की प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही इस खरीद की यात्रा शुरू हो गई थी। एअर इंडिया ने बताया था कि एयरबस से 210 ए320/321 नियो/एक्सएलआर और 40 ए350-900/1000 विमान खरीदे जा रहे हैं। बोइंग से 190 की संख्या में 737-मैक्स, 20 की संख्या में 787 और 10 की संख्या में 777 विमान खरीदे जाएंगे। निपुण ने बताया कि सीएफएम इंटरनेशनल, रोल्स रॉयस और जीई एयरोस्पेस के साथ इंजनों के दीर्घ-अवधि रखरखाव का भी करार हुआ है।


विश्व के हर प्रमुख शहर के लिए नॉन-स्टॉप उड़ान का लक्ष्य
पहला ए350 विमान इसी साल के अंत तक एअर इंडिया को मिल जाएगा। निपुण ने बताया, एअर इंडिया को विश्वस्तरीय एयरलाइन बनाना और भारत को दुनिया के हर प्रमुख शहर से नॉन-स्टॉप विमान कनेक्टिविटी देना टाटा समूह का लक्ष्य है। निजीकरण से जो आर्थिक क्षमताएं खुल रही हैं, वे इस ऑर्डर में नजर आती हैं।

कुल 1,100 विमानों के ऑर्डर भारत से
भारत से विभिन्न घरेलू कंपनियों ने 1,100 विमानों के खरीद ऑर्डर इस समय दे रखे हैं। यह दर्शाता है कि उड्डयन क्षेत्र कितनी तेजी से बढ़ने को तैयार है। अभी देश में एयरबस के 470 विमान सेवाएं दे रहे हैं। अकेले उसके पास 850 विमानों के ऑर्डर भारतीय कंपनियों से और हैं। बोइंग के 159 विमान भी सेवा में हैं।

एअर इंडिया का नया ऑर्डर 17 साल बाद हुआ है। 2005 में भारत सरकार के अधीन रहते हुए कंपनी ने करीब 1,080 करोड़ डॉलर में 111 विमानों की खरीद का ऑर्डर दिया था, जिनमें 68 बोइंग और 43 एयरबस के थे।

एचएएल अर्जेंटीना के वायुसेना के हेलिकॉप्टरों के लिए कलपुर्जे देगा
उड्डयन क्षेत्र की सरकारी निर्माण कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लि. (एचएएल) ने अर्जेंटीना की वायुसेना के दो टन श्रेणी वाले हेलिकॉप्टरों के पुर्जे की आपूर्ति का ठेका हासिल कर लिया है। कंपनी को इन हेलिकॉप्टरों की मरम्मत का ठेका भी मिला है। अर्जेंटीना पहले ही भारत के हल्के लड़ाकू विमान तेजस की खरीद में रुचि दिखा चुका है। एचएएल के एक अधिकारी ने बृहस्पतिवार को कहा, एयरो इंडिया 2023 के मौके पर इससे संबंधित अनुबंध पर अर्जेंटीना की वायुसेना (एएएफ) के प्रमुख ब्रिगेडियर जनरल जेवियर इसाक और एचएएल के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक सीबी अनंतकृष्णन ने हस्ताक्षर किए। ब्रिगेडियर जनरल इसाक ने कहा, मरम्मत और पुर्जों की आपूर्ति का अनुबंध भारत और अर्जेंटीना के बीच भविष्य की संभावनाओं और रक्षा सहयोग की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। अनंतकृष्णन ने कहा कि यह अनुबंध लैटिन अमेरिकी क्षेत्र में रक्षा निर्यात के लिए नई गति देने का मार्ग प्रशस्त करेगा।

आकासा एयर भी विमानों का बड़ा ऑर्डर देने की तैयारी में
एयर इंडिया द्वारा 840 विमानों के ऑर्डर की खबर के बीच भारत की एक और एयरलाइंस कंपनी आकासा एयर ने बयान दिया है कि वह भी साल 2023 में विमानों की खरीद का बड़ा ऑर्डर देने जा रही है। यह विमान नैरो-बॉडी जेट होंगे। केवल 200 दिन पहले शुरू हुई एयरलाइंस के पास अभी 17 बोइंग 737 मैक्स विमान हैं, जो उन 72 विमानों में शामिल हैं, जिनका ऑर्डर मार्च 2027 तक पूरा होना है।

एअर इंडिया और बोइंग के सौदे से गहरे होंगे भारत संग रिश्ते : अमेरिका
अमेरिका ने कहा है कि एअर इंडिया और बोइंग के बीच भारी-भरकम विमान सौदा पहले से ही मजबूत भारत-अमेरिका संबंधों को और गहरा करने का मौका है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा, साझा हितों, साझा मूल्यों और गहरे आर्थिक संबंधों पर आधारित हमारे पहले से मजबूत रिश्ते को और गहरा करने का यह अवसर है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने इस समझौते के कारण अमेरिका में 10 लाख नौकरियां सृजित होने की घोषणा की है। प्राइस ने कहा, यह सिर्फ अमेरिकी अर्थव्यवस्था और यहां के कामगारों ही नहीं बल्कि भारतीय लोगों के लिए भी एक अवसर है। उन्होंने कहा, अमेरिका सिर्फ भारत ही नहीं पूरी दुनिया में वाणिज्यिक कूटनीति में संलग्न है और इसके जरिये हम पूरी दुनिया के देशों के साथ अपने आर्थिक संबंध मजबूत करने के लिए दृढ़, ठोस और व्यावहारिक तरीके तलाशते हैं।

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