विदेश

अमेरिका ने हिजाब, बुलडोजर और नागरिकता कानून पर भारत को घेरा, अमित शाह के बयान का भी किया जिक्र

नई दिल्‍ली । अमेरिका (America) ने एक बार फिर भारत में धार्मिक अल्पसंख्यकों की स्थिति पर चिंता व्यक्त की है. अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता (International Religious Freedom, IRF) के लिए भारतीय मूल के अमेरिकी राजदूत रशद हुसैन ने IRF के वार्षिक सम्मेलन में बोलते हुए अल्पसंख्यकों, हिजाब बैन, घरों को बुलडोजर से गिराए जाने, नागरिकता कानून आदि मुद्दों पर भारत को घेरा है. रशद ने कहा कि इन सब मुद्दों को लेकर अमेरिकी अधिकारी भारत के संपर्क में रहे हैं.

एक रिपोर्ट के मुताबिक, गुरुवार को IRF के वार्षिक शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए हुसैन ने बताया कि उनके पिता 1969 में भारत से अमेरिका आए थे और वह अब भी भारत में होने वाली घटनाओं पर नजर रखते हैं.


उन्होंने कहा, ‘इस देश ने (अमेरिका ने) उन्हें सब कुछ दिया लेकिन वो भारत से प्यार करते हैं और वहां होने वाली प्रतिदिन की घटनाओं पर बारीकी से नजर रखते हैं. मेरे माता-पिता और मैं वहां होने वाली घटनाओं पर बात करते हैं, जैसा कि आप लोग वहां की घटनाओं को लेकर हमारे पास आते हैं. आप सब देख रहे हैं कि भारत में क्या हो रहा है. हम सब भारत से प्यार करते हैं और चाहते हैं कि वो अपने मूल्यों पर जिए.’

हुसैन ने आगे कहा कि अमेरिका भारत में कई धर्म के लोगों को लेकर चिंतित है और धार्मिक अल्पसंख्यकों की चुनौतियों के समाधान को लेकर भारतीय अधिकारियों से संपर्क बनाए हुए है.

उन्होंने सम्मेलन के दौरान कहा, ‘भारत ने अब एक नागरिकता कानून बना लिया है जिसका जिक्र किताबों में भी है. हमें भारत में नरसंहार के खुले आह्वान सुनने के मिलते हैं. हम चर्चों पर हमले की खबरें सुन रहे हैं, हिजाब पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, घरों को तोड़ने की खबरें आ रही हैं.’

गृह मंत्री अमित शाह की टिप्पणी का भी जिक्र
रशद ने अपने संबोधन के दौरान स्पष्ट रूप से गृह मंत्री अमित शाह की उस टिप्पणी का जिक्र किया जिसमें उन्होंने बांग्लादेशी मुस्लिम प्रवासियों को ‘दीमक’ कहा था. रशद ने कहा, ‘हमने लोगों के प्रति नेताओं की अमानवीय बयानबाजी सुनी है जिसमें एक मंत्री ने मुसलमानों को ‘दीमक’ कहा. तो हमें ये सब देखने-सुनने को मिल रहा है. जरूरी है कि हम इस तरह की चुनौतियों को संज्ञान में लें और इनके खिलाफ कार्रवाई करें.’

हुसैन ने यह भी कहा कि वो भारतीय ईसाइयों, सिखों, दलितों और आदिवासियों से मिले हैं और उनकी परेशानियों को सुना है. उन्होंने याद दिलाया कि यूएस होलोकॉस्ट म्यूजियम के Early Warning Project ने ‘भारत को नरसंहार के जोखिम में दुनिया में नंबर दो देश’ के रूप में नामित किया है.

उन्होंने राजस्थान के उदयपुर में एक हिंदू दर्जी का हत्या का जिक्र करते हुए कहा, ‘किसी भी समाज की भलाई के लिए हमें सबके अधिकारों को ध्यान में रखना होगा. हमारा काम दुनिया में हर जगह सभी लोगों की धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा करना है. जरूरी है कि हम एक साथ काम करें और सभी लोगों के अधिकारों के लिए लड़ें. अगर किसी पर हमला होता है या पहले कभी हमला हुआ है तो हमें उसकी निंदा करनी होगी.’

भारत भी देता रहा है जवाब
भारत अमेरिका से लगातार आ रही इस तरह की टिप्पणियों और रिपोर्टों को खारिज करता रहा है. अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने पिछले महीने ही भारत में धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी जिसे भारत ने खारिज कर दिया. भारत ने कहा कि ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों में ‘वोट बैंक की राजनीति’ की जा रही है. भारत ने अपनी प्रतिक्रिया में नस्लीयता और जातीयता से प्रेरित हमलों, घृणा अपराधों और अमेरिका में बंदूक की हिंसा पर चिंता व्यक्त की थी.

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