बड़ी खबर

आंध्र प्रदेश : ब्लैक फंगस के 8 दिन में 200 पीड़ित, कुल 4,889 रोगी जूझ रहे

अमरावती। आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) में पिछले आठ दिनों में म्यूकोरमाइकोसिस (Mucormycosis) यानी ब्लैक फंगस (Black Fungus) के 200 मामले सामने आए हैं, जिससे राज्य में कुल मामले बढ़कर 4,889 हो चुके हैं. स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार, पिछले आठ दिनों में 12 लोगों ने ब्लैक फंगस रोग के कारण दम तोड़ दिया, जिससे अब तक जान गंवाने वाले लोगों की कुल संख्या 448 हो गई. आंकड़ों में कहा गया है कि 3,978 संक्रमित व्यक्तियों के ठीक होने के बाद राज्य में अब 463 उपचाराधीन मरीज रह गए हैं।

चित्तूर कुल 782 संक्रमणों और 100 मौतों के साथ प्रभावित जिलों की सूची में सबसे ऊपर है. गुंटूर जिला 740 मामलों के साथ दूसरे स्थान पर है, लेकिन यहां मृतक संख्या केवल 20 है. पश्चिम गोदावरी में शून्य उपचाराधीन मामले हैं जबकि विजयनगरम में केवल एक है. स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार, राज्य में ब्लैक फंगस से संक्रमित व्यक्तियों की 2,687 सर्जरी की गई है।


कोरोना के कारण पहले ही कमजोर हो चुके लोगों में ये दुर्लभ संक्रमण दिख रहा है. ब्लैक फंगस इसलिए भी खतरनाक है क्योंकि इसमें मृत्युदर लगभग 50 प्रतिशत होती है. और इससे बचने पर भी मरीज की आंखों की रोशनी जाने से लेकर चेहरा विकृत हो जाने जैसी कई आशंकाएं रहती हैं. असल में ब्लैक फंगस संक्रमण कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वालों को ही होता है. अब चूंकि कोरोना के हमले के कारण बहुत से लोग कमजोर हो चुके हैं तो ऐसे में ये फंगल इंफेक्शन भी बढ़ा. जबकि पहले ये बीमारी कीमोथेरेपी, अनियंत्रित शुगर, किसी भी तरह के ट्रांसप्लांट से गुजरने वाले लोगों और बुजुर्गों को ज्यादा प्रभावित करती थी।

नाक से होते हुए शरीर के बाकी अंगों तक पहुंचता है फंगस
ये बीमारी म्यूकॉरमाइसाइट्स नामक फफूंद से होती है. ये फफूंद नाक से होते हुए शरीर के बाकी अंगों तक पहुंचता है. आमतौर पर ये फंगस हवा में होता है और सांस के जरिए नाक में जाता है. कई बार शरीर के कटे या जले हुए स्थानों के इस फंगस के संपर्क में आने पर भी इंफेक्शन हो जाता है. यानी नाक इसके प्रवेश की मुख्य जगह है लेकिन ये शरीर के किसी भी अंग पर आक्रमण कर सकता है. खराब ब्रेड पर काले रंग की परत जो दिखती है, वो दरअसल यही फफूंद है. ये पेड़ों या किसी भी सड़ती हुई चीज पर दिख सकती है. इसके संपर्क में आने पर ये तेजी से शरीर में प्रवेश करती है और फैलती जाती है।

शुरूआती लक्षणों को पहचान लिया जाए तो बच जाती है जान
अगर शुरुआती कुछ लक्षणों को पहचान लिया जाए और समय पर इलाज मिल सके तो जान बच सकती है. वरना इसमें मौत की दर 50 प्रतिशत है. डायबिटीज के मरीजों के अलावा ऑर्गन ट्रांसप्लांट से गुजरे लोगों, बुजुर्गों और कोरोना से रिकवर लोगों को इससे सचेत रहने की जरूरत है. सिर में दर्द, नाक बंद होना या अंदर पपड़ी जमना, आंखों में लालिमा के साथ सूजन, इस तरह के लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करने की जरूरत है. हालांकि ये बीमारी एक के दूसरे को या जानवरों से इंसानों तक नहीं फैलती है, बल्कि सीधे फंगस के संपर्क में आने पर ही संक्रमण का डर रहता है।

Share:

Next Post

शुक्रवार का राशिफल

Fri Sep 3 , 2021
भाद्रपद कृष्ण पक्ष द्वादशी, शुक्रवार, 03 सितम्बर 2021 का दिन आपके लिए कैसा रहेगा। आज आपके जीवन में क्या-क्या परिवर्तन हो सकता है, आज आपके सितारे क्या कहते हैं, यह जानने के लिए पढ़ें आज का भविष्यफल। मेष राशि :- आज का दिन शुभ फलदायी रहेगा। सोचे हुए काम पूरे हो सकते हैं। बिजनेस में […]