नई दिल्ली (New Delhi) । देश के कई राज्यों में गर्मी (Heat) ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया है. महाराष्ट्र (Maharashtra) समेत कई राज्यों में 40 डिग्री तक तापमान पहुंच चुका है. साथ ही लू की स्थिति भी देखने को मिल रही है. वहीं, उत्तर भारत के ज्यादातर राज्यों में तापमान 35 डिग्री के आस-पास दर्ज किया जा रहा है. इस बीच पशुओं (animals) को लू लगने का खतरा बढ़ गया है. लू लगने से पशुओं की त्वचा सिकुड़ने और दुग्ध उत्पादन कम होने के मामले सामने आते हैं. इन परिस्थितियों में कई बार पशुओं की मौत भी हो जाती है. ऐसी स्थिति से बचने के लिए पशुओं की सही देखभाल करनी जरूरी है.
पशुओं को पानी पिलाते रहें
गर्मी के मौसम में पशुओं को कम से कम 3 बार पानी पिलाना चाहिए. पानी पिलाने से पशुओं के तापमान को नियंत्रित करने में मदद मिलती है. इसके अलावा पशुओं को पानी में थोड़ी मात्रा में नमक एवं आटा मिलाकर पिलाने से लू लगने की संभावना कम होती है.
अगर आपके पशु को तेज बुखार है, उसकी जीभ बाहर निकल रही है. साथ ही सांस लेने में तकलीफ हो रही है. मुंह के आस-पास झाग निकलते दिखाई दे रहे हैं तो ऐसी स्थिती में पशु की एनर्जी कम हो जाती है. विशेषज्ञों के अनुसार, इस स्थिति में अस्वस्थ पशुओं को सरसों का तेल पिलाना फायदेमंद हो सकता है. सरसों के तेल में वसा की मात्रा अच्छी खासी होती है. जिससे शरीर को एनर्जी मिलती है. ऐसे में जब गाय और भैंस के बच्चे पैदा होते हैं तो उन्हें सरसों का तेल पिलाया जा सकता है.
सीतापुर के पशुपालन वैज्ञानिक डॉ आनंद सिंह के मुताबिक, गर्मी एवं लू से पशु को बचाने के लिए अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है. ऐसी स्थिति में सरसों के तेल का सेवन कराना फायदेमंद होता है. एनर्जी मिलने से पशु तुरंत अच्छा फील करने. हालांकि, सरसों का तेल पशुओं को रोजाना देना फायदेमंद नहीं है. डॉ आनंद सिंह के मुताबिक, पशुओं को सरसों का तेल तभी दें, जब वह बीमार हों या एनर्जी लेवल डाउन हो. इसके अलावा पशुओं को एक बार में 100 -200 ML से ज्यादा तेल का सेवन नहीं करने देना चाहिए. हालांकि, अगर आपकी भैंस या गायों के पेट में गैस बन गई है तो इस स्थिति में जरूर उन्हें 400 से 500 ML सरसों का तेल पिलाया जा सकता है. साथ ही पशुओं का बाड़ा ऐसी जगह बनाएं जहां दूषित हवा नहीं आती है. बाड़े में हवा आने के लिए रोशनदान या खुली जगह होनी चाहिए.
पशुओं के आहार पर ध्यान दें
गर्मी के मौसम में लू के चलते पशुओं में दूध देने की क्षमता कम हो जाती है. ऐसे में अच्छी मात्रा में हरा एवं पौष्टिक चारा देना चाहिए. हरा चारा अधिक ऊर्जा प्रदान करता है. हरे चारे में 70-90 प्रतिशत तक पानी की मात्रा होती है. यह समय-समय पर जल की पूर्ति करती है. इससे पशुओं में दूध देने की क्षमता भी बढ़ जाती है.