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Assembly Elections 2023: मध्य प्रदेश में जातिगत मुद्दे पकड़ रहे जोर, कांग्रेस की नजर OBC पर

नई दिल्‍ली (New Delhi)। बिहार से उठी जाति जनगणना (caste census) की चिंगारी से पूरे देश में फैलती जा रही है। इस ससय पांच राज्यों में होने जा रहे विधानसभा और साल 2024 के लोकसभा चुनाव (Assembly Elections 2023) से पहले जाति जनगणना एक बड़ा मुद्दा बनकर सामने आ गया है।

यहां तक कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी पर ओबीसी की भागीदारी के मुद्दे से ध्यान बंटाने का आरोप लगाते हुए कहा कि वो देश की सामाजिक आर्थिक हकीकत का एक्सरे कराने से डर रहे हैं। राहुल ने कहा कि इस मुद्दे से ध्यान भटकाने के लिए वो (पीएम मोदी) अलग-अलग तरह के तरीके भी अपनाएंगे। पार्टी ने ये भी ऐलान किया कि सत्ता में आने पर वो महिला आरक्षण को भी तत्काल प्रभाव से लागू करने के लिए उचित कदम उठाएगी।

बता दें कि अगले माह होने जा रहे विधानसभा चुनाव को लेकर पार्टियां अभी से जातिगत समीकरण बनाने में लग गई है। मध्य प्रदेश में 17 नवंबर को मतदान होना है। एक ओर जहां मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की 18 साल की सरकार दांव पर है। वहीं, कांग्रेस 2020 में मिले झटके का बदला लेने का मौका तलाश रही है। मतदान में महज 35 दिन ही बाकी हैं और राज्य में ये 10 मुद्दे भारतीय जनता पार्टी या कांग्रेस का भविष्य तय करने की तैयारी कर रहे हैं।



भ्रष्टाचार
कांग्रेस राज्य की भाजपा सरकार पर ’50 फीसदी कमीशन’ के आरोप लगा रही है। यहां तक कि कांग्रेस ने ‘पैसे दो काम लो’ का नारा देना भी शुरू कर दिया है। कमलनाथ बार-बार सरकार को इस मुद्दे पर घेर रहे हैं। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा तो दावा कर चुकी हैं कि भाजपा ने 18 सालों में 250 स्कैम किए हैं। पीएम मोदी ने भी कांग्रेस पर निशाना साधा था और कहा था कि विपक्ष मिलकर कम से कम 20 लाख करोड़ा का घोटाला कर चुका है। उन्होंने कोल, 2जी स्पैक्ट्रम जैसे मुद्दों को उठाया था।

किसान
एमपी की 70 फीसदी आबादी किसानी से जुड़ी है। साल 2018 में कांग्रेस ने मंदसौर में हुई पुलिस गोलीबारी की घटना का जिक्र कर किसानों को अपनी तरफ खींचने की कोशिश की थी। पार्टी कर्ज माफी, मुफ्त बिजली जैसे कई वादे भी कर रही है। जबकि, भाजपा यहां मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना और प्रधानमंत्री आवास योजना के सहारे वर्ग को लुभाने की कोशिश में है।

बेरोजगारी
सीएम चौहान वादा कर चुके हैं कि अगर पार्टी सत्ता में आती है, तो हर घर से एक व्यक्ति को रोजगार देंगे। पार्टी ने बेरोजगारी युवाओं के लिए सीखो कमाओ योजना भी शुरू की है, जिसके तहत योग्यता के आधार पर स्टाइपेंड मिलता है। इधर, कांग्रेस ये आरोप तक लगा चुकी है कि भाजपा सरकार ने एमपी में तीन सालों में सिर्फ 21 सरकारी नौकरियां दी हैं। मार्च में विधानसभा में पेश आंकड़े बताते हैं कि 39 लाख 93 हजार 149 लोगों ने खुद को रोजगार कार्यालयों में दर्ज कराया है।

आदिवासी
कहा जाता है कि साल 2018 में भाजपा की हार के बड़े जिम्मेदार आदिवासी बहुल इलाके थे। उस दौरान भाजपा सिर्फ 16 एसटी सीटें जीत सकी थी। जबकि, कांग्रेस के खाते में 30 सीटें गईं थी। राज्य की कुल आबादी में 21 प्रतिशत आदिवासी हैं, जहां 47 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं। राज्य की कुल एसटी आबादी में से 40 प्रतिशत भील समुदाय है। इनके बाद गौंड 34 फीसदी आते हैं। राज्य में आदिवासी पर पेशाब करने का मामला काफी तूल पकड़ा था। खुद सीएम को पीड़ित के पैर धोते देखा गया था।

दलित
राज्य में 17 प्रतिशत अनुसूचित जाति की आबादी है। यहां 230 सीटों में से 35 सीटें आरक्षित हैं। कहा जाता है कि यहां इनमें सबसे ज्यादा संत रविदास को मानने वाले हैं। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 100 करोड़ रुपये के रविदास मंदिर की नींव रखी है। एसी मतदाता बुंदेलखंड, ग्वालियर, चंबल और विंध्य क्षेत्रों में अहम भूमिका निभा सकते हैं। 2018 विधानसभा चुनाव में भाजपा के खाते में 18 सीटें आई थीं। जबकि कांग्रेस 17 सीटें जीतने में सफल रही थी।

सत्ता विरोधी लहर
‘मामा’ से लेकर ‘बुलडोजर मामा’ की छवि तैयार कर चुके सीएम चौहान के सामने सत्ता विरोधी लहर एक बड़ी चुनौती है। एमपी के सबसे लंबे समय तक सीएम होने के रिकॉर्ड के बावजूद पार्टी ने भी उन्हें अगले मुख्यमंत्री के तौर पर पेश नहीं किया है। इतना ही नहीं भाजपा ने तीन केंद्रीय मंत्रियों, चार सांसदों और एक महासचिव को मैदान में उतारकर मुकाबला रोचक कर दिया है।

अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC)
बिहार में जाति जनगणना के आंकड़े जारी होते ही एक बार फिर इसका शोर अन्य राज्यों में होने लगा है। ऐसे में कहा जाने लगा है कि एमपी भी इसकी गूंज सुनाई दे सकती है। राज्य में ओबीसी आबादी 50 फीसदी के आसपास मानी जाती है, जिसे भाजपा का बड़ा वोटर माना जाता है। कांग्रेस को उम्मीद है कि जाति जनगणना की मांग के जरिए ओबीसी में पैठ बना सकते हैं। पार्टी ने ओबीसी आरक्षण में महिला कोटा की भी बात छेड़ दी है।

महिलाएं
बुरहानपुर में महिलाओं के पैर धोते हुए नजर आ चुके सीएम चौहान साफ संदेश दे चुके हैं कि पार्टी महिला मतदाताओं से खासी उम्मीद लगा रही है। आंकड़े बताते हैं कि राज्य में 2.67 करोड़ महिला वोटर हैं। हाल ही में भाजपा ने महिलाओं को नौकरी में 35 फीसदी आरक्षण देने का ऐलान किया है। इधर, कमलनाथ भी ऐसी ही नीतियों की बात कर रहे हैं और आर्थिक सहयोग देने का ऐलान भी कर चुके हैं। कांग्रेस महिलाओं के खिलाफ अपराध के मुद्दे पर भी भाजपा को घेर रही है।

हिंदुत्व
एक ओर जहां भाजपा उज्जैन में महाकाल लोक कॉरिडोर और ओंकारेश्वर में आदि शंकराचार्य की मूर्ति का बार-बार जिक्र कर रही है। वहीं, कांग्रेस नेता कमलनाथ भी हनुमान भक्त की छवि बनान में जुटे हुए हैं। इतना ही नहीं उन्होंने राज्य में बजरंग सेना को भी कांग्रेस में शामिल होने का न्योता दिया था। जन आशीर्वाद यात्राओं में भाजपा सनातन धर्म को लेकर की गई टिप्पणियों पर भी कांग्रेस को घेर रही है।

गुटबाजी
सूची जारी होने के बाद और उससे पहले भी भाजपा में असंतोष की खबरें आती रही थीं। कई बड़े नेता पार्टी छोड़ने का तक का फैसला कर चुके थे। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह समेत कई बड़े भाजपा नेता इसे खत्म करने की कोशिश करते देखे गए। कहा जा रहा है कि पार्टी में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया खेमे और भाजपा के कुछ नेताओं के बीच तनातनी चल रही है। हालांकि, इसे लेकर खुलकर कुछ नहीं कहा गया।

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