– मामला राऊ की योजना 165 का… मुख्यमंत्री की घोषणा बनी गले की हड्डी… आज बोर्ड करेगा फैसला
इंदौर। बीते कई सालों से प्राधिकरण की पुरानी योजना 165 सियासी दाव-पेंच में उलझी हुई है, जिस पर नए लैंड पुलिंग एक्ट के तहत प्राधिकरण बोर्ड ने टीपीएस-2 योजना घोषित की, लेकिन पिछले दिनों इंदौर आए मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने इस योजना को छोडऩे की घोषणा कर दी, जिसके चलते शासन ने प्राधिकरण से बोर्ड बैठक पर निर्णय लेने को कहा। नतीजतन आज 4 बजे होने वाली बोर्ड बैठक में इस पर निर्णय लिया जाएगा। हालांकि प्राधिकरण बोर्ड अवॉर्ड पारित जमीन को छोडऩे का निर्णय नहीं ले सकेगा, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट से लेकर लोकायुक्त से कई महत्वपूर्ण फैसले इस बारे में स्पष्ट हैं। राऊ की योजना में शामिल 100 एकड़ जमीन पर 109 करोड़ का ना सिर्फ अवॉर्ड पारित हुआ, बल्कि लगभग 10 करोड़ रुपए की राशि प्राधिकरण ने जमा करवाई और कुछ किसानों ने यह राशि हासिल भी कर ली है।
सालों से प्राधिकरण नए भूमि अधिग्रहण कानून के चलते योजनाओं को विकसित नहीं कर पाया, क्योंकि 2 से 4 गुना नकद मुआवजा संभव नहीं था और कई जमीन मालिक किसान अनुबंध करने को तैयार नहीं हुए। बाद में पूर्व कमलनाथ सरकार ने लैंड पुलिंग एक्ट लागू कर दिया, जिसकी समय सीमा 6 महीने की थी, तब तक प्राधिकरण को अपनी 11 योजनाओं पर निर्णय लेना था। लिहाजा पिछले दिनों बोर्ड ने नए एक्ट के तहत इन सभी जमीनों पर नई योजनाएं लागू कर दी, जिसमें राऊ की चर्चित योजना 165 भी शामिल रही, जिस पर प्राधिकरण ने टीपीएस-2 योजना घोषित की। अभी प्राधिकरण ने 7 योजनाओं के नोटिफिकेशन भी जारी कर दिए, ताकि जमीन मालिक दावे-आपत्तियां प्रस्तुत कर सकें। मगर राऊ की योजना को रोक लिया गया, क्योंकि पिछले दिनों इंदौर आए मुख्यमंत्री ने इस योजना को छोडऩे की घोषणा कर दी थी। दरअसल राऊ के साथ-साथ सांवेर विधानसभा क्षेत्र की भी कुछ जमीन इसमें आती है और कांग्रेस-भाजपा दोनों ही दलों के नेता सालों से इस योजना को छोडऩे की मांग करते रहे हैं। हालांकि मुख्यमंत्री अपने पुराने कार्यकाल में भी इस तरह की घोषणा कर चुके हैं, लेकिन असल परेशानी यह है कि आवास मंत्रालय इस संबंध में स्पष्ट आदेश नहीं भेजता है। अभी प्राधिकरण ने नए लैंड पुलिंग एक्ट के तहत घोषित अपनी योजनाओं को मंजूरी के लिए शासन को भिजवा दिया, जिसमें राऊ की योजना के संबंध में मुख्यमंत्री की घोषणा का भी हवाला दिया गया। इस पर शासन ने प्राधिकरण से कहा कि वह बोर्ड बैठक में इसका निर्णय करे। नतीजतन आज प्राधिकरण ने बोर्ड बैठक बुलाई है, जिसमें निर्णय लेकर शासन को अवगत करवाया जाएगा। हालांकि अधिकारियों का स्पष्ट कहना है कि योजना को छोडऩे का निर्णय प्राधिकरण अपने स्तर पर ना पहले कर पाया था, ना अभी कर सकेगा। योजना में शामिल 100 एकड़ से अधिक जमीनों पर तो प्राधिकरण वैसे भी अनुबंध कर चुका है और शेष बची 100 एकड़ जमीन पर प्रशासन ने ही कुछ वर्ष पहले लगभग 109 करोड़ रुपए का अवॉर्ड मुआवजा बांटने के लिए पारित किया था, जिसमें से लगभग 10 करोड़ रुपए की राशि प्राधिकरण जमा भी कर चुका है और कुछ किसानों ने ये मुआवजे की राशि हासिल भी कर ली। हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट से लेकर लोकायुक्त के स्पष्ट आदेश हैं कि एक बार जिस योजना का अवॉर्ड पारित हो गया और धारा 50 (7) तक की प्रक्रिया पूरी हो गई उसे प्राधिकरण तो क्या, शासन भी नहीं छोड़ सकता। यही कारण है कि बीते कई सालों से योजना को छोडऩे की सिर्फ मुंहजुबानी घोषणाएं ही हो रही है। ना तो मुख्यमंत्री के निर्देश पर भोपाल के अधिकारियों ने इस संबंध में कोई लिखित आदेश भिजवाए और ना ही प्राधिकरण का पुराना राजनीतिक बोर्ड और अब अफसरों का बोर्ड कोई निर्णय ले पाया। अभी भी बोर्ड योजना छोडऩे का निर्णय अपने स्तर पर नहीं लेगा, क्योंकि कल से लोकायुक्त-ईओडब्ल्यू की जांच का सामना कोई अधिकारी करने को तैयार नहीं है।