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बड़े संघर्ष के बाद बाबा रामदेव ने रखी पतंजलि की नींव, ऐसे शुरू किया सफर

नई दिल्ली: योगा की बात आते ही सबसे पहले दिमाग में बाबा रामदेव का नाम आता है. संन्यासी से बाबा रामदेव आज बिलिनियर्स की लिस्ट में शामिल हो गए हैं. लेकिन इसके पीछे उनकी जर्नी इतनी आसान नहीं थी. बहुत मेहनत और संघर्ष के बाद वो इस मुकाम को हासिल करने में कामयाब रहे. शायद ही कोई बाबा रामदेव के योगगुरु से लेकर ऐक्टिविस्‍ट और FMCG बिजनेस के बाहुबली बनने तक के सफर के बारे में जानता होगा.

गुरु शंकरदेव से संन्यास दीक्षा लेने वाले बाबा थोड़े ही समय में देश के जानें-मानें उद्यमियों से अधिक मशहूर हो गए हैं. लेकिन बहुत कम लोग यह जानते होंगे की आज के बड़े बिजनेसमैन में शामिल बाबा रामदेव को भी कभी दो वक्त के खाने का मोहताज होना पड़ा होगा.

बाबा रामदेव का पूरा नाम रामकृष्ण यादव है. अब रामकृष्ण यादव को अधिकांश लोग स्वामी रामदेव या बाबा रामदेव के नाम से ही जानते है. रामदेव जी योगासन व प्राणायाम योग में महारत रखते है. जगह-जगह स्वयं जाकर योग-शिविरों का आयोजन करते हैं, अब तक देश-विदेश के करोड़ों लोगों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से योग सिखा चुके हैं.

दोस्तों से उधार लेकर कराया था कंपनी का रजिस्ट्रेशन
सन 1995 में पतंजलि का कंपनी के रुप में रजिस्ट्रेशन हुआ था. बाबा रामदेव और उनके सहयोगी आचार्य बालकृष्ण ने महज 13 हजार रुपये में पतंजलि का रजिस्ट्रेशन कराया था. उस वक्‍त इन दोनों के पास सिर्फ 3500 रुपये थे. किसी तरह दोस्‍तों से उधारी लेकर रेजिस्ट्रेशन शुल्‍क चुकाया गया. आज 28 साल बाद पतंजलि फूड्स कुकीज, विटामिन गमीज और मिलेट बेस्ड फूड्स जैसे हाई प्रीमियम प्रॉडक्ट्स बाजार में उतारने की तैयारी में है. बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि फूड्स (पहले का नाम रुचि सोया इंडस्ट्रीज) अभी बिस्किट्स, एडिबल ऑयल (खाने में इस्तेमाल होने वाला तेल), सोया चंक और शहद बेचती है.

कुछ ऐसे शुरू किया था सफर
बाबा रामदेव ने एक टीवी को दिए इंटरव्यु में कहा था कि उन दिनों हरियाणा और राजस्थान के शहरों में हर साल करीब पचास योग कैंप लगाता था उन दिनों बाबा रामदेव को अक्सर हरिद्वार की सड़कों पर स्कूटर चलाते देखा जाता था. साल 2002 में गुरु शंकरदेव की खराब सेहत के चलते बाबा रामदेव दिव्य योग ट्रस्ट का चेहरा बने जबकि उनके दोस्त बालकृष्ण ने ट्र्स्ट के फाइनेंस का जिम्मा संभाला और कर्मवीर को ट्रस्ट का प्रशासक बनाया गया था. इसके बाद से ही गुरुकुल के जमाने के ये तीनों दोस्त पतंजलि योगपीठ के आर्थिक साम्राज्य को आगे बढ़ा रहे है.


योग शिविर से हुए लोकप्रिय
हरिद्वार में दिव्य योग ट्रस्ट के बैनर तले बाबा रामदेव ने देश और विदेश में जोर-शोर से योग शिविर लगाने शुरु कर दिए थे. हरियाणा के गांवों से शुरु हुआ उनके योग सिखाने का ये सिलसिला गुजरात और दिल्ली से होते हुए मुंबई तक जा पुहंचा था. शुरुआत में बाबा रामदेव के योग शिविर में दो से ढाई सौ लोग आते थे लेकिन जैसे- जैसे उनकी लोकप्रियता बढ रही थी उनके शिविरों में लोगों की संख्या भी तेजी से बढती चली जा रही थी.

दान में मिले 50 हजार रुपये से शुरू किया जड़ी बूटी कारोबार
बाबा रामदेव के ट्रस्ट का मकसद आम लोगों के बीच योग और आयुर्वेद के प्रयोग को लोकप्रिय बनाना था. खुद बाबा रामदेव भी बताते हैं कि पहली बार उनको जो पचास हजार रुपये का दान मिला था उसी से उन्होंने आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों का कारोबार शुरु किया था जो आज हजारों करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है. साल 1995 मे दिव्य योग ट्रस्ट, साल 2006 में दूसरा पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट बना और तीसरा भारत स्वाभीमान ट्र्स्ट बाबा रामदेव एक के बाद एक अपने ट्रस्ट बनाते चले गए और इसी के साथ तेजी से इस संन्यासी का आर्थिक साम्राज्य भी फैलता चला गया है.

पतंजली ऐसे बन गई FMCG की बाहुबली
कंपनी मामलों के मंत्रालय की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक फाइनेंशियल ईयर 2011-12 में कंपनी की आय 453 करोड़ रुपये और मुनाफा 56 करोड़ रुपये था. फाइनेंशियल ईयर 2012-13 में कंपनी की आय बढ़कर 849 करोड़ रुपये और मुनाफा बढ़कर 91 करोड़ रुपये हो गया. कंपनी का कुल कारोबार 453 करोड़ रुपये से बढ़कर अब 30,000 करोड़ रुपये हो गया है.

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