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भाजपा से TMC में आए बाबुल सुप्रियो बोले-आठ वर्षों से किसी बंगाली को नहीं बनाया केंद्र में कैबिनेट मंत्री

कोलकाता। पूर्व केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो (Former Union Minister Babul Supriyo) ने सोमवार को केंद्र की भाजपा सरकार (BJP government) पर निशाना साधा। बाबुल सुप्रियो को तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) (Trinamool Congress-TMC) ने बालीगंज विधानसभा उपचुनाव में अपना उम्मीदवार बनाया है। सुप्रियो ने बंगाली गौरव को बढ़ावा देने की कोशिश करते हुए केंद्र की भाजपा सरकार से सवाल किया कि भाजपा ने आठ वर्षों के दौरान किसी भी बंगाली नेता को केंद्रीय कैबिनेट मंत्री क्यों नहीं बनाया?

गौरतलब है कि मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में बाबुल सुप्रियो को शहरी विकास, आवास मंत्रालय में राज्यमंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गई थी फिर 2016 में उन्हें भारी उद्योग और सार्वजनिक उद्यम में भी राज्यमंत्री ही बनाया गया था।

टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी ने रविवार को बालीगंज विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए बाबुल सुप्रियो और आसनसोल संसदीय सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए शत्रुघ्न सिन्हा को पार्टी का उम्मीदवार बनाया है। आसनसोल सीट बाबुल सुप्रियो के इस्तीफा देने के बाद खाली हुई है, उन्होंने पिछले साल भाजपा छोड़ कर टीएमसी का दामन थाम लिया था। वहीं, बालीगंज विधानसभा सीट नवंबर 2021 में बंगाल के मंत्री सुब्रत मुखर्जी के निधन के बाद खाली हुई थी।


बाबुल सुप्रियो ने कहा,”पिछले आठ वर्षों में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कभी नहीं महसूस किया कि एक बंगाली को कैबिनेट मंत्री बनाया जा सकता है। क्या उन्हें लगता है कि एक बंगाली कैबिनेट मंत्री बनने के लायक नहीं है? उत्तर भारत की पार्टियों ने हमेशा बंगालियों की उपेक्षा की है। मैंने भाजपा छोड़ दी क्योंकि मुझे केंद्रीय मंत्री के पद से हटा दिया गया था। मैं ममता बनर्जी को धन्यवाद देना चाहता हूं कि उन्होंने मुझे लोगों की सेवा करने का मौका दिया।”

आसनसोल सीट से शत्रुघ्न सिन्हा को उम्मीदवार बनाए जाने के मद्देनजर टीएमसी के ‘अंदरूनी-बाहरी’ चुनावी मुद्दे में विरोधाभास के सवाल पर सुप्रियो ने कहा कि ऐसा कुछ नहीं है। शत्रुघ्न सिन्हा एक प्रसिद्ध अभिनेता हैं और देश भर में एक जाना-पहचाना नाम है।

उन्होंने कहा कि “इसमें न तो विरोधाभास है और न ही भ्रम क्योंकि अन्य राज्यों के भाजपा नेता, जिन्हें बंगाल या इसकी संस्कृति से कोई प्यार नहीं था, वे राज्य में चुनाव जीतने के एकमात्र इरादे से आए थे। लेकिन शत्रुघ्न सिन्हा के मामले में ऐसा नहीं है।”

वहीं, शत्रुघ्न सिन्हा ने अपने प्रतिद्वंद्वियों द्वारा दिए गए “बाहरी” टैग को यह कहकर खारिज कर दिया कि वह “किसी अन्य बंगाली से कम बंगाली नहीं हैं।” शत्रुघ्न सिन्हा की यह टिप्पणी विपक्षी भाजपा के विरोध के बीच आई है, जिसमें सवाल किया गया था कि टीएमसी ने लोकसभा उपचुनाव के लिए एक “बाहरी” (बिहार से सिन्हा) को क्यों उम्मीदवार बनाया, जबकि टीएमसी ने 2021 का विधानसभा चुनाव ‘बंगालियाना’ (बंगालियों की अस्मिता और सांस्कृतिक मूल्य) के मुद्दे पर जीता था।

सुप्रियो की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि टीएमसी को बंगाली गौरव के अपने चुनावी मुद्दे पर सफाई देनी चाहिए। उन्होंने कहा, “बाबुल सुप्रियो अब बहुत कुछ कह रहे हैं। लेकिन जब वह भाजपा में थे तो उन्होंने कुछ क्यों नहीं कहा? टीएमसी को “अंदरूनी-बाहरी” लोगों के अपने बयान पर सफाई देनी चाहिए। जब भाजपा नेता बंगाल आए, तो वे बाहरी हो गए और जब टीएमसी दूसरे राज्यों के नेताओं को लाती है तो वे बंगाली बन जाते हैं। यह हास्यास्पद सिद्धांत है।”

पश्चिम बंगाल में ‘अंदरूनी-बाहरी’ मुद्दे पर बहस 2021 में राज्य के विधानसभा चुनाव के दौरान उभरा था, इस मुद्दे को सत्तारूढ़ टीएमसी ने राज्य में भाजपा के हिंदुत्व मुद्दे का मुकाबला करने के लिए अपना मुख्य चुनावी मुद्दा बनाया था और भाजपा पार्टी की ब्रांडिंग “बाहरी लोगों की पार्टी” के रूप में की थी।

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