भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

2 माह में Narmada जल में घटे बैक्टीरिया

  • ए ग्रेड जल की गुणवत्ता में पहले के मुकाबले और सुधरी
  • जीवनदायिनी नर्मदा के पानी में घुली और मिठास, बढ़ा ऑक्सीजन का स्तर

भोपाल। जीवनदायिनी नर्मदा नदी (Life-Giving Narmada River) के जल की गुणवत्ता में कोरोना काल में सुधार हुआ है। जल में टीडीएस (TDS), बीओडी (BOD), सीओडी (COD) और कोलीफॉर्म बैक्टीरिया (Coliform Bacteria) की मात्रा में कमी आई है। घुलित ऑक्सीजन (Oxygen) में .05 से .15 प्रतिशत तक वृद्धि हुई है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Pollution Control Board) के सर्वे में यह जानकारी सामने आई है। सुधार की मुख्य वजह लॉकडाउन (Lockdown),  लोगों में जागरूकता, नदी का बहाव अधिक रहना और ओंकारेश्वर (Omkareshwar) में चार सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (Sewage Treatment Plant) का संचालन है। मालूम हो वाटर क्वालिटी क्राइटेरिया (Water Quality Criteria) के अनुसार नर्मदा (Narmada) का जल ए श्रेणी का है।
लॉकडाउन में कारखाने बंद होने, तटों में लोगों की आवाजाही कम होने का सीधा असर प्रदेश की जीवनधारा की सेहत पर भी पड़ा है। नर्मदा जल में बैक्टीरिया की संख्या पहले के मुकाबले और कम हो गई है। वैज्ञानिक इसे अच्छा संकेत मान रहे हैं। नदी के अलग-अलग तटों से जुटाए गए सैंपल की जांच रिपोर्ट में सामने आए कं टेंट से नर्मदा जल में बैक्टीरिया की संख्या और कम होने की पुष्टि हुई है। नर्मदा जल में डिजॉल्व ऑक्सीजन का स्तर बढ़ा है। इससे ऑक्सीजन डिमांड कम हुई है। इसके साथ ही बैक्टीरिया की संख्या भी घटी है।

बैक्टीरिया की संख्या न्यूनतम स्तर पर
पिछले कई महीनों के मुकाबले बैक्टीरिया की संख्या न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई है। कोरोना कफ्र्यू के पहले के मुकाबले 2 महीने में नर्मदा जल की गुणवत्ता और बेहतर हुई है। कारखाने बंद होने के कारण नाले-नालियों से भी दूषित पानी उस अनुपात में सहायक नदी गौर, परियट में नहीं पहुंच रहा है। ये सहायक नदी नर्मदा में मिलती हैं।

ए श्रेणी में है पानी की गुणवत्ता
केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड द्वारा जल गुणवत्ता की ए, बी, सी, डी और ई श्रेणी तय की गई है। यह श्रेणी कोलीफॉर्म, घुली हुई ऑक्सीजन, बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) आदि के आधार पर है। नर्मदा जल में टीडीएस यानी टोटल डिजॉल्व सॉलिड, बीओडी, सीओडी यानी केमिकल ऑक्सीजन डिमांड व कोलीफॉर्म बैक्टीरिया की जांच की जाती है। ए श्रेणी के लिए कोलीफॉर्म बैक्टीरिया 50 से कम होना चाहिए। बीओडी दो मिलीग्राम प्रति लीटर से कम होना चाहिए और डिजॉल्व ऑक्सीजन छह मिलीग्राम प्रति लीटर या इससे ज्यादा होना चाहिए।

बुधनी और होशंगाबाद में पानी सबसे अधिक प्रदूषित
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार होशंगाबाद, बुधनी में अभी भी नर्मदा जल में बैक्टीरिया की संख्या बहुत ज्यादा है। इस दिशा में प्रयास होने चाहिए कि आम दिनों में भी नदी की सेहत अच्छी रहे जल गुणवत्ता प्रभावित न हो।

इनका कहना
कारखाने व अन्य औद्योगिक गतिविधियां भी बंद होने के कारण नालों, सहायक नदियों से होकर गंदा पानी नहीं पहुंच रहा है। लॉकडाउन के दौरान नर्मदा जल की गुणवत्ता में सुधार का ये बड़ा कारण है।
डॉ. एसके खरे, वैज्ञानिक, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

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