देश मध्‍यप्रदेश

बापू को मिले पौष्टिक दूध… इसलिए बकरियों को खिलाए सूखे मेवे, अनोखी है कहानी

खंडवा: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का मध्य प्रदेश के खंडवा से अनोखा रिश्ता रहा है और यहां उनके पशु प्रेम से जुड़ी कई कहानियां सुनी, सुनाई जाती हैं. बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि स्वतंत्रता आंदोलन के समय जब बापू खंडवा में आकर ठहरे थे, तब उनके सात्विक भोजन के लिए बकरी के दूध पीने का खास इंतजाम किया गया था. यहां तक कि इस बात का भी विशेष ख्याल रखा गया कि बापू को उत्तम क्वालिटी का बकरी का दूध मिले. ये किस्सा आज भी यहां पीढ़ी दर पीढ़़ी बहुत से लोगों की जुबान पर चस्पां हैं.

यहां महात्मा गांधी के स्वागत के लिए इंतजार कर रहे स्वतंत्रता सेनानियों को पहले से मालूम था कि बापू जी बकरी के दूध पीते हैं. लिहाजा इसकी खास व्यवस्था की गई. सोचा गया कि उन्हें शुद्ध और सात्विक भोजन मिले. इसके लिए स्थानीय लोगों ने बकरियों का इंतजाम तो किया ही, साथ ही उन बकरियों को एक हफ्ते पहले से सूखे मेवे खिलाए गए. ताकि बकरी के दूध अधिक से अधिक हों और वह दूध पौष्टिकता से भरपूर भी हो.

गांधी जी ने कंधे पर उठाया बकरी का बच्चा
ये कहानी सन् 1933 की है. इस साल 9 दिसंबर को महात्मा गांधी खंडवा आए थे और नागड़ा विला में रुके थे. उन्होंने यहां घंटाघर चौक पर आमसभा की थी. जिसमे कई स्वतंत्रता संग्राम सेनानी शामिल हुए. उस जमाने में शहर का घंटाघर चौक देश की आजादी के लिए चले ऐतिहासिक आंदोलनों का गवाह है.


नागड़ा परिवार के जय नागड़ा बताते हैं – जब गांधीजी उनके घर आकर रुके तो उनके खान पान के लिए बकरी के दूध की व्यवस्था की गई. उस दौरान गांधीजी का पशुओं के प्रति विशेष प्रेम भी देखने को मिला था. जय नागड़ा बताते हैं- महात्मा गांधी को यहां रास्ते में बकरी का बच्चा मिल गया, तो उन्होंने उसे बड़े ही प्यार से उठा लिया और अपने कंधे पर बिठाया. कंधे पर बकरी को लेकर वो कुछ दूर तक चले भी.

खंडवा में स्वतंत्रता आंदोलन की निशानियां
महात्मा गांधी ने यहां संबोधित भी किया था. यह कहानी और उनके भाषण के संदेश खंडवा के इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं. इस दौरान उनके साथ स्वतंत्रता संग्राम सेनानी राष्ट्रकवि पंडित माखनलाल चतुर्वेदी, पंडित भगवंतराव मंडलोई, रायचंद्र नागड़ा सहित शहर के कई स्वंतत्रता संग्राम सेनानी उपस्थित थे.

अतिक्रमण की चपेट में ऐतिहासिक घंटाघर
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और फोटोग्राफर रायचंद नागड़ा ने इस ऐतिहासिक पल को अपने कैमरे में कैद किया था. गांधीजी जिस बॉम्बे बाजार से गुजरे उसे बाद में महात्मा गांधी मार्ग और घंटाघर चौक को गांधी चौक नाम दिया गया. साल 1987 में 7 अगस्त को यहां आजादी की 40वीं वर्षगांठ और नेहरू जन्म शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में एक स्मारक का निर्माण किया गया था. लेकिन बताया जा रहा है कि यह स्मारक इन दिनों अतिक्रमण की चपेट में है.

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