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इस वजह चीन के करोड़ों लड़के है अविवाहित

डेस्‍क। दुनिया में सबसे ज्यादा आबादी वाले चीन (China) में लगभग 3 करोड़ युवक शादी के लिए तैयार होने के बावजूद अविवाहित हैं। वजह है वहां का लिंगानुपात (gender imbalance in China), जिसके कारण लड़कियां नहीं मिल पा रही हैं। बता दें कि वहां 118 लड़कों पर 100 लड़कियां हैं। ये फर्क काफी बड़ा है, जो अब शादी न होने और संतान न होने के कारण चीन की बुजुर्ग होती आबादी के रूप में दिख रहा है।

दूसरे विश्व युद्ध के बाद वैसे तो दुनिया के सभी देशों में आबादी बढ़ी लेकिन चीन पर इसका ज्यादा ही असर हुआ। वहां आबादी काफी तेजी से बढ़ने लगी, जिससे देश की इकनॉमी चरमरा गई। इसे ही देखते हुए वहां सत्तर के दशक में वन चाइल्ड पॉलिसी लागू हुई। यानी एक बच्चा नीति, जिसका मकसद आबादी पर नियंत्रण था ताकि अर्थव्यवस्था मजबूत हो सके।

लड़कों के जन्म को दी प्राथमिकता इससे जनसंख्या तो काबू में आने लगी लेकिन नकारात्मक असर भी हुआ। वहां पुरानी सोच वाले चीनी परिवारों ने लड़कों के जन्म को तवज्जो दी। इस वजह से चीन में आज लड़कियों का प्रतिशत लड़कों से काफी कम है।

माना जाता है कि वहां बीते तीन दशकों में वन चाइल्ड पॉलिसी के कारण 37 मिलियन चीनी बच्चियों को या तो गर्भ में ही मार दिया गया, या फिर उन्हें छोड़ दिया गया, जिससे वे तस्करी की शिकार होकर लापता हो गईं। वेबसाइट zmescience के मुताबिक ये आंकड़ा उस 400,000,000 गर्भपात से अलग है, जो एक-बच्चा नीति के कारण खत्म हो गए।


पॉलिसी में साल 2016 में ढील दे दी गई लेकिन तब तक असमानता आ चुकी थी। अब चीन में लड़कों की बड़ी आबादी शादी के लिए साथी न मिलने की समस्या से जूझ रही है। फुडान यूनिवर्सिटी के चीनी अर्थशास्‍त्री यी कांग एनजी (Yew-Kwang Ng) के मुताबिक फिलहाल चीन में लैंगिक असमानता इतनी ज्यादा है कि 118 लड़कों पर 100 लड़कियां हैं। इसी वजह से लड़के शादी की इच्छा होते हुए भी अविवाहित रह रहे हैं।

यूनिसेफ (UNICEF) की एक रिपोर्ट बताती है कि चीन में 5 साल से कम उम्र के लगभग 290 मिलियन बच्चों का जन्म प्रमाणपत्र नहीं है। यानी ये बच्चे चीन में किसी भी तरह की सरकारी सुविधा नहीं ले पाते, जब तक कि बर्थ सर्टिफिकेट न हो। इसके अलावा 13 मिलियन लोग ऐसे हैं, जिनका जन्म एक बच्चे के बाद हुआ। ऐसे लोगों को भी सुविधाएं नहीं मिल पातीं, जैसे घर का रजिस्ट्रेशन करा पाना या सरकारी नौकरी।

एक अनुमान के मुताबिक साल 2030 तक चीन में 4 में से चीनी पुरुष शादी कर सकेगा, जबकि बाकी 3 चाहने के बाद भी अविवाहित रह जाएंगे। इसका जिक्र द डेमोग्राफिक फ्यूचर नाम की किताब में है, जिसे Nicholas Eberstadt ने लिखा है। इसके अनुसार 30 या उससे ज्यादा उम्र के लगभग 25% चीनी पुरुष शादी के इच्छा के बाद भी शादी नहीं कर पाएंगे क्योंकि लड़कियां नहीं होंगी।


शादी की समस्या के अंत के लिए चीन के पुरुष अब एक अजीब और गैरकानूनी तरीका अपना रहे हैं। वहां शादियों के लिए गरीब देशों से लड़कियों की तस्करी की जा रही है। इनमें कंबोडिया पहला नाम है। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले दशकभर के भीतर इस देश से हजारों युवतियां और कम उम्र लड़कियों को शादी के लिए चीन में ट्रैफिक किया गया।

एंटी-ट्रैफिकिंग पर काम करने वाली स्वयंसेवी संस्था Chab Dai के प्रोग्राम मैनेजर चेन सरॉन कहते हैं कि कोरोना के कारण कंबोडिया में पर्यटन और गारमेंट पर बुरा असर हुआ है। इसके कारण लोग तो बेरोजगार हुए ही, लेकिन पहला असर लड़कियों के काम पर पड़ा। लड़कियों के पास न तो काम है और न ही जीवन चलाने के लिए पैसे। इससे बिचौलियों के लिए लड़कियों को शादी के लिए बरगलाना आसान हो गया है।

कंबोडिया से चीन भेजी जा रही युवतियों की उम्र वैसे तो औसतन 20 साल के आसपास है लेकिन बहुत सी लड़कियां 14 साल की भी हैं। ये दुल्हन बनाने और अच्छा खाना-कपड़े के सपने दिखाकर चीन भेजी जाती हैं लेकिन वहां पहुंचते ही इनका जीवन और अस्थिर हो जाता है। ज्यादातर लड़कियां जो चीन से किसी तरह भागकर वापस पहुंचीं, वे बताती हैं कि चीन में वे पत्नी नहीं, बल्कि सेक्स स्लेव (यौन गुलाम) की तरह रखी जाती थीं। उन्हें खाने को भी भरपेट नहीं मिलता था और न ही बीमार होने पर किसी इलाज की व्यवस्था थी।

पाकिस्तान की भी माइनोरिटी से लड़कियों की चीन में तस्करी की खबरें आती रहती हैं। साल 2019 में इस बारे में खबर आई थी कि पाकिस्तान की ईसाई लड़कियों को खरीदकर चीन के लोग शादी कर रहे हैं। खबर पर काफी हड़कंप मचा था। तब पाकिस्तानी अधिकारियों ने काईवाई करते हुए लगभग 50 बिचौलियों को पकड़ा भी था लेकिन इससे खास फर्क नहीं पड़ा।

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