टेक्‍नोलॉजी

Online शॉपिंग करने जा रहे है तो फर्जी Websites से रहे सावधान


– कई नामी कंपनियों की साइट्स और एप के क्लोन बनाए
नई दिल्ली। फेस्टिव सीजन शुरू हो गया है और देश में इन दिनों धडल्ले से ऑनलाइन शॉपिंग हो रही है। बड़ी-बड़ी कंपनियों पर सेल चल रही है। ऑनलाइन शॉपिंग के लिए लोग ई-कॉमर्स कंपनियों की वेबसाइट्स सर्च करते है और एप डाउनलोड करते है। देश में ऑनलाइन शॉपिंग के बढ़ते प्रचलन को देखते हुए कुछ शातिर लोग इन दिनों ठगी का नया तरिका लेकर आए है। ये बड़ी कंपनियों के की क्लोन साइट और एप बना रहे है और लोगों को अकाउंट से पैसे गायब कर रहे है। फेसबुक, वाट्सएप और अन्य सोशल नेटवर्क पर भी इस फेक एप और साइट्स के बारे में लिंक या एड आते है। ये कैसे शिकार बनाते है और इनसे कैसे बचा जाए यह जानते है।

इस तरह बनाते है ये शिकार
त्यौहारी सीजन में इन दिनों साइबर अपराधियों ने बड़ी-बड़ी नामी ई-कॉमर्स कंपनियों की वेबसाइट और एप का क्लोन बना लिए हैं। ये वेबसाइट आपको ओरीजनल वेबसाइट के जैसी ही लगेंगी। आपको वेबसाइट के प्रोडक्ट्स पर भारी ऑफर और डिस्काउंट देकर फंसाया जाता है। लेकिन जब आप इन वेबसाइट्स या एप्स पर पेमेंट कर देंगे उसके कुछ देर बाद ये लिंक गायब हो जाएगा। इस तरह साइबर अपराधी बड़े ही शातिराना अंदाज में लोगों को ठग रहे है। साइबर सेल ऐसी घटनाओं की जांच कर रहा है लेकिन ऑनलाइन लिंक डिलीट होने की वजह से इस तरह के क्राइम पर लगाम नहीं लग पा रही है।

प्ले स्टोर पर भी ऐसे एप मिल जाएंगे
ये शातिर ठग प्ले स्टोर पर ऐसी फर्जी एप्स को लॉन्च कर देते हैं जो काफी आसान होता है। प्ले स्टोर पर आपको ऐसे कई फर्जी एप्स मिल जाएंगे। इन एप्स को ब्रांडेड ई-कॉमर्स वेबसाइट्स या एप्स के फर्जी क्लोन के तौर पर बनाया जाता है। उसके बाद शातिर अपराधी अपनी फर्जी वेबसाइट्स पर आपको सामानों पर 60 से 80 फीसदी तक का डिस्काउंट ऑफर करते हैं। जब सस्ती चीजें मिल रही होती हैं तो आप तुरंत ऑर्डर कर देते है। सस्ते और डिस्काउंड के झांसे में लोग फंस जाते हैं। और अपने पसंदीदा सामान को कम कीमत में देखर तुरंत पेमेंट कर देते हैं। लेकिन उस आर्डर किए सामान की डिवरी कभी नहीं आती। जब आप उस लिंक को चेक करते हैं तो वो लिंक भी आपको डिलीट मिलता है।

साइबर अपराधियों को पकडऩा हो रहा मुश्किल
ये साइबर अपराधी इतने शातिर होते हैं कि कई बार प्लेस्टोर की जगह जब गूगल में किसी सामान को ऑनलाइन चेक करते हैं तो ये लोग गूगल एडवर्ड्स के जरिए अपनी फर्जी साइट्स को ट्रेंड करा देते हैं। ऐसे में आप जब सामान खरीदने के लिए उन साइट्स या ऐप्स पर क्लिक करते हैं तो आपको भारी डिस्काउंट दिया जाता है। याद रखें ये ऐप्स आपके ऑर्डर के बाद डिलीट कर दिए जाते हैं। लिंक डिलीट होने की वजह से ऐसे लोगों को ट्रैक करना काफी मुश्किल है।

कस्टमर केयर में लगाते है फोन तो पता चलती है ठगी
जब ऑर्डर किया सामान नहीं पहुंचता है तो कई कस्टमर्स कंपनी के कस्टमर केयर में फोन लगाते है, ई-कॉमर्स कंपनी के स्टमर केयर की ओर से बताया गया कि ऐसी उनकी कोई ऐप नहीं है और न ही कंपनी की ओर से ऐसा कोई ऑफर दिया जा रहा है। तब लोगों को ठगी का पता चलता है।

इस तरह बचा जा सकता है फेक साइट्स व एप से
कभी भी ऑनलाइन शॉपिंग करने से पहले आप आप कंपनी की वेबासइट के बारे में इटरनेट से पता लगा सकते हैं। ऑनलाइन ऐसी कई साइट्स हैं जो कंपनी के बारे में पूरी जानकारी देती है। कंपनी के रजिस्ट्रेशन से लेकर वह कितनी पुरानी है उसकी लीगलिटी क्या है ऐसी तमाम जानकारी आपको दे देंगी। कोई भी पेमेंट करने से पहले ई-कॉमर्स कंपनी के बारे में जांच लें। किसी भी कंपनी के पेज पर नीचे जाकर कॉपीराइट वाला ऑप्शन जरूर देख लें। अगर कंपनी सही होगी तो यहां आपको वैट आई डी भी दिखाई देगी।

यह भी देंखे-
अगर वेबसाइट के आगे https नहीं लगा तो समझो ये फर्जी साइट है।

रजिस्टर्ड वेबसाइट के url के सामने हमेशा लॉक लगा होता है इसे जरूर चेक कर लें।

वेबसाइट के होम पेज पर जाकर contact पर क्लिक करें अगर यहां आपको एड्रेस जैसी जानकारी न मिले तो ऐसी साइट्स से शॉपिंग करने से बचें।

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