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जन्‍मदिन विशेष, नरेंद्र मोदी : संघ के स्‍वयंसेवक से प्रधानमंत्री पद तक का सफर


भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आज 70वां जन्मदिन है. 17 सितंबर 1950 को गुजरात के वडनगर में जन्में नरेंद्र मोदी देश के पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं जिनका जन्म आजादी के बाद हुआ है. गुजरात से राजनीतिक सफर की शुरुआत करने वाले नरेंद्र मोदी अब प्रधानमंत्री के रूप में देश का नेतृत्व कर रहे हैं. 26 मई 2014 को उन्होंने पहली बार और 30 मई 2019 को दूसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी. नरेंद्र मोदी ने 7 अक्टूबर 2001 को गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी. 12 वर्षों में गुजरात में हुए विकास के आधार पर भारतीय जनता पार्टी ने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री के एकमात्र विकल्प के रूप में चुना.

देश का प्रधानमंत्री बनने के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने कई अहम फैसले लिए जिसकी चर्चा खूब रही. जीएसटी, नोटबंदी, स्वच्छ भारत अभियान, एक साथ ट्रिपल तलाक का खात्मा, जम्मू कश्मीर से धारा 370 और अनुच्छेद 35A को हटाना, नया नागरिकता संशोधन कानून लाना, नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लाना. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संबंध में सुधार जैसे कई अहम फैसले लिए जिसका जिक्र हमेशा रहा है. देश में गरीब तबके के लिए आयुष्मान भारत योजना, प्रधानमंत्री जन धन योजना, उज्जवला योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना जैसी कई योजनाएं शुरू की जिससे मोदी सरकार और लोकप्रिय होती रही.

राजनीति से परे नरेंद्र मोदी को लिखना पसंद है. उन्होंने कई कविता और कई किताबें लिखी हैं. प्रधानमंत्री देश के मुखिया हैं, लेकिन उन्हें भी आम आदमी की तरह फिल्में और गीत पसंद हैं. पीएम मोदी ने सेशेल्स में टुडे अख़बार को दिए एक साक्षात्कार में स्पष्ट किया था, “मेरा सामान्यता फिल्मों की ओर झुकाव नहीं है. लेकिन अपनी जवानी के दिनों में मैं फ़िल्में केवल उस उत्सुकता के लिए देखता था जो जवानी में होती है. परंतु उन दिनों भी कभी मेरा फ़िल्में देखने में मनोरंजन की दृष्टि से झुकाव नहीं था. इसके बजाय मैं फिल्मों में जीवन से जुडी सीखों को ढूंढता था.

मुझे याद है कि एक बार मैं अपने मित्रों एवं अध्यापकों के साथ मशहूर हिंदी फिल्म गाइड देखने गया जो कि आर. के. नारायण के एक नॉवल पर आधारित थी. और फिल्म के पश्चात् मैं दोस्तों के साथ एक गहरी बहस में पड़ गया. मेरा तर्क था कि फिल्म का मूल विषय यह था की अंत में प्रत्येक व्यक्ति को अपनी अंतरात्मा से मार्गदर्शन मिलता है. लेकिन क्योंकि मैं उम्र में छोटा था, मेरे दोस्तों ने मुझे गंभीरता से नहीं लिया!”

गाइड फिल्म ने उनके ऊपर एक और छाप छोड़ी- सूखे की सच्चाई और पानी की कमी से किसानों में दिखने वाली निरीहता. बाद में जब उन्हें अवसर मिला तो उन्होंने गुजरात में अपने कार्यकाल का एक बहुत बड़ा भाग जल संचय प्रणाली को एक संस्थागत रूप देने में लगाया. यह एक ऐसी परियोजना है जिसे वे प्रधानमंत्री के रूप में अब राष्ट्र स्तर पर भी ले आए हैं. और क्या मोदी का कोई मनपसंद गीत भी है? इस सवाल पर तात्कालिक स्मरण उन्हें 1961 की फिल्म ‘जय चित्तौड़’ में लता मंगेशकर द्वारा गाया गीत ही आता है – “हो पवन वेग से उड़ने वाले घोड़े.” भरत व्यास के शिक्षाप्रद बोलों पर एस. एन. त्रिपाठी द्वारा दिया गया मधुर संगीत मोदी का चिरप्रिय गीत रहा है – “तेरे कंधों पे आज भार है मेवाड़ का, करना पड़ेगा तुझे सामना पहाड़ का.हल्दीघाटी नहीं है काम कोई खिलवाड़ का, देना जवाब वहाँ शेरों के दहाड़ का.”

प्रधानमंत्री को सऊदी अरब के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘किंग अब्दुलअजीज सैश’ से सम्मानित किया जा चुका है. पीएम मोदी को रूस के शीर्ष सम्मान ‘द ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू द एपोस्टले सम्मान’, फिलिस्तीन के ‘ग्रैंड कॉलर ऑफ द स्टेट ऑफ फिलिस्तीन’ सम्मान, अफगानिस्तान के ‘अमीर अमानुल्ला खान अवॉर्ड’, यूएई के ‘जायेद मेडल’ और मालदीव के ‘निशान इज्जुद्दीन’ सम्मान से सम्मानित किया गया है. 2018 में प्रधानमंत्री मोदी को शांति और विकास में उनके योगदान के लिए प्रतिष्ठित सियोल शांति पुरस्कार दिया गया.

नरेंद्र मोदी 1987 में बीजेपी से जुड़े और उन्हें सबसे पहले जो जिम्मेदारियां दी गईं, उनमें 1987 के अहमदाबाद स्थानीय चुनाव के लिए प्रचार करना शामिल था. एक जोशीले प्रचार अभियान ने इस चुनाव में बीजेपी की जीत पक्की कर दी. वो 1990 में गुजरात विधानसभा चुनावों के लिए रणनीति बनाने वाली मुख्य टीम का हिस्सा थे. इस चुनाव के परिणामों ने एक दशक पुराने कांग्रेस शासन का अंत कर दिया. राज्य में कांग्रेस ने 1980 और 1985 में क्रमश: 141 और 149 सीटें जीती थीं, लेकिन इस बार कांग्रेस का आंकड़ा घटकर 33 सीटों पर आ गया. बीजेपी को 67 सीटों पर सफलता मिली और पार्टी चिमनभाई पटेल के साथ गठबंधन सरकार में शामिल हुई. हालांकि ये गठबंधन कुछ समय तक ही चला, लेकिन बीजेपी गुजरात में एक अजेय शक्ति के रूप में उभरकर सामने आई.

नरेंद्र मोदी 1995 के विधानसभा चुनावों के प्रचार अभियान में सक्रिय रूप से शामिल थे. इस बार बीजेपी ने पहली बार सभी 182 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया. नतीजे ऐतिहासिक रहे, पार्टी को 121 सीटों पर जीत मिली और बीजेपी की सरकार बनी. वर्ष 1996 में मोदी बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव के रूप में दिल्ली आए और उन्हें पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और जम्मू तथा कश्मीर जैसे प्रमुख उत्तर भारतीय राज्यों का प्रभार सौंपा गया. वर्ष 1998 में बीजेपी ने अपने बल पर हिमाचल में सरकार का गठन किया और हरियाणा (1996), पंजाब (1997) तथा जम्मू और कश्मीर में गठबंधन की सरकार बनाई. दिल्ली में मिले उत्तरदायित्व ने मोदी को सरदार प्रकाश सिंह बादल, बंसी लाल और फारूक अब्दुल्ला जैसे नेताओं के साथ काम करने का अवसर दिया.

मोदी को महासचिव (संगठन) की भूमिका सौंपी गई. इस महत्वपूर्ण पद पर इससे पहले सुंदर सिंह भंडारी और कुशाभाऊ ठाकरे जैसी दिग्गज हस्तियां रह चुकी थीं. महासचिव (संगठन) के रूप में 1998 और 1999 के लोकसभा चुनावों में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी. दोनों चुनावों में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनी और उसने अटल बिहारी वाजपेई के नेतृत्व में सरकार बनाई. संगठन में रहते हुए मोदी ने नए नेतृत्व को तैयार किया, युवा कार्यकर्ताओं का हौसला बढ़ाया और चुनाव प्रचार के लिए टेक्नॉलॉजी के इस्तेमाल पर भी जोर दिया. इस सब उपायों के जरिए उन्होंने पार्टी के उस सफर में अपना योगदान दिया, जो सफर दो सांसदों से बढ़कर 1998 से 2004 के बीच केंद्र में सरकार बनाकर देश की सेवा करने तक पहुंचा.

अपने संगठनात्मक कौशल के बल पर उन्होंने 1987 में राज्य में ‘न्याय यात्रा’ और 1989 में ‘लोक शक्ति यात्रा’ का आयोजन किया. इन प्रयासों से वर्ष 1990 में पहली बार गुजरात में अल्प अवधि के लिए भाजपा की सरकार का गठन हुआ और फिर 1995 से आज तक वहां भाजपा शासन में है. वर्ष 1995 में नरेंद्र मोदी को भाजपा के राष्ट्रीय सचिव के पद पर नियुक्त किया गया एवं 1998 में संगठन के सबसे महत्वपूर्ण पद राष्ट्रीय महासचिव की जिम्मेदारी दी गई. तीन वर्ष बाद 2001 में पार्टी ने उन्हें गुजरात के मुख्यमंत्री की ज़िम्मेदारी दी. वे 2002, 2007 एवं 2012 में पुनः मुख्यमंत्री चुने गए.

2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा अपने दम पर बहुमत हासिल करने वाली तीन दशकों में पहली पार्टी बन गई. यह पहली बार था कि किसी गैर-कांग्रेसी पार्टी ने यह उपलब्धि हासिल की. 26 मई 2014 को पहली बार और 30 मई 2019 को दूसरी बार नरेंद्र मोदी ने भारत के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली.

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