
मुख्यमंत्री की मौजूदगी में मनेगा जश्न, जनसहयोग, बॉण्ड सडक़ों से लेकर डिजिटल इंदौर तक के सफर को जनता के बीच ले जाएंगे, महापौर ने शुरू की तैयारी. स्वच्छता सर्वेक्षण के भी परिणाम
तब से अब तक
– 1950 में हुए थे पहले निगम चुनाव
– अब तक 47 प्रशासक और 23 महापौर
– कैलाश विजयवर्गीय जनता द्वारा चुने पहले महापौर बने
– 22 से 85 वार्डों तक हुआ शहर का विस्तार
– 2017 में पहली बार स्वच्छता में आए नम्बर वन भी
– 1983 में बनी थी पहली भाजपा की परिषद
इंदौर, राजेश ज्वेल
बीते 25 सालों (25 years) से लगातार शहर सरकार (city government) के रूप में भाजपा (BJP) का ही नगर निगम (Municipal Council) पर कब्जा बरकरार रहा है, वहीं वर्तमान चुनी हुई परिषद् के भी तीन साल 5 अगस्त को पूरे हो रहे हैं। लिहाजा इस अवसर पर भव्य सिल्वर जुबली (Silver Jubilee) महोत्सव मनाया जाएगा, जिसमें मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की विशेष मौजूदगी तो रहेगी ही, इसके साथ ही इन 25 सालों में रहे सभी महापौर और आयुक्तों को भी आमंत्रित कर उनका सम्मान किया जाएगा, क्योंकि शहर को स्वच्छता में नम्बर वन बनाने से लेकर तमाम सौगातें उनके कार्यकाल में भी मिली है। जनसहयोग से लेकर बाण्ड सडक़ों के निर्माण और डिजिटल इंदौर के सफर को प्रदर्शित करेंगे।
1950 में निगम के पहले चुनाव 22 वार्डों में हुए थे और उसके बाद अभी तीन साल पहले जो चुनाव हुए उसमें महापौर के रूप में पुष्यमित्र भार्गव और 85 वार्डों के पार्षदों का चुनाव हुआ, जिसमें 64 भाजपा के, 19 कांग्रेस के और दो निर्दलीय चुने गए। अभी तक इंदौर निगम में 47 प्रशासक और 23 महापौर रह चुके हैं। एक तरफ कांग्रेस जहां बीते कई सालों से सभी प्रमुख चुनाव हारती रही है, तो नगर निगम में भी 1994 में भी उसकी आखिरी बार परिषद् बनी थी और उस समय मधुकर वर्मा को महापौर के रूप में बहुमत में रहे कांग्रेसी पार्षदों ने चुना था। इसके पश्चात 1999 में पहली बार इंदौर की जनता ने सीधे महापौर का चयन किया और कैलाश विजयवर्गीय जनता द्वारा चुने गए पहले महापौर बने। उसके बाद यह सिलसिला लगातार जारी रहा। 2004 में डॉ. उमाशशि शर्मा, फिर 2009 में कृष्णमुरारी मोघे और तत्पश्चात 2014 में मालिनी गौड़ महापौर रही और उन्हीं के कार्यकाल में 2017 में पहली बार इंदौर नगर निगम स्वच्छता में देशभर में नम्बर वन आया और यह सिलसिला अनवरत बीते 7 बार से जारी है। कुछ समय कोरोना काल के चलते निगम चुनाव नहीं हो पाए और शासन को प्रशासक की नियुक्ति करना पड़ी। तत्पश्चात 2022 में हुए चुनाव में पुष्यमित्र भार्गव भारी मतों से महापौर के रूप में चुने गए, जिनके तीन साल अभी 5 अगस्त को पूरे हो रहे हैं। हालांकि अभी दो साल का कार्यकाल और वर्तमान परिषद् का बचा है। मगर बीते 25 सालों से नगर निगम पर भाजपा परिषद् का ही कब्जा रहा है और शहर के साथ-साथ प्रदेश तथा देश पर भी भाजपा राज कर रही है, जिसके चलते सिल्वर जुबली महोत्सव आयोजित किया जा रहा है। इसकी तैयारी महापौर भार्गव ने शुरू कर दी है और अभी 6 जुलाई को इस संबंध में पार्टी के साथ-साथ अधिकारियों, शहर के प्रतिष्ठित नागरिकों-संगठनों से चर्चा भी की जाएगी। महापौर भार्गव के मुताबिक 25 साल पूरे होने का जश्न जोर-शोर से मनाया जाएगा और इस अवसर पर इन 25 सालों में जितने महापौर और निगमायुक्त रहे उन सभी को आमंत्रित कर सम्मानित करेंगे। यह भी उल्लेखनीय है कि 2017 में जब पहली बार निगम स्वच्छता में नम्बर वन आया उस वक्त आयुक्त के रूप में मनीष सिंह पदस्थ थे और उनके द्वारा ही जो प्रयास किए गए उसके फल स्वरूप इंदौर को यह गौरव हासिल हुआ। तत्पश्चात आशीष सिंह, जो वर्तमान इंदौर कलेक्टर हैं वे भी निगमायुक्त बने और उनके कार्यकाल में भी लगातार इंदौर दो बार नम्बर वन आया और उसके पश्चात प्रतिभा पाल निगमायुक्त बनीं और उन्होंने भी दो मर्तबा इंदौर को नम्बर वन बनाया। इसके बाद हर्षिका सिंह के कार्यकाल मेंमहापौर पुष्यमित्र भार्गव की जोड़ी ने नम्बर वन का खिताब बरकरार रखा और अब आठवीं बार भी इंदौर निगम दौड़ में सबसे आगे बताया जा रहा है। स्वच्छता सर्वेक्षण के परिणाम संभवत: इसी महीने जारी किए जाएंगे। महापौर पुष्यमित्र भार्गव के मुताबिक इस अवसर पर एक प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी, जिसमें पूर्व से लेकर वर्तमान डिजिटल इंदौर की विकास यात्रा को दर्शाया जाएगा।