नई दिल्ली । मध्य प्रदेश(Madhya Pradesh) में भाजपा(BJP) इन दिनों एक अजीब समस्या (Strange problem)का सामना कर रही है। एक के बाद एक पार्टी के कई विधायक(Many legislators) अपनी ही सरकार(Government) के खिलाफ असंतोष के स्वर उठा रहे हैं। हालात इतने गंभीर हैं कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को इसमें दखल देना पड़ा है। नड्डा ने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा को फोन कर बेबाक भाषा बोल रहे ऐसे सभी विधायकों को कड़ा मैसेज देने को कहा है, जो पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, हाल ही में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर कुछ मंत्रियों द्वारा गईं विवादित टिप्पणी की घटना से अलग पिछले कुछ महीनों में पार्टी के कामकाज पर गौर करने पर पता चलता है कि विधायक खुलेआम सरकार की आलोचना कर रहे हैं। वह सार्वजनिक रूप से अपनी नाखुशी जाहिर कर रहे हैं, जिससे पार्टी के लिए शर्मनाक स्थिति पैदा हो रही है।
गुना से भाजपा विधायक पन्ना लाल शाक्य ने बुधवार को मीडिया से बातचीत में आरोप लगाया था कि स्थानीय गुना प्रशासन उन्हें गंभीरता से नहीं लेता। सिर्फ चुनिंदा लोगों की ही बात सुनी जा रही हैं। उन्होंने कहा कि चूंकि वह एससी वर्ग से आते हैं, इसलिए उनकी आवाज दबा दी जाती है।
शिवपुरी से एमएलए देवेंद्र जैन ने भी शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर स्थानीय प्रशासन और एक एसडीएम पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया। उनकी शिकायत पर राज्य सरकार ने एसडीएम को तो हटा दिया, लेकिन जैन चाहते हैं कि और कार्रवाई हो। वहीं, पिछोर के एमएलए प्रीतम लोधी लगातार स्थानीय प्रशासन और प्रभारी मंत्री के खिलाफ आवाज उठाते रहे हैं। पार्टी की ओर से उन्हें नोटिस भी दिया गया, लेकिन इससे भी उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ा।
सोहागपुर एमएलए विजयपाल सिंह और मऊगंज के एमएलए प्रदीप पटेल ने विभिन्न स्थानीय मुद्दों पर राज्य प्रशासन की सार्वजनिक रूप से आलोचना की है। पटेल ने आरोप लगाया कि उन्हें पुलिस से धमकियां मिल रही हैं।
राज्य के पूर्व गृह मंत्री और खुरई एमएलए भूपेंद्र सिंह ने शुक्रवार को भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियों के नेताओं पर गंभीर आरोप लगाए। भूपेंद्र सिंह ने यह भी दावा किया कि वे लोग ‘तंत्र-मंत्र’ के जरिये से उनके खिलाफ साजिश रच रहे हैं, जिसका मकसद उनके निर्वाचन क्षेत्र में विकास प्रयासों को बाधित करना है।
मध्य प्रदेश भाजपा सूत्रों ने बताया कि इनमें से कई नेता पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं से जुड़े हुए हैं। इससे पार्टी के लिए उनके खिलाफ कार्रवाई करना मुश्किल हो जाता है क्योंकि इससे बड़े पैमाने पर विवाद होने का डर रहता है। हालांकि, पार्टी ने कुछ कदम जरूर उठाए हैं।
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