भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

भाजपा के नाराज और असंतुष्ट नेताओं के तेवर नरम पड़े

भोपाल। लगता है भाजपा के नाराज और असंतुष्ट नेता फौरी तौर पर मान गए हैं। सिंधिया और उनके समर्थकों के आने के बाद तवज्जो न मिलने से ये नाराज और आहत चल रहे हैं। अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर ये अपनी नाराजगी जाहिर भी कर चुके हैं। भोपाल में आज ऐसे ही कुछ असंतुष्ट नेताओं ने बैठक की। लेकिन बैठक के बाद इनके सुर बदले हुए थे। भाजपा में नाराज नेताओं के सुर अब धीमे पडऩे लगे हैं। बुधवार को एक बार फिर नाराज माने जा रहे नेताओं की बैठक तो हुई लेकिन सुर बदले-बदले दिखाई दिए। पूर्व राज्यसभा सांसद रघुनंदन शर्मा के नेतृत्व में इक_ा हुए नाराज नेताओं ने बैठक के बाद कहा कि वह पार्टी की ओर से बातचीत की पहल से संतुष्ट हैं और तब तक अगली बैठक नहीं करेंगे जब तक बातचीत का भरोसा टूटता नहीं है। खुद रघुनंदन शर्मा ने कहा यह बात सही है कि पिछले करीब डेढ़ साल से पार्टी में संवाद और संपर्क की कमी थी। इसी को लेकर कुछ नेताओं में पार्टी की विचारधारा को लेकर नाराजगी थी।। लेकिन संगठन की ओर से बातचीत की पहल की गई है और सभी नेता इस बातचीत की पहल से संतुष्ट हैं हालांकि उन्होंने खुद को और उनके साथ बैठे नेताओं को असंतुष्ट के बजाय पार्टी का शुभचिंतक करार दिया है। इससे पहले भोपाल के एक रेस्टोरेंट में हुई बैठक में रघुनंदन शर्मा की अगुवाई में नेता वर्चुअली और एचुअली एकजुट हुए। इसमें पूर्व मंत्री दीपक जोशी, पूर्व विधायक शैलेंद्र प्रधान सहित कुछ पूर्व जिलाध्यक्ष और नेता मौजूद थे।

पहले भी थे एकजुट
इससे पहले जुलाई के आखिरी हफ्ते में असंतुष्ट नेताओं का जमावड़ा खुद रघुनंदन शर्मा के घर पर हुआ था। तब पूर्व सांसद और पूर्व मंत्री अनूप मिश्रा, पूर्व मंत्री दीपक जोशी सहित कुछ और नेता वहां इक_ा हुए थे। तब रघुनंदन शर्मा ने सार्वजनिक तौर से यह कहा था कि पार्टी में विचारधारा को लेकर नेताओं में नाराजगी है। इसके लिए संगठन से बातचीत की जाएगी। हालांकि तब यह कहा गया था कि अगली बैठक 9 अगस्त को होगी। लेकिन यह बैठक 9 के बजाय 19 अगस्त को हुई।

संगठन से बातचीत
अनूप मिश्रा, दीपक जोशी जैसे नेताओं की नाराजगी इस बात को लेकर है कि कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए सिंधिया और समर्थक नेताओं की वजह से भाजपा में उनके राजनीतिक भविष्य पर खतरा मंडरा रहा है। रघुनंदन शर्मा सहित इन नेताओं ने पार्टी की विचारधारा को लेकर भी सवाल किए थे कि आखिर दूसरी पार्टी से आने वाले नेताओं की वजह से क्या पार्टी को अपनी विचारधारा से समझौता करना चाहिए? उपचुनाव से ठीक पहले इस नाराजगी को भाजपा ज्यादा हवा देने के मूड में नहीं है। यही वजह है कि जब नाराज नेताओं के इक_ा होने की खबरें सामने आयीं तो खुद प्रदेश अध्यक्ष और संगठन महामंत्री की ओर से उन्हें बातचीत का भरोसा दिया गया।

Share:

Next Post

वेतन वृद्धि पर टिकी कर्मचारियों की नजर, सरकार की तरफ से कोई जवाब नहीं

Thu Aug 20 , 2020
भोपाल। वेतन वृद्धि मिलने में जैसे-जैसे देरी हो रही है, कर्मचारी वर्ग में सरकार के प्रति नाराजगी बढ़ती जा रही है। अपनी बात हर स्तर पर रखने के बाद कर्मचारी संगठन मोर्चा खोलने की तैयारी कर चुके हैं। अलग-अलग संवर्ग के कर्मचारी आंदोलन करेंगे। इसकी घोषणा जल्द ही संयुक्त रूप से की जाएगी। आंदोलन के […]