इंदौर न्यूज़ (Indore News)

इंदौर में भी सांसें हुईं महंगी


– खपत बढ़ी, उत्पादन घटा, ऑक्सीजन तो है पर महंगे दामों पर
इंदौर। कोरोना काल में जो ऑक्सीजन जिंदगी बनकर उभरी है, उसके दाम जहां आसमान पर हैं, वहीं उपलब्धता भी सामान्य नहीं रही है। सरकारी अस्पतालों के लिए तो प्रशासनिक दबाव के चलते ऑक्सीजन सिलेण्डर और लिक्विड ऑक्सीजन के टैंकर मिल जाते हैं, लेकिन प्राइवेट अस्पतालों को ऑक्सीजन सप्लायरों से हर दिन दो-चार होना पड़ रहा है। कोरोना काल शुरू होने से लेकर अब तक ऑक्सीजन के दामों में दो से तीन गुना वृद्धि हो चुकी है। वहीं अस्पतालों की वेटिंग में भी लगना पड़ रहा है।
जैसे-जैसे कोरोना संक्रमण विकराल होता जा रहा है, वैसे-वैसे अस्पतालों में ऑक्सीजन की जरूरत बढ़ती जा रही है। सामान्य दिनों में अस्पतालों में जितनी ऑक्सीजन की आवश्यकता महीने में एक बार होती थी, अब वह हर तीसरे दिन होने लगी। छोटे अस्पतालों में जहां सिलेण्डरों से ऑक्सीजन की सप्लाय होती है, वहीं बड़े अस्पतालों में लिक्विड ऑक्सीजन पाइप लाइन के जरिए मरीजों को सप्लाय होती है और यह लिक्विड ऑक्सीजन टैंकरों से आती है। ऑक्सीजन की घटती सप्लाय और बढ़ती मांग के कारण ऑक्सीजन निर्माताओं ने गैस के मनमाने दाम मांगना शुरू कर दिए हैं। इस मामले में मूल्य नियंत्रण के लिए प्रशासन द्वारा भी कोई दबाव नहीं बनाया जा रहा है, क्योंकि वर्तमान समय में दाम से ज्यादा ऑक्सीजन की उपलब्धता अहम है। अस्पताल संचालकों का भी मानना है कि वे फिलहाल ऑक्सीजन सप्लाय के लिए कीमतों को लेकर दबाव पैदा नहीं करना चाहते। उनकी भी प्राथमिकता इस बात को लेकर है कि ऑक्सीजन की उपलब्धता सामान्य बनी रहे।
125 का सिलेण्डर 245 रुपए में
अस्पतालों को सप्लाय होने वाला 125 रुपए का ऑक्सीजन सिलेण्डर अब 245 रुपए में मिल रहा है। इस सिलेण्डर में 7 क्यूबिक मीटर ऑक्सीजन होती है।
घरों के लिए एक हजार में सिलेण्डर
अस्पतालों को जहां एक सिलेण्डर 245 रुपए में मिल रहा है, वहीं घरों पर इलाज कराने वाले मरीजों को यदि सिलेण्डर की आवश्यकता हो तो वह 1000 रुपए में मिल पाता है।
चार गुना सिलेण्डर लगने लगे छोटे अस्पतालों को
कोविड अस्पतालों में ऑक्सीजन की आवश्यकता बेइंतहा है ही, लेकिन छोटे अस्पतालों में भी ऑक्सीजन की डिमांड चार गुना तक बढ़ गई है। स्कीम नं. 54 स्थित भंडारी हॉस्पिटल के महक भंडारी के अनुसार उनके अस्पताल में पहले प्रतिदिन 30 सिलेण्डर लगते थे, जो अब बढक़र 120 हो गए हैं।
राज्यों में हो चुका है टकराव
ऑक्सीजन की कमी के चलते राज्यों तक में टकराव हो चुका है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे द्वारा अन्य राज्यों को ऑक्सीजन सप्लाय पर रोक लगाए जाने के बाद मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान तक को उनसे बात कर हस्तक्षेप करना पड़ा था। यहां तक कि केंद्र सरकार ने इसे अत्यावश्यक वस्तुओं में शामिल कर ऑक्सीजन सप्लाय को सुलभ बनाया।
दवा निर्माताओं ने की ऑक्सीजन सप्लाय बाधित न करने की मांग
आक्सीजन की किल्लत के चलते जिला प्रशासन द्वारा उद्योगों को ऑक्सीजन सप्लाय पर रोक लगाए जाने के आदेश पर बेसिक ड्रग एसोसिएशन ने दवा कंपनियों को ऑक्सीजन सप्लाय निरंतर जारी रखने की मांग की है। एसोसिएशन के महासचिव जेपी मूलचंदानी ने कहा कि दवा कंपनी विशेषकर इंजेक्शन बनाने वाली दवा निर्माताओं को ऑक्सीजन उपयोग में आती है जिनका उपयोग कोविड में सर्पोटिंग मेडिसीन के रूप में किया जा रहा है इसलिए फार्मा उद्योग को ऑक्सीजन नियंत्रण से मुक्त रखा जाए। एसोसिएशन की मांग पर कलेक्टर मनीषसिंह द्वारा जिन कंपनियों कोऑक्सीजन का आवश्यकता है उन कंपनियों की सूची मांगी गई है ताकि फार्मा उद्योग की आवश्यक कंपनियों को ऑक्सीजन सप्लाय से मुक्त रखा जाए।
फार्मा के साथ फेब्रिकेशन, फूड, रोलिंग मिल को ऑक्सीजन सप्लाय पर भी रोक
इंदौर में फिलहाल ऑक्सीजन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है लेकिन भविष्य में ऑक्सीजन की कमी की आशंका के चलते रोलिंग मिल फेब्रीकेशन फूड एवं फार्मा सहित कई कंपनियों के ऑक्सीजन सप्लाय को जिला प्रशासन ने प्रतिबंधित किया है।

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