विदेश

ब्रिटेनः चीन का सरकारी अखबार ऋषि सुनक पर भड़का, कहा-हिम्मत दिखाओ

नई दिल्ली। ब्रिटेन (Britain) के प्रधानमंत्री (Prime minister) पद की दौड़ अब धीरे-धीरे अंतिम चरण में पहुंच रही है. पद के दोनों दावेदार ऋषि सुनक (Rishi Sunak) और लिज ट्रस (Liz Truss) के बीच में कड़ा मुकाबला है. चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने अपने संपादकीय में कहा है कि पद के दोनों ही दावेदार अपनी प्रतिभा को लेकर एक दूसरे से प्रतिस्पर्धा नहीं कर रहे बल्कि चीन को लेकर अपने आक्रामक रवैये को तरजीह दे रहे हैं।

संपादकीय में कहा गया कि यहां ट्रस के बारे में बात करना जरूरी नहीं है क्योंकि वह हमेशा से चीन को लेकर सख्त रुख अपनाती आई हैं. चौंकाने वाली बात यह है कि आमतौर पर हर मामले पर संतुलित रुख अपनाने वाले सुनक ने अचानक चीन को लेकर अपना रुख बदल लिया है। अब वह चीन को ब्रिटेन और वैश्विक सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा बता रहे हैं।


रिपोर्ट में कहा गया कि सुनक कह रहे हैं कि प्रधानमंत्री पद संभालने के पहले ही दिन वह चीन के खिलाफ कठोर कदम उठाने के लिए कड़े नियम बनाएंगे. चीन को लेकर सुनक के बयान इतने आक्रामक हैं कि उनका समर्थन करने वाले लोगों का भी कहना है कि यह चौंकाने वाला है।

ग्लोबल टाइम्स ने लिखा, ऐसा लगता है कि पश्चिमी नेताओं को पता ही नहीं है कि चीन का नाम लिए बगैर किस तरह से अपना प्रचार अभियान आगे बढ़ाएं. ब्रिटेन का चुनाव अभियान इसका ताजा उदाहरण हैं, जहां दोनों ही दावेदार 8,000 किलोमीटर दूर एक देश चीन को खतरा समझ रहे हैं. यह बात ब्रिटेन की मीडिया को चौंका रही है।

चीन से जुड़े मामलों के विश्लेषकों का मानना है कि अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों की चीन नीति (China Policy) में वहां सत्ता परिवर्तन के बाद ज्यादा बदलाव देखने को नहीं मिलेंगे. यह बात और है कि चुनावों में असफल हो चुके नेता अपनी असफलता छिपाने के लिए चीन से खतरे के मुद्दे को भुनाना शुरू करेंगे जबकि उन्हें पता है कि उनके देश के आंतरिक मामलों से चीन का कोई लेना देना नहीं है।

एक्सपर्ट्स का कहना है कि नेताओं को यह भी पता है कि चीन के साथ अच्छे संबंध बनाने से कुछ हद तक उन्हें आर्थिक दबाव से राहत मिलेगी. चीन, ब्रिटेन संबंध बिगड़ने से ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था को ही नुकसान पहुंचेगा।

उनका कहना है कि चीन विरोधी माहौल ब्रिटेन के उन नेताओं के लिए उपयोगी साबित हो सकता है जिनके पास प्रभावकारी बदलाव करने का साहस नहीं होता।

एनालिस्ट का कहना है कि चीन विरोधी माहौल को बढ़ावा देने और लोगों को यह मानने के लिए विवश कर देना कि ब्रिटेन की आंतरिक समस्याओं के लिए चीन जिम्मेदार है, बिल्कुल बेतुका और आसान तरीका है।

विश्लेषकों का कहना है कि चीन विरोधी टिप्पणियों से ब्रिटेन के नेताओं को उनके चुनाव प्रचार में लाभ हो रहा है इसलिए चीन का इसे गंभीरता से लेना जरूरी नहीं है.

ऋषि सुनक और लिज ट्रस के बीच सोमवार को हुई लाइव डिबेट में भी चीन का मामला गरमाया रहा.

इस दौरान पूर्व वित्त मंत्री सुनक ने कहा कि ब्रिटेन और इस सदी में विश्व की सुरक्षा और समृद्धि के लिए चीन सबसे बड़ा खतरा है. इस दौरान उन्होंने ब्रिटेन में चीन के प्रभाव को कम करने के लए उठाए जाने वाले कदमों पर भी बात की।

चाइना इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज में यूरोपीयन स्टडीज विभाग के निदेशक कुई होंगजियान ने बताया कि इस चरण पर इन दोनों दावेदारों के लिए न सिर्फ उच्चवर्ग का बल्कि टोरी सदस्यों का भी समर्थन हासिल करना जरूरी है, जिन्हें विदेश नीति की कोई खास समझ नहीं होती।

सुनक और ट्रस को कंजर्वेटिव पार्टी के लगभग 160,000 सदस्यों का समर्थन हासिल करना है, जो अगस्त की शुरुआत में अपना नेता चुनने के लिए वोट करेंगे. इसी प्रक्रिया के जरिए ब्रिटेन का अगला प्रधानमंत्री चुना जाएगा।

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