इंदौर न्यूज़ (Indore News)

आयकर धाराओं में ढेरों संशोधनों से कारोबारियों के साथ सीए भी भ्रमित, कई नोटिस गलत पते पर भी भेज डाले

इंदौर। एक तरफ जीएसटी की विसंगतियों से कारोबारी परेशान हैं, तो दूसरी तरफ आयकर अधिनियम की धाराओं में जो लगातार संशोधन किए जा रहे हैं, उससे भी भ्रम की स्थिति निर्मित होती है। खासकर धारा 148 और 148-ए के तहत की जाने वाली पुन: कर निर्धारण की प्रक्रिया अत्यंत जटिल है। लिहाजा इस पर विचार-विमर्श और सलाह के लिए टैक्स प्रैक्टिनर्स एसो. और इंदौर सीए शाखा ने कार्यशाला आयोजित की, जिसमें जाने-माने अभिभाषकों, चार्टर्ड एकाउंटेंट ने इन विसंगतियों पर चर्चा तो की, साथ ही यह भी बताया कि वे खुद भी भ्रमित हो जाते हैं। दूसरी तरफ जीएसटी विभाग एक बार फिर जांच अभियान शुरू करने जा रहा है, तो आयकर विभाग ने गलत पते पर भी कई नोटिस भेज डाले, उसको लेकर भी विभागीय अधिकारियों की
बैठक हुई।

आयकर विभाग में अपील प्रकरणों को लेकर जो बैठक हुई उसमें यह विसंगति सामने आई कि कई मामलों में एक पक्षीय आदेश तो पारित हुए ही, वहीं सुनवाई के नोटिस भी गलत पते पर चले गए, जिसके चलते करदाताओं को जानकारी ही नहीं मिली, तो दूसरी तरफ विभाग ने अपील निरस्त कर डाली। दरअसल अपील दाखिल करते समय ई-मेल आईडी जो दिया जाता है उसी पर नोटिस जाना चाहिए। मगर सिस्टम की गलती से पुराने और गलत पतों पर ये ई-मेल चले गए। वहीं जीएसटी विभाग भी नए सिरे से जांच अभियान शुरू करने जा रहा है। पिछले दिनों विभाग ने करअपवंचन के संबंध में मिल रही शिकायतों के संबंध में लिस्ट तैयार की है और स्टेट जीएसटी ने इंदौर सहित प्रदेशभर में छापे भी डाले और करोड़ों रुपए की टैक्स चोरी उजागर की। अब नए सिरे से ये जांच अभियान शुरू किया जाएगा।

वहीं कल आयकर अधिनियम की धारा 148 और 148-ए के तहत पुनर्कर निर्धारण को लेकर जो कार्यशाला आयोजित की गई , उसे हाईकोर्ट एड्वोकेट और सीए आशीष गोयल ने भी संबोधित किया। टैक्स प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन के प्रेसिडेंट सीए जे पी सराफ ने कहा कि आयकर अधिनियम की पुरानी धारा 148 के तहत कर निर्धारण प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए पिछले कुछ वर्षों पूर्व धारा 148-ए लाई गई थी लेकिन इसका फायदा होने के स्थान पर प्रोसीजर में और अधिक जटिलता आ गई। सेमिनार का सञ्चालन कर रहे टैक्स प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन के मानद सचिव सीए अभय शर्मा ने कहा कि पिछले 4-5 वर्षों से हर बजट में इस धारा 148 एवं 148-ए में अमेंडमेंट आ रहे हैं। अभी तक इतने अमेंडमेंट आ चुके हैं कि यह सेक्शन आसान के स्थान पर कन्फ्यूज़्ड सेक्शन हो चूका है द्य धारा 148-ए लाने का उद्देश्य अंतिम कर निर्धारण से पूर्व करदाता को अपना पक्ष रखने का एक अवसर प्रदान करना था लेकिन अधिकांश मामलों में विभाग द्वारा करदाता के पक्ष को नजरअंदाज किया जा रहा है।

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