इंदौर न्यूज़ (Indore News)

तालाबों की सफाई का अभियान, लेकिन 595 कुएं-बावड़ी हुए लावारिस

 

  • पिछले साल रामनवमी को साधु वासवानी नगर में धंसी थी बावड़ी, 36 लोगों की गई थी जान
  • पिछले साल निगम ने कई संस्थाओं के साथ मिलकर चलाया था अभियान, लेकिन इस बार कुएं-बावड़ी कचरे से अटे पड़े हैं

इंदौर। पिछले साल रामनवमी को साधु वासवानी नगर में हुए दर्दनाक हादसे में बावड़ी धंसने से 36 लोग काल के गाल में समा गए थे। इतने बड़े घटनाक्रम के बाद भी नगर निगम का अमला अब तक नहीं जागा है। कई कुएं-बावडिय़ां जीर्ण-शीर्ण हालत में हैं, जिन्हें न तो बंद किया जा रहा है और न ही संवारा जा रहा है। नगर निगम जल संरक्षण के लिए तमाम अभियान चलाया जा रहा है और रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने के लिए गली-मोहल्लों में निगम की टीमें पहुंच रही हैं, लेकिन दूसरी ओर शहर के 595 कुएं-बावडिय़ों की हालत खस्ता है। इनमें 53 बावडिय़ों में से अधिकांश कचरे के ढेर और मलबे मेें तब्दील हो गई हैं।

साधु वासवानी नगर में हुए हादसे के बाद नगर निगम के अफसरों ने आनन-फानन में कई कुएं बंद कर दिए थे और बाद में हंगामा मचने पर ढंके गए कुओं को फिर खोला गया। इनमें राजकुमार ब्रिज के समीप का कुआं सबसे बड़ा उदाहरण है, जो सडक़ किनारे था और निगम की टीम ने उसे बंद कर दिया था। अभी भी चंपा बावड़ी से लेकर छत्रियों के आसपास की कई बावडिय़ां बदहाल हैं। न तो वहां बावड़ी के सूचना बोर्ड हैं और न ही सावधानी वाले बोर्ड लगाए गए हैंं, ताकि लोगों को इसकी जानकारी मिल सके। नगर निगम के रिकार्ड में शहर में 595 कुएं-बावड़ी हैं और इनमें कई बावडिय़ां होलकरकालीन हैं, जिनमें छत्रीबाग की बावडिय़ां भी शामिल हैं। यह बावडिय़ां अब कचरे के ढेर और मलबे में तब्दील हो गई हैं। कुछ सालों पहले नगर निगम ने लाखों की राशि खर्च कर बावडिय़ों और कुओं को संवारा था, लेकिन रखरखाव के अभाव में फिर से स्थिति बदहाल हो गई है।

कुओं की देखरेख के लिए बनने वाली मोहल्ला कमेटी भी अधर में
नगर निगम अधिकारियों ने शहरभर के कुओं के रखरखाव और उनके पानी के उपयोग के लिए कुछ योजनाएं बनाई थीं, जो कागजों में दबी रह गईं। योजना के मुताबिक प्रत्येक क्षेत्र के कुओं के लिए मोहल्लों के रहवासियों की दस सदस्यीय कमेटी बनाई जाना थी और इस कमेटी के माध्यम से ही कुओं की देखरेख का काम होना था, मगर दो साल बाद भी इस पर कोई काम नहीं हुआ और उलटा कुओं की हालत पहले से ज्यादा और बदहाल हो गई।
बावडिय़ां खतरनाक हालत में, ऊपर तक कचरे का अंबार
शहर की 53 बावडिय़ों में से अधिकांश बावडिय़ों की हालत खस्ता है और कई तो जीर्ण-शीर्ण हो रही हैं। कुछ बावडिय़ों में कचरे और मलबे का अंबार इस प्रकार लगा है कि वहां किसी को आभास भी नहीं होता कि वह बावड़ी है और किसी भी दिन कोई बड़ी दुर्घटना हो सकती है। कुछ समय पहले चंपा बावड़ी, छत्रीबाग, कृष्णपुरा और पीलियाखाल सहित कई स्थानों की बावडिय़ों की सफाई की गई थी और बाद में फिर से स्थिति बदतर हो गई।

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