भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

चुनाव के तीन माह पहले घोषित होंगे उम्मीदवार

  • विधानसभा चुनाव के लिए आप ने मप्र में संभाला मोर्चा

भोपाल। दिल्ली, पंजाब में सरकार बनाने के बाद आम आदमी पार्टी ने अपना पूरा फोकस मप्र पर कर लिया है। पार्टी ने प्रदेश की सभी 230 विधानसभा सीटों पर चुनाव लडऩे की घोषणा पहले ही कर दी है। इतना ही नहीं बल्कि विधानसभा चुनावों के टिकट वितरण को लेकर तीन माह पहले ही पार्टी अपने पत्ते खोलेगी। गौरतलब है कि बीते माह भोपाल में हुई आप प्रमुख एवं दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल की सभा के बाद अब पार्टी ने विधानसभा टिकट को लेकर सर्वे का काम शुरू कर दिया है। पार्टी की रणनीति के तहत प्रदेश की उन 82 सीटों पर पार्टी की विशेष नजर होगी, जो आरक्षित हैं।
मप्र में आम आदमी पार्टी ने अपना नया ठिकाना अरेरा कॉलोनी में बनाया है। तीन मंजिला बिल्डिंग किराये पर ली गई है। इसमें कार्यालय के साथ चुनावी वार रूम भी होगा। आप पदाधिकारियों ने बताया कि सर्वे रिपोर्ट के आधार पर बैठकों का दौर भी शुरू होगा। लेकिन, यह बैठक विधानसभा स्तर पर नहीं बल्कि लोकसभा स्तर पर होंगी। इन बैठकों में राज्यसभा सांसद एवं राष्ट्रीय संगठन महामंत्री डॉ. संदीप पाठक और चुनाव प्रभारी बीएस जून की मौजूदगी में बैठक होंगी। सर्वे रिपोर्ट के बाद बैठकों में हुए विचार मंथन पर लोकसभा रिपोर्ट भी तैयार की जाएगी। चुनावों के मद्देनजर चार संगठन मंत्री और सह संगठन मंत्री की नियुक्तियां भी की जाएंगी। अब तक 65 सीटों पर पार्टी ने सर्वे कराया है। आप प्रदेशाध्यक्ष रानी अग्रवाल ने बताया कि प्रदेश की सभी विधानसभा सीटों पर पार्टी अपने उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतारेगी। उन्होंने कहा कि पार्टी का सर्वे भी जारी है। विशेष बैठकों के दौर भी जल्द शुरू होंगे।



पार्टी का आरक्षित सीटों का यह है गणित
आम आदमी पार्टी पहले ही इस बात की घोषणा कर चुकी है कि 230 सीटों पर चुनाव लड़ा जाएगा। लेकिन आदिवासी, ओबीसी समेत आरक्षित वर्ग के मुद्दों और समस्याओं को भुनाने की रणनीति तैयार की गई है। यदि मध्यप्रदेश की सभी 82 सीट की बात की जाए तो यहां चुनावी समीकरण भी उलझा रहा है। एमपी में अनुसूचित जनजाति के लिए 47 सीट आरक्षित हैं। अनुसूचित जाति के लिए 36 सीट रिजर्व हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव के आंकड़े बताते हैं कि सत्ता में काबिज भाजपा ने 82 आरक्षित सीटों में 26 सीटों को गंवा दिया था। उधर, कांग्रेस को 2018 विधानसभा चुनाव में 2013 के मुकाबले 28 सीटों का फायदा हुआ था। लिहाजा एससी और एसटी की सीटों के गणित में कांग्रेस और भाजपा का समीकरण उलझा हुआ नजर आता है। ऐसे में एससी और एसटी सीटों पर आप का पूरा फोकस दिखाई दे रहा है। केंद्रीय संगठन ने एमपी में पार्टी की इंटरनल सेल को भी एक्टिव कर दिया है। इंटरनल सेल के जरिए पार्टी प्रदेश के उन प्रबुद्ध वर्ग को फोकस कर रही है। इसमें डॉक्टर, इंजीनियर, समाज सेवी और ऐसे वर्गों से संपर्क रही है जो किसी सियासी दल से संपर्क में नहीं है। पार्टी की कोशिश है कि इन्हें आप पार्टी में शामिल किया जाए। इस सेल में दिल्ली, पंजाब, उत्तर प्रदेश, गुजरात के पदाधिकारियों को शामिल किया गया है।

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