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प्रयोगशाला में भी पैदा हो सकेंगे बच्चे, वैज्ञानिकों को मिली ये सफलता

नई दिल्ली (New Delhi) । प्रयोगशाला में भ्रूण तैयार करने की तकनीक पहले से ही है, लेकिन भविष्य में प्रयोगशाला में बच्चे भी पैदा हो सकेंगे। जापान के वैज्ञानिकों (Japanese scientists) ने यह दावा किया है। उन्हें प्रयोगशाला में अंडाणु और शुक्राणु (egg and sperm) बनाने में कामयाबी मिली है। उन्होंने कहा कि मानव में यह पांच साल में संभव हो पाएगा।

वैज्ञानिकों को लैब में चूहों में शुक्राणु और अंडाणु बनाने में सफलता मिली है। इनसे भ्रूण (fetus) भी बनेगा, जिन्‍हें बाद में कृत्रिम गर्भ में विकस‍ित किया जाएगा। जापान के क्यूशू यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक प्रो. कत्सुहिको हयाशी के नेतृत्व में चूहों पर किया गया प्रयोग सफल रहा है। उन्होंने कहा कि अब मानव में इन परिणामों को लागू करने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि मनुष्यों से अंडे जैसी कोशिकाओं का उत्पादन करने में पांच साल लगेंगे। बता दें कि जर्नल ‘नेचर’ में इस साल मार्च में इस शोध को प्रकाशित किया गया था। वर्ष 2028 तक यह हकीकत में तब्दील हो जाएगा। हयाशी ने बताया कि जिस तकनीक का इस्तेमाल चूहों पर किया गया है, जल्द ही उसका इस्तेमाल इंसानी कोशिकाओं (human cells) पर किया जाएगा। यह तकनीक दो पुरुषों को भी पिता बनने का रास्ता साफ करेगी। इस तरह समलैंगिक पुरुष भी बच्चों के पिता बन सकेंगे।


कोशिकाओं से शुक्राणु और अंडाणु बनाया
हयाशी और उनकी टीम ने हाल ही में लैब में सात चूहे विकसित किए हैं। उनके जैविक माता-पिता दोनों ही नर चूहे थे। नर चूहे की त्वचा कोशिकाओं का इस्तेमाल कर अंडाणु और शुक्राणु बनाया गया। फिर फर्टिलाइज कराया गया। प्रयोगशाला में मानव शुक्राणु और अंडाणु विकसित करने की क्षमता को इन विट्रो गैमेटोजेनेसिस (आईवीजी) कहा जाता है। इसमें किसी व्यक्ति के खून या त्वचा से कोशिकाओं को लेकर सेल बनाई जाती है। ये कोशिकाएं अंडाणु और शुक्राणु कोशिकाओं सहित शरीर में कोई भी कोशिका बन सकती हैं। फिर इनका उपयोग भ्रूण बनाने और महिलाओं के गर्भ में प्रत्यारोपित करने के लिए किया जा सकता है। वैज्ञानिक इस तरह से मानव शुक्राणु और अंडाणु (human sperm and egg) बनाने के बेहद करीब पहुंच गए हैं, लेकिन अभी तक भ्रूण नहीं बना पाए हैं।

बांझपन जैसी बीमारी से निजात मिलेगी
इसके साकार होने के बाद दुनिया में लोगों को बांझपन जैसी दिक्‍कतों से हमेशा के लिए मुक्‍त‍ि मिल जाएगी। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनियाभर में छह में से एक लोग बांझपन जैसी समस्याओं का सामने कर रहे हैं। उनके लिए यह तकनीक किसी वरदान से कम नहीं होगा।

तैयार होंगे डिजाइनर बच्चे
हयाशी ने बताया कि इसका एक फायदा यह है कि किसी भी उम्र की महिला के पास बच्चा होगा। वैज्ञानिकों की इस तकनीक का फायदा उठाने का खतरा भी बढ़ेगा। डेलीमेल की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इस तकनीक से बच्चों में ऐसे बदलाव किए जा सकेंगे, जो माता-पिता उनमें देखना चाहते हैं। यानी लैब डिजाइनर बच्चे तैयार किए जा सकेंगे।

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