नई दिल्ली। कोरोना वायरस (corona virus) की दूसरी लहर (second wave ) के दौरान डेल्टा वैरिएंट (Delta variant) बच्चों में कोविड-19 (Covid-19 in children) होने की सबसे बड़ी वजह बना। वहीं 14.8 प्रतिशत संक्रमित बच्चों (14.8 percent of infected children) को अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ गया। यह दावे भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) (Indian Council of Medical Research) ने मार्च से जून 2021 के दौरान कोरोना से संक्रमित हुए 583 बच्चों के सैंपलों की अध्ययन रिपोर्ट में किए हैं। इनमें 16 सैंपल दिल्ली व एनसीआर में संक्रमित हुए बच्चों के थे।
अध्ययन में 0 से 18 के बच्चों में सबसे कॉमन कोरोना वायरस वैरिएंट की पहचान के लिए सभी सैंपल की जीनोम सीक्वेंसिंग की गई। इसमें शामिल बच्चों की औसत उम्र 13 वर्ष थी, जिनमें 51.8 प्रतिशत 13 से 19 वर्ष और 41.2 प्रतिशत 3 से 12 वर्ष के थे। बाकी सात प्रतिशत 3 वर्ष से कम उम्र के थे। यानी करीब 40 संक्रमित बच्चों की उम्र 3 साल से भी कम थी। यह दर्शाता है कि बेहद छोटे बच्चों को कोरोना से पूरी तरह सुरक्षित मानना भूल हो सकती है।
डेल्टा के अलावा काप्पा और अल्फा ने भी बड़ी संख्या में संक्रमण फैलाया
डेल्टा : 65.82, काप्पा : 9.96, अल्फा : 6.83, बी.1.36 : 4.68% संक्रमित हुए
37.2 प्रतिशत ने बताए लक्षण
अध्ययन में शामिल बच्चों में से 37.2 प्रतिशत ने संक्रमण के लक्षण बताए। इनमें बुखार के 60 फीसदी, खांसी के 49.3, नाक बहना, 23.4 गले में खराश के 12, अन्य वजहों के 10 फीसदी लक्षण थे।
वैरिएंट्स ने राज्यों के अनुसार किए बच्चों पर वार..
कुछ कोरोना वैरिएंट कुछ खास राज्यों में बच्चों के लिए आफत बने। उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश और तेलंगाना में डेल्टा वैरिएंट ने बच्चों को ज्यादा संक्रमित किया। महाराष्ट्र, राजस्थान, चंडीगढ़ के बच्चों में काप्पा वैरिएंट ज्यादा मिला। हालांकि उत्तर भारत में दूसरे वैरिएंट्स भी बच्चों में मिले।
वैक्सीन लगवाने के बाद चलने लगा 5 साल से बिस्तर पर पड़ा रोगी
दुर्घटना के कारण पांच साल से बिस्तर पर पड़े 55 साल के व्यक्ति पर कोविशील्ड की खुराक ने चमत्कारिक असर किया। डॉक्टरों का कहना है कोरोनारोधी दवा की पहली खुराक लेने के बाद उसने बात करना और चलना-फिरना शुरू कर दिया। इसकी जांच के लिए सरकार ने तीन सदस्यीय चिकित्सीय टीम बनाई है। डॉक्टरों ने बताया कि बोकारो जिले के गांव सलगाडीह निवासी दुलारचंद मुंडा पांच साल पहले हुई दुर्घटना के बाद बिस्तर पर थे।
रीढ़ में समस्या के कारण एक साल से वे उठे ही नहीं थे। स्थानीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉ. अलबेला ने बताया कि 4 जनवरी को एक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता ने उनके घर जाकर कोविशील्ड वैक्सीन की पहली खुराक लगाई। अगले दिन उनके परिजन यह देखकर हैरान रह गए कि उनके मृतप्राय: शरीर में हरकत होने लगी और उन्होंने बोलना भी शुरू कर दिया।
Share: