उज्‍जैन न्यूज़ (Ujjain News)

जेल में हुए गबन की जाँच की रिपोर्ट कलेक्टर ने भोपाल भेजी

  • डीपीएफ गबन में जेल अधीक्षक से लेकर ट्रेजरी आफिसर और बैंक मैनेजर की भूमिका की जाँच होगी
  • अब जेल विभाग जाँच कर करेगा कार्रवाई
  • एफआईआर के बाद फरार हुआ जेल अकाउंटेंट
  • अकाउंटेंट ने अपने खाते सहित कई सिपाहियों के खाते का भी किया उपयोग

उज्जैन। सेंट्रल जेल भैरवगढ़ में जेल प्रहरी और अन्य कर्मचारियों के डीपीएफ (डिपार्टमेंटल प्राइवेट एंड फंड) खाते में से फर्जी रूप से रुपए निकालने के मामले में कलेक्टर ने जाँच रिपोर्ट भोपाल जेल विभाग भेज दी है। इस मामले में तत्कालीन जेल अधीक्षक से लेकर कोषालय के अधिकारी और बैंक के मैनेजर भी जाँच के दायरे में आएँगे। सेंट्रल जेल भैरवगढ़ में वर्ष 18-19 से रिपुदमन रघुवंशी अकाउंटेंट के पद पर कार्य कर रहा है और उसने वर्ष 18-19 से ही डीपीएफ में घोटाले की शुरुआत कर दी थी। बताया जाता है कि उसने शुरुआत में 5-7 फर्जी फाइलें की और उसके बाद हर वर्ष वह फाइलों की संख्या बढ़ाता रहा। इतना ही नहीं उसने सिपाही के खाते में यदि 7 लाख जमा थे तो उसने जेल अधीक्षक की आईडी का उपयोग करके उसे 17 लाख रुपए कर दिया और 10 लाख रुपए निकाल लिए। ऐसे में फर्जीवाड़ा लंबे समय तक इसलिए चलता रहा जो कि सिपाही के खाते में जितनी राशि थी वह तो उन्हें मिली, इसलिए किसी ने शिकायत नहीं की। बाद में शिकायत के पश्चात यह मामला जांच में आया और यह बड़ा गबन खुला। पूरे 5 दिन की जाँच कलेक्टर ने कोषालय के अधिकारियों से करवाई जिसमें अभी बताया जा रहा है कि 14 करोड़ के आसपास और इससे अधिक का घोटाला भी निकल सकता है। बीते 4 सालों में जेल अधीक्षक के रूप में अलका सोनकर जो कि वर्तमान में इंदौर जेल में पदस्थ हैं कार्यरत थी और वर्तमान में उषा राजे जो जेल अधीक्षक है वह पदस्थ हैं।


कलेक्टर ने जो प्रतिवेदन जेल विभाग और राज्य शासन को दिया है उसने करोड़ों रुपया गबन होने के मामले में संबंधित जिम्मेदार जेल अधिकारियों और कोषालय के अधिकारियों तथा जेल से जुड़े लेखा विभाग के कर्मचारियों की भूमिका की जाँच करवाने की बात कही है। प्रथम दृष्टया जाँच के बाद जिला प्रशासन ने भैरवगढ़ थाने में अकाउंटेंट रिपुदमन सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी है। गुरुवार की रात तक रिपुदमन सिंह जेल परिसर में ही था और बताया जा रहा है कि शराब के नशे में वह कह रहा था कि मैं फंस गया। उसके बावजूद अधिकारियों ने उसे नजरबंद नहीं किया और वह दूसरे दिन फरार हो गया। अब इस पर पूरे मामले में जेल विभाग जाँच करेगा। पूरे मामले में सबसे बड़ी जिम्मेदारी जेल अधीक्षक की बनती है तथा इससे बाद में कोषालय से जुड़े अधिकारी की भूमिका की भी जाँच होगी। जो एफआईआर जिला प्रशासन ने कराई है संभवत: उसमें इन सबके नाम भी बढ़ सकते हैं। इसके अलावा जिस बैंक खाते में अकाउंटेंट ने राशि जमा करवाई उस बैंक के मैनेजर पर भी कार्रवाई हो सकती है, क्योंकि उसने सरकारी कर्मचारी के खाते में करोड़ों रुपए का लेनदेन हुआ, उस पर नजर क्यों नहीं रखी और इनकम टैक्स विभाग की नजर भी इस कार्य पर क्यों नहीं पड़ी, जबकि नियमानुसार 50,000 से अधिक की राशि किसी भी खाते में जमा होती है तो इनकम टैक्स विभाग के पास बैंक से स्वत: जानकारी चली जाती है। इस मामले में ऐसा क्यों नहीं हुआ यह बड़ी जांच का विषय है। अब जेल विभाग इस पूरे मामले की जांच किस प्रकार करेगा यह अलग बात है। क्योंकि पूर्व में भी हवाला कांड की जांच जेल विभाग ने अभी तक पूरी नहीं की है, जबकि उस मामले में भी करोड़ों रुपए की राशि का हेरफेर जेल से हुआ था जिसमें कई बड़े अधिकारी उलझ सकते थे। इसको देखकर अभी तक इस मामले में कोई कार्यवाही नहीं हुई है। इसलिए जेल विभाग इस गबन के मामले में कितनी कार्रवाई करेगा यह आने वाला समय बताएगा। सरकार को इस मामले में सीआईडी या किसी अन्य न्यायिक संस्था से जाँच कराना चाहिए ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके।

Share:

Next Post

कल निकली नगर गेर में हजारों की भीड़ रही..एकता दिखाई दी

Mon Mar 13 , 2023
नगर निगम के इस आयोजन की सबने सराहना की-शहर में कई जगह हुए रंगपंचमी के आयोजन राजेन्द्र भारती, अरुण वर्मा, केबिनेट मंत्री मोहन यादव, योगेश शर्मा चुन्नू मंडली द्वारा किया गया कार्यक्रम उज्जैन। रंग पंचमी पर कल सुबह नगर निगम द्वारा नगर की गेर निकाली गई जिसमें ढोल धमाकों के साथ बैंड बाजों के साथ […]