इंदौर न्यूज़ (Indore News)

प्रदेश में बच्चों के स्कूल खोलने पर कांग्रेस का विरोध

पूर्व मंत्री सज्जन वर्मा ने कहा-जब मुख्यमंत्री तीसरी लहर का अंदेशा जता चुके हैं तो स्कूल खोलने का क्या औचित्य?
इन्दौर। पूर्व मंत्री सज्जनसिंह वर्मा (Sajjan Singh Verma) ने छठी से आठवीं तक के बच्चों के स्क़ूलों (Schools) को आज से खोले जाने का विरोध किया है। उनका कहना हैकि जब मुख्यमंत्री तीसरी लहर (Third wave) का अंदेशा जता चुके हैं तो स्कूल खोलने का क्या मतलब है? बच्चे स्कूल जाएंगे तो एक-दूसरे से मिलेंगे और अगर कोई बच्चा संक्रमित (Infected)  रहता है तो वह दूसरे बच्चों को भी संक्रमित करेगा। ऐसे में अभी छोटे बच्चों के स्कूल नहीं खोलना चाहिए।


देश में कोरोना (Corona) की तीसरी लहर ने दस्तक दे दी है और दक्षिण भारत के राज्यों में इसके मरीज लगातार मिल रहे हैं। केरल (Kerala) में तो रिकार्ड मरीज (Record patients) मिल रहे हैं। बावजूद इसके आज से मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में छठी से आठवीं तक के निजी और सरकारी स्कूलों (Government Schools)  को खोलने के आदेश दिए गए हैं। इसके पहले 9वीं से 12वीं तक के स्कूल भी खोल दिए गए हैं, लेकिन वहां विद्यार्थियों की उपस्थिति न के बराबर है। आज इंदौर में स्कूल तो खुले, लेकिन कोरोना के डर के कारण अधिकांश पालकों ने अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजा। इसी को लेकर वर्मा ने कहा कि अभी लोग डरे हुए हंै और बच्चों को स्कूल में बुलाना उनके स्वास्थ्य से खिलवाड़ करना है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chauhan) जब पिछली बार इन्दौर आए थे तो उन्होंने कहा था कि वे कोरोना (Corona)  की तीसरी लहर के कारण स्वागत नहीं करवाएंगे और न ही मंच लगने देंगे, फिर ऐसे में स्कूल खोलना कहां की समझदारी हैं? एक अनौपचारिक चर्चा में उन्होंने कहा कि स्कूल खोलने के पहले चिकित्सकों और वैज्ञानिकों की राय लेना थी, क्योंकि वैज्ञानिक पहले ही कह चुके हैं कि कोरोना (Corona) की तीसरी लहर (Third wave) बच्चों के लिए घातक साबित होगी। वर्मा ने मॉब लिचिंग जैसी घटनाओं पर कहा कि आरएसएस और भाजपा की चालों से बचना चाहिए, नहीं तो एक बार फिर देश के दो टुकड़े हो जाएंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा के लोगों से कहा जाता है कि कैसे शब्दों को उछालों और इन शब्दों के जरिये लोगों को भ्रमित करो। साथ ही उन्होंने कहा कि प्रदेश में कोई भी अधिकारी आम जनता की बात नहीं सुनता है।

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