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कोरोना : सावधानी ही बचाव

– सुरेश हिंदुस्थानी

वर्तमान में यह स्पष्ट तौर पर परिलक्षित हो रहा है कि विश्व में मानवीय विकास के नाम पर जो कुछ भी हो रहा है, वह मानव जीवन के लिए खतरे की घंटी है। आज कहने के लिए विश्व ने विकास तो किया है, लेकिन अपने लिए कई प्रकार की समस्याएं भी निर्मित की हैं। जीवन की भागदौड़ के चलते हमारा ध्यान स्वयं के प्रति केंद्रित होता जा रहा है। मात्र आर्थिक समृद्धि के लिए व्यक्ति बेईमानी तक करने पर उतारू हो गया है। और समाज भी जल्दी प्राप्त करने की मानसिकता के चलते इन वस्तुओं को स्वीकार करने लगा है। वास्तव में सारी समस्याओं का मूल यही है कि हम जाने अनजाने में जिस प्रकार की गलतियां कर रहे हैं, उससे समाज जीवन पर विनाशकारी प्रभाव हो रहा है। कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर भी इसी प्रकार की स्थिति को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।

पिछले दो वर्षों से कोरोना का दंश विश्व के सभी देशों ने झेला है। इसको रोकने को लेकर कई प्रकार के दिशा-निर्देश भी दिए गए, इसके बाद भी कोरोना वायरस ने अपना दुष्प्रभाव छोड़ा। कोरोना वायरस की प्रथम और दूसरी लहर के चलते जिस प्रकार की स्थिति निर्मित हुई, उसके कारण आज भी भय का वातावरण बना हुआ है। कोरोना की दूसरी लहर के दौरान जिस प्रकार के भय का वातावरण निर्मित किया गया, उसके कारण कई लोग अपनों से इतने दूर हो गए कि उनके अपने ही उनके पास तक नहीं जा रहे थे। इस प्रकार के भ्रम के वातावरण बनाने में हमारा समाज ही जिम्मेदार है। अब कोरोना वायरस के नए प्रकार की चर्चा होने लगी है। विश्व के कुछ देशों में इसे लेकर गंभीर चिंता भी होने लगी है। यह चिंता जायज भी है, क्योंकि जब मानव जीवन प्रभावित होता है तो उस देश की गतिविधियों पर भी व्यापक असर होता है। व्यापारिक संस्थानों में कार्य करने के लिए जिस मानवीय शक्ति की आवश्यकता होती है, उसका अभाव होने लगता है। इस कारण पर्याप्त उत्पादन भी नहीं होता और देश की आर्थिक स्थिति पर भी प्रभाव होता है। इसलिए कोरोना वायरस के प्रति केवल एक देश ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व को गहनता से मंथन करने की आवश्यकता है।

यह बात सही है कि किसी भी कार्य में लापरवाही का परिणाम सदैव घातक होता है। कोरोना वायरस के संक्रमण के दौरान की गई लापरवाही जहां व्यक्तिगत जीवन के लिए हानिकारक होती है, वहीं सामूहिक जीवन के लिए भी विनाशकारी हो सकती है, इसलिए हमें व्यक्तिगत चिंता के साथ सामाजिक रक्षा की दिशा में भी सक्रिय होकर चिंता करने की आवश्यकता है। हालांकि इस दिशा में भारत सरकार ने प्रभावी नियंत्रण की नीति अपनाते हुए कठोर कदम उठाने प्रारंभ कर दिए हैं, लेकिन अब इस दिशा में आम जनता को भी सोचने और विचार करने की पहल करनी होगी। तीसरी लहर के आने से पहले ही सचेत होने और समाज को सचेत करने की बहुत आवश्यकता है।

कोरोना का नया वायरस कितना प्रभाव छोड़ेगा, इसका आकलन अभी संभव नहीं है, लेकिन पिछले दो बार के अनुभव इसका आभास कराने के लिए काफी हैं। ये दोनों समय के अनुभव किसी भी प्रकार से ठीक नहीं माने जा सकते। अच्छी बात यह है कि नए वायरस ओमीक्रोन के मामले भारत में नहीं हैं, इस बात की पुष्टि भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने की है, लेकिन यह वायरस दक्षिण अफ्रीका से अब तक लगभग 16 देशों में प्रसारित हो चुका है। जापान और आस्ट्रेलिया जैसे देश इसकी चपेट में आ चुके हैं। अमेरिका जैसे समृद्ध देश तीसरी लहर की चपेट में आ चुके हैं। इसको देखते हुए महाराष्ट्र के मुंबई में जो विद्यालय खुलने वाले थे, उनका प्रतिबंध 15 दिन के लिए और बढ़ा दिया है। वहीं, दक्षिण अफ्रीका से आने वाले व्यक्तियों पर विशेष दृष्टि रखी जा रही है। इसको लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी चेतावनी जारी करते हुए इस वायरस को विश्व के लिए सर्वाधिक खतरनाक बताया है। इसलिए इसे लेकर अभी से सावधान होने की आवश्यकता है।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

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