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Corona Vaccine: बनने के करीब है 10 वैक्सीन, आखिरी ट्रायल की चुनौती


नई दिल्ली। कोरोना वायरस महामारी के लिए वैक्‍सीन की खोज अब अंत‍िम चरण में है। ताजा अपडेट यह है कि दुनियाभर में 10 वैक्‍सीन कैंडिडेट ऐसे हैं जो फेज 3 यानी आखिरी चरण के क्लिनिकल ट्रायल में पहुंच चुके हैं। हालांकि इसके साथ ही वैक्‍सीन को जल्‍द से जल्‍द लॉन्‍च करने का शोर भी धीमा पड़ रहा है। दो-महीने महीने तक जो कंपनियां 2020 के आखिर तक वैक्‍सीन लॉन्‍च करने का दावा कर रही थीं, उन्‍होंने तारीखें बदलनी शुरू कर दी हैं। अब 2021 की पहली और दूसरी तिमाही तक का वक्‍त दिया जा रहा है। ट्रायल के अंतिम दौर में पहुंचने के बाद भी वैक्‍सीन आने में इतना वक्‍त क्‍यों लगेगा? इस सवाल का जवाब और वो टॉप 10 वैक्‍सीन कौन सी हैं, जो फेज 3 ट्रायल में हैं, आइए जानते हैं।

क्‍या होता है फेज 3 ट्रायल? आगे का रास्‍ता क्‍या?
आम जनता के लिए उतारने से पहले किसी भी वैक्‍सीन का कई चरणों में ट्रायल होता है। यह ट्रायल वैक्‍सीन के असर और उसकी सुरक्षा को जांचने के लिए होता है। सबसे पहले वैक्‍सीन प्री-क्लिनिकल एनालिस‍िस से गुजरती है। इसमें वैक्‍सीन के अलग-अलग पहलुओं को देखा जाता है। यहां से क्लियर होने के बाद वैक्‍सीन को जानवरों पर टेस्‍ट किया जाता है। इसकी रिपोर्ट ठीक आने पर वैक्‍सीन को इंसानों पर ट्रायल की परमिशन मिल जाती है। इसके तीन चरण होते हैं।

फेज 1: बहुत छोटे समूह को वैक्‍सीन की डोज दी जाती है। मकसद वैक्‍सीन के असर और सेफ्टी का शुरुआती आंकलन करना होता है।

फेज 2: कुछ दर्जन से लेकर कुछ सौ लोगों पर ट्रायल होता है। यह चरण वैक्‍सीन की प्रभावोत्‍पादकता और सेफ्टी के अलावा साइड इफेक्‍ट्स पर नजर रखने के लिए होता है।

फेज 3: पहले दोनों ट्रायल सफल रहने के बाद, आखिरी दौर के ट्रायल की मंजूरी मिलती है। यह ट्रायल काफी बड़े पैमाने पर होता है और इसमें कई हजार पार्टिसिपेंट्स होते हैं। इस ट्रायल में अलग-अलग नस्‍ल, उम्र, लिंग और भौगोलिक इलाकों के लोगों को वैक्‍सीन देकर यह देखा जाता है कि ग्‍लोबल लेवल पर वैक्‍सीन यूज हो सकती है या नहीं। चूंकि इस ट्रायल का सैंपल साइज सबसे बड़ा होता है इसलिए इसके नतीजों पर काफी कुछ निर्भर करता है।

एक बार सभी ट्रायल हो जाएं तो उसका डेटा ड्रग रेगुलेटर के पास भेजा जाता है। वह वैक्‍सीन कितनी कारगर है, सेफ है या नहीं, यह सब तय करने के बाद वैक्‍सीन को मार्केटिंग और डिस्‍ट्रीब्‍यूशन की परमिशन दे देते हैं। आमतौर पर एक वैक्‍सीन को पूरी तरह बाजार में आने में सालों लगते हैं मगर कोरोना के चलते वैज्ञानिकों ने इसे महीनों में बदल दिया है।

ऑक्‍सफर्ड-एस्‍ट्रोजेनेका की वैक्‍सीन से सबसे ज्‍यादा उम्‍मीदें
ऑक्‍सफर्ड यूनिवर्सिटी और फार्मा कंपनी एस्‍ट्राजेनेका ने मिलकर कोरोना की वैक्‍सीन बनाई है। ChAdOx1-S टाइप वैक्‍सीन कैंडिडेट फिलहाल कई देशों में फेज 3 ट्रायल्‍स से गुजर रही है। इस वैक्‍सीन को पाने की कोशिश में दुनिया के कई देश लगे हुए हैं। एस्‍ट्राजेनेका से कई सरकारों ने करोड़ों डोज का सौदा किया है। भारत में यह वैक्‍सीन सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया के जरिए उपलब्‍ध होगी जिसने एस्‍ट्राजेनेका से 100 करोड़ डोज का करार किया है।

चीन की चार कोरोना वैक्‍सीन फेज 3 ट्रायल में
कोरोना का पहला मामला चीन के वुहान से सामने आया था। वहां पर महामारी को कुछ ही महीनों में कंट्रोल कर लिया गया। वर्ल्‍ड हेल्‍थ ऑर्गनाइजेशन के अनुसार, चीन की 4 कोरोना वैक्‍सीन ऐसी हैं जो फेज 3 ट्रायल में हैं। इनमें Sinovac, Wuhan Institute of Biological Products/Sinopharm, Beijing Institute of Biological Products/Sinopharm और CanSino Biological Inc./Beijing Institute of Biotechnology की वैक्‍सीन शामिल है।

मॉडर्ना और फाइजर की वैक्‍सीन भी ऐडवांस्‍ड स्‍टेज में
चीन और यूनाइटेड किंगडम के अलावा अमेरिकी कंपनियां भी वैक्‍सीन तैयार कर रही हैं। मॉडर्ना ने RNA आधारित वैक्‍सीन बनाई है जो फेज 3 ट्रायल में है। इसे अमेरिकी सरकार से फंडिंग भी मिली है। इसके अलावा फाइजर ने भी जर्मन कंपनी बायोएनटेक के साथ मिलकर कोरोना वैक्‍सीन बनाई है, वह भी फेज 3 ट्रायल से गुजर रही है।

रूसी वैक्‍सीन Sputnik V का अप्रूवल के बाद हो रहा ट्रायल
मॉस्‍को के गामलेया इंस्टिट्यूट की बनाई वैक्‍सीन Sputnik V का कई देशों में फेज 3 ट्रायल चल रहा है। रूस ने इस वैक्‍सीन को इस्‍तेमाल करने की मंजूरी अगस्‍त में ही दे दी थी। लेकिन बाकी देश इसकी सेफ्टी को लेकर चिंतित थे जिसके बाद रिसर्चर्स ने बड़े पैमाने पर फेज 3 ट्रायल्‍स का फैसला किया।

Novavax का टीका भी आखिरी दौर में
अमेरिकी कंपनी नोवावैक्‍स की कोरोना वैक्‍सीन भी फेज 3 ट्रायल से गुजर रही है। इसमें वैक्‍सीन एडजुवेंट भी मिलाया गया है। इसके अलावा जॉनसन ऐंड जॉनसन की वैक्‍सीन भी आखिरी चरण के ट्रायल में है।

हर वैक्‍सीन की लगेगी दो-दो डोज
कोरोना की जिन 10 वैक्‍सीन के बारे में हमने आपको बताया, वे सभी डबल डोज वाली हैं। यानी जब वे बाजार में उपलब्‍ध होंगी तो उनके दो टीके लगेंगे। कुछ टीके 14 दिन के अंतर पर लगने हैं तो कुछ 21 दिन या 28 दिन। मसलन Sinovac का पहला टीका लगने के बाद दूसरा 14वें दिन लगेगा। जबकि ऑक्‍सफर्ड वाला टीका 28 दिन के अंतर पर लगेगा।

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