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इस डॉक्टर के देशी इलाज से जड़ से खत्म होगा कोरोना, सैकड़ों गंभीर मरीजों को किया ठीक

नई दिल्ली। कोरोना (corona) ने पिछले तीन साल से दुनिया भर में कोहराम मचाया हुआ है. अब तक इसे ठीक करने का कोई फूलप्रूफ तरीका ईजाद नहीं (No foolproof method invented) हुआ है, लेकिन देश के एक डॉक्टर ने इसे पूरी तरह से ठीक करने का दावा किया है. न सिर्फ ठीक करने का दावा किया है बल्कि खुद के खोजे गए तरीके से हजारों लोगों को कोरोना से ठीक भी किया है. इतना ही नहीं डॉक्टर द्वारा खोजे गए इस तरीके को इंटरनेशनल जर्नल में भी जगह मिली है. दरअसल, महाराष्ट्र में महाड़ के डॉ. हिम्मतराव भवासकर (Dr Himmatrao Bawaskar) ने पहले से मौजूद सिंथेटिक मेथिलीन ब्लू (methylene blue) को सूंघाकर कोरोना से गंभीर रूप से पीड़ित हजारों मरीजों को ठीक किया है. बड़ी बात यह है कि जो मरीज एंटीवायरल दवाइयों से ठीक नहीं हुए थे, वहीं मरीज डॉ. हिम्मतराव भवासकर के पास आए थे।


डॉ. हिम्मतराव भवासकर ख्यातिप्राप्त डॉक्टर हैं. बिच्छू और सांप काटने के इलाज में डॉ. भवासकर को वैश्विक पहचान मिली हुई है। एक खबर के मुताबिक डॉ. भवासकर ने कहा, ‘कोरोना की पहली लहर के दौरान 2020 में ही एक्यूट रिस्पाइरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम से पीड़ित मरीजों को मेथिलीन ब्लू सूंघाकर ठीक किया. ये लोग पहले कोरोना की एंटी वायरल दवा remdesivir, favipiravir and tocilizumab आदि ले चुके थे, लेकिन इन दवाइयों से ये ठीक नहीं हुए।

एक भी मरीज की मौत नहीं
डॉ. हिम्मतराव भवासकर ने कहा, ‘2021 में भी दूसरी लहर के दौरान मैंने 200 से ज्यादा कोरोना के मरीजों को इससे ठीक किया है. इनमें कुछ कोरोना से गंभीर रूप से पीड़ित थे.’ डॉ. भवासकर का यह काम जर्नल ऑफ फैमिली मेडिसिन एंड प्राइमरी केयर (‘Journal of Family Medicine and Primary Care’ on Friday) में प्रकाशित हुआ है. रिसर्च पेपर में दावा किया गया है जिन मरीजों को मेथिलीन ब्लू सूंघाया गया, उनमें से एक भी मरीज की मौत नहीं हुई।

क्या होता है मिथेलिन
मेथिलीन ब्लू एक प्रकार का क्लोराइड साल्ट होता है। आमतौर पर इसका डाई में इस्तेमाल किया जाता है. यह एंटीऑक्सीडेंट, एंटीमलेरियल, एंटीऑक्सीडेंट, एंटीडिप्रेसेंट और कार्डियोप्रोडक्टिव होता है. मलेरिया की दवा हाइड्रोक्लोरोक्विन (hydro chloroquine) और एंटीपारासाइटिक आइवरमेक्टिन में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। इसकी कीमत भी बहुत कम होती है. 10 रुपये में 5 एमएल मेथिलीन ब्लू मिल जाता है। हमारे देश में सदियों से मिथेलिन ब्लू का इस्तेमाल कई बीमारियों में किया जाता है, लेकिन ज्यादा मात्रा में लेने से यह जहर की तरह काम करने लगता है।

कैसे काम करता मिथेलिन ब्लू
जब कोरोना का गंभीर असर शरीर में शुरू होता है तब शरीर की कोशिका में साइटोकिने का अटैक होने लगता है. इसमें एक तरह से कोशिका पर गलत असर पड़ता है. शरीर में मौजूद इम्यून सिस्टम अपने ही शरीर की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाने लगता है. डॉ. भवासकर कहते हैं, ‘साइटोकाइने में ब्रेडिकिनीन (Bradykinin) महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है. मिथेलिन ब्लू ब्रेडिकिनीन को न्यूट्रलाइज कर देता है।’

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