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    कोरोना का डेल्टा स्ट्रेन और ज्‍यादा खतरनाक, मरीजों में सुनने की क्षमता हो रही कमजोर

  • June 09, 2021


    कोरोना की दूसरी लहर भारत के लिए विनाशकारी साबित हुई है. कोरोना के मरीजों को कई तरह के साइड इफेक्ट का भी सामना करना पड़ रहा है। हालांकि, डॉक्टर अब कोरोना के डेल्टा स्ट्रेन के खतरे को और जानने की कोशिश कर रहे हैं। डॉक्टर्स का कहना है कि डेल्टा स्ट्रेन (delta strain) से संक्रमित कोरोना के मरीजों में सुनने की क्षमता का कमजोर होना, पेट की गड़बड़ी, ब्लड क्लॉट, गैंग्रीन जैसे लक्षण (symptoms) देखे जा रहे हैं। अब तक ये लक्षण आमतौर पर कोरोना के मरीजों में नहीं देखे जा रहे थे।

    इंग्लैंड और स्कॉटलैंड के शुरुआती आंकड़े बताते हैं कि कोरोना के इस स्ट्रेन में अस्पताल में भर्ती होने का खतरा ज्यादा है। डेल्टा स्ट्रेन जिसे B.1.617.2 भी कहा जाता है, 60 से ज्यादा देशों में फैल चुका है। अन्य वेरिएंट्स की तुलना में डेल्टा का तेजी से फैलना और इस पर वैक्सीन (Vaccine) का कम प्रभावी साबित होना बताता है कि कोरोना का ये स्ट्रेन कितना खतरनाक है।

    चेन्नई के अपोलो अस्पताल के संक्रामक रोग चिकित्सक डॉक्टर अब्दुल गफूर ने एनडीटीवी से कहा, ‘हमें यह जानने के लिए और अधिक वैज्ञानिक शोध (scientific research) करने की जरूरत है कि अस्पताल में आ रहे नए मामले B.1.617 से संबंधित हैं या नहीं।’ डॉक्टर गफूर का कहना है कि महामारी की पहली लहर की तुलना में इस लहर में कोविड-19 के ज्यादातर मरीजों में डायरिया की शिकायत पाई जा रही है।



    डॉक्टर गफूर ने कहा, ‘पिछले साल हम लोगों को हम लोगों को लगा था कि हमने अपने नए दुश्मन के बारे में सब कुछ जान लिया है लेकिन अब ये बदल गया हैं। इस वायरस के बारे में अब कुछ भी अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है।’

    देश भर में मरीजों का इलाज कर रहे 6 डॉक्टरों के अनुसार कोरोना (corona) के कई मरीजों को पेट दर्द, मितली, उल्टी, भूख न लगना, सुनने की क्षमता कम होना और जोड़ों के दर्द की शिकायत हो रही है। पिछले महीने न्यू साउथ वेल्स यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं द्वारा की गई एक स्टडी में कहा गया कि बीटा और गामा वेरिएंट में ये लक्षण कम या फिर नहीं देखे गए हैं। आपको बता दें कि बीटा पहली बार दक्षिण अफ्रीका और गामा वेरिएंट ब्राजील (Brazil)में पाया गया था।

    मुंबई के हृदय रोग विशेषज्ञ गणेश मनुधाने का कहना है कि कुछ मरीजों में माइक्रो थ्रोम्बी या खून के छोटे थक्के बन रहे हैं। ये इतने गंभीर हो रहे हैं कि ये प्रभावित ऊतकों को मार रहे हैं और इससे गैंग्रीन की बीमारी हो रही है। डॉक्टर मनुधाने ने पिछले दो महीनों में सेवन हिल्स अस्पताल में थ्रोम्बोटिक (thrombotic) के आठ मरीजों का इलाज किया है। इसकी वजह से दो मरीजों की उंगलियों या पैर भी काटने पड़े। डॉक्टर मनुधाने ने कहा, ‘मैंने पिछले साल इस तरह के तीन-चार मामले देखे थे लेकिन अब हर सप्ताह एक मरीज इस बीमारी के साथ आ रहा है।’

    भारत सरकार पैनल की हालिया स्टडी के अनुसार, भारत में कोरोना की दूसरी जानलेवा लहर के पीछे डेल्टा वेरिएंट ही जिम्मेदार है। ये UK में पाए गए अल्फा स्ट्रेन से 50 फीसद ज्यादा संक्रामक है। कोरोना के कई मरीजों में तरह-तरह की जटिलताएं देखी जा रही हैं। डॉक्टर मनुधाने का कहना है कि वो हर तरह के उम्र के लोगों में ब्लड क्लॉटिंग देख रहे हैं जबकि इनमें पहले से ऐसी कोई हिस्ट्री नहीं रही है।

    मुंबई (Mumbai) के किंग एडवर्ड मेमोरियल अस्पताल में कान, नाक और गले की सर्जन हेतल मारफतिया का कहना है कि कोरोना के कुछ मरीज बहरेपन, गर्दन के आसपास सूजन और गंभीर टॉन्सिलिटिस (tonsillitis) की शिकायत लेकर आ रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘हर व्यक्ति में अलग-अलग लक्षण देखे जा रहे हैं।’

    हैदराबाद में यशोदा ग्रुप हॉस्पिटल के बाल रोग विशेषज्ञ चेतन मुंडाडा का कहना है कि भारत में मौजूदा महामारी का सबसे खतरनाक पहलू इसका तेजी से फैलना है। बच्चों में भी ये वायरस तेजी से फैल रहा है। वहीं डॉक्टर गफूर का कहना है कि इस लहर में डेल्टा वेरिएंट से पूरा-पूरा परिवार संक्रमित हो जा रहा है जबकि पिछले साल ऐसा नहीं था।

    भारत (India) में अब डेल्टा वेरिएंट से कोरोना संक्रमण के मामले कम हो रहे हैं लेकिन अब ये ताइवान, सिंगापुर और वियतनाम जैसे देशों में कहर बरपा रहा है। इन जगहों पर अब बड़े पैमाने पर टीकाकरण (vaccination) किया जा रहा है। हालांकि इस बात के भी सबूत मिल रहे हैं कि डेल्टा वेरिएंट वैक्सीन से बनने वाली एंटीबॉडी से बचने में माहिर हो सकता है। इसकी वजह से दवा कंपनियों पर मौजूदा वैक्सीन को बदलने या नई वैक्सीन बनाने का भी दबाव है।

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