विदेश

पाकिस्तान को कहीं भारी न पड़ जाए CPEC! एक हफ्ते से जारी हैं विरोध प्रदर्शन

कराची: पाकिस्तान (Pakistan) में चीन (China) के सहयोग से बनाए जा रहे CPEC प्रोजेक्ट को लगातार बलोचिस्तान में विरोध का सामना करना पड़ रहा है. इस प्रोजेक्ट के खिलाफ लोग जगह-जगह सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन कर रहे हैं.

अपनी जमीन-रोजगार छिनने का डर
‘जंग’ अखबार के अनुसार बलोचिस्तान के लोग CPEC प्रोजेक्ट की सुरक्षा के नाम पर इलाके में बनी अनाश्यक सुरक्षा चौकियों को हटाने, पेयजल- बिजली उपलब्ध कराने, मकरान तट से मछली पकड़ने वाली बड़ी बोट हटाने और पंजगुर से ग्वादर तक ईरान सीमा खोलने की मांग कर रहे हैं. इसके लिए लोगों ने मौलाना हिदायत उर रहमान के नेतृत्व में रविवार को ग्वादर में बड़ी रैली निकाली.

रहमान ने कहा कि जब तक मांगें मान नहीं ली जातीं, तब तक प्रदर्शन जारी रहेगा. उन्होंने कहा कि सरकार इस क्षेत्र के लोगों की समस्याओं के समाधान के प्रति ईमानदार नहीं है. उन्होंने जगह-जगह चेकिंग पर नाराजगी जताते हुए कहा, ‘माटी के लाल के लिए यह अपमानजनक है कि चौकियों पर उन्हें रोका जाए और उनसे उनके ठिकानों के बारे में पूछा जाए.’


पिछले एक हफ्ते से बलोचिस्तान में प्रदर्शन
रिपोर्ट के मुताबिक पिछले एक सप्ताह से हजारों लोग ग्वादर में पोर्ट रोड के वाई चौक पर प्रदर्शन के लिए जुट रहे हैं. ग्वादर पाकिस्तान (Pakistan) के अशांत दक्षिण पश्चिमी बलूचिस्तान प्रांत का तटीय शहर है. वे लोग इलाके में चीन (China) के बढ़ते दखल और समुद्र में अपनी आजीविका व जमीन छिन जाने के डर से आशंकित हैं. इसलिए वे लगातार ग्वादर में प्रदर्शन कर रहे हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक चीन 60 अरब डॉलर की भारी-भरकम रकम से चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) बना रहा है. यह कॉरिडोर चीन के शिनजियांग को पीओके से होते हुए पाकिस्तान (Pakistan) में बलोचिस्तान के ग्वादर बंदरगाह को जोड़ेगा. इस प्रोजेक्ट के पूरा होने के बाद चीन बिना मलक्का स्ट्रेट में जाए, सीधे सड़क मार्ग से अपना माल अरब देशों में भेज सकेगा और वहां से कच्चा माल मंगा सकेगा.

भारत जता चुका प्रोजेक्ट पर आपत्ति
चूंकि यह कॉरिडोर पीओके से गुजर रहा है. इसलिए भारत इस परियोजना पर पहले ही आपत्ति जता चुका है और उसके इलाके में काम बंद करने की मांग की है. हालांकि चीन (China) और पाकिस्तान ने भारत की इस मांग पर कोई ध्यान नहीं दिया है और प्रोजेक्ट पर काम बदस्तूर जारी है. हालांकि अब पीओके और बलोचिस्तान के लोग ही अपनी आजीविका छिन जाने के डर से खुद इस प्रोजेक्ट के खिलाफ उठ खड़े हो रहे हैं.

‘डॉन’ अखबार के मुताबिक पाकिस्तान (Pakistan) के प्रशासन की प्राथमिकता ग्वादर इस बंदरगाह और उसके संबंधित हितों को पूरी तरह सुरक्षित करना है. उसके लिए स्थानीय लोगों का कल्याण कोई मायने नहीं रखता है. अखबार के मुताबिक यह बंदरगाह आर्थिक प्रशस्ति का अग्रदूत नहीं बना बल्कि उसके ठीक विपरीत हुआ है.

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