भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

दमोह फिर कलंकित, बालगृह में बच्ची का यौन शोषण

  • महिला एवं बाल विकास विभाग के अफसरों पर संस्था को बचाने के आरोप
  • राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग मुख्य सचिव को जारी करेगा नोटिस

भोपाल। दमोह के गंगा-जमना स्कूल में धर्मांतरण एवं अन्य गतिविधयों की जांच पूरी नहीं हुई, उससे पहले ही दमोह में अवैध रूप से संचालिक आधारशिला बालगृह में बच्ची के यौन शोषण का मामला सामने आया है। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने खुद इसका खुलासा किया है। उन्होंने आरोपी संस्था एवं उसके कर्मचारी को बचाने के लिए सरकारी कर्मचारी खासकर महिला एवं बाल विकास विभाग के दमोह जिला से लेकर प्रदेश स्तर तक के अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की टीम ने दमोह पहुंचकर पड़ताल शुरू कर दी है। इस संबंध में आयोग की ओर से मप्र के मुख्य सचिव को नोटिस जारी करने की तैयारी है।


जानकारी के अनुसार दमोह में संचालित आधारशिला बालगृह में 16 बच्चे रहते हैं। एक बच्ची के साथ संस्था के वार्डन डेनियल द्वारा यौन शोषण करने का मामला सामने आया है। आरोपी सरकारी छात्रावास में कर्मचारी भी है। वह पहले से संस्था में ही बच्ची के साथ यौन शोषण करता आ रहा है। उसकी पत्नी भी उसी संस्था में कर्मचारी थी, लेकिन उसे नौकरी से हटा दिया गया था। पुलिस के संज्ञान में यह मामला 21 मई को आया था, लेकिन कार्रवाई में देरी की, जबकि पॉस्को एक्ट में 24 घंटे के भीतर कार्रवाई की जाती है। राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य ओंकार सिंह ठाकुर ने रविवार को दमोह पहुंचकर बालगृह में यौन शोषण के मामले की सिलसिलेवार जांच की है। उन्होंने कहा कि आधारशिला संस्था का संचालन अजय लाल द्वारा किया जा रहा था। वह ईसाई है। उन्होंने आरोप लगाया कि बच्चों को धर्मांतरण की नीयत से रखा गया था। जिसमें एक बच्चा मुस्लिम भी है। अभी सभी बच्चों को बालगृह से बाल कल्याण समिति के पास भेज दिया है।

संस्था को बचाने में लगी पुलिस
आयोग के सदस्य ओंकार सिंह ठाकुर ने बताया कि यौन शोषण के मामले में संस्था खुद आरोपी है। जबकि पुलिस ने संस्था की ओर से कर्मचारी डेनियल के खिलाफ केस दर्ज करके संस्था को बचाने की कोशिश की है। यह मामला 21 मई को पुलिस के संज्ञान में था, लेकिन तब से दबाकर रखा गया था। संस्था के प्रमुख अजयलाल की ओर से शिकायत दर्ज करके संस्था को बचाया जा रहा है।

दमोह मामले में महिला एवं बाल विकास विभाग के जिले से लेकर प्रदेश स्तर तक के अधिकारी संस्था को बचाने में लगे हैं। जिला अधिकारी शालीन शर्मा की भूमिका संदिग्ध है। इस मामले में आयोज आज मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर रहा है।
प्रियंक कानूनगो, अध्यक्ष, राष्ट्रीय बाल अधिकार एवं संरक्षण आयोग

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