इंदौर न्यूज़ (Indore News)

गर्भवतियों का डाटा बैंक बनेगा, कार्यकर्ताओं पर रहेगी नजर

इंदौर संभाग की बाल मृत्यु दर की समीक्षा
डिलेवरी डेट नजदीक आते ही होगी काउंसलिंग
इंदौर।   जिले में कितनी महिलाएं (Women) गर्भवती (Pregnant) है…कितनों की प्रसव की तारीख नजदीक है…कितनी महिलाएं धात्री हैं…का डाटा बेस (Data base) तैयार किया जाएगा। संभाग में बाल मृत्यु दर (Child mortality) पर लगाम लगाने के लिए झाबुआ (Jhabua) में संभाग स्तरीय समीक्षा बैठक आयोजित की गई। आशा (Asha) व एएनएम कार्यकर्ताओं (ANM workers)  की कार्यप्रणाली पर नजर रखने व ट्रेनिंग देने के निर्णय लिए गए।
विभिन्न योजनाएं चलाने और पोषण आहार वितरण किए जाने के बावजूद भी बाल मृत्युदर के आंकड़ों में कमी नहीं आ रही है। इन्दौर जिले सहित झाबुआ, अलीराजपुर, बुरहानपुर, बड़वानी, खरगोन, खंडवा से लिए गए 9 बच्चों की मृत्यु के मामलों की समीक्षा में एएनएम और आशा कार्यकर्ताओं की लापरवाही और जागरूकता की कमी का मुख्य कारण सामने आया है। तीन मामले अस्पताल में डिलेवरी के बाद बच्चे की मौत के थे, वहीं बाकी के मामले में बच्चों का जन्म अन्य निजी अस्पतालों व घर में हुआ था, जिसके चलते बच्चों को नहीं बचाया जा सका, लेकिन समीक्षा के दौरान आशा कार्यकर्ताओं द्वारा गर्भवती महिलाओं की काउंसलिंग नहीं करने की बात भी सामने आई।


दो दिन में लिए निर्णय
दो दिवसीय संभाग स्तरीय समीक्षा बैठक में प्रत्येक जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, टीकाकरण अधिकारी, सिविल सर्जन, एसएनसीयू प्रभारी, जिला कार्यक्रम प्रबंधक, जिला कम्युनिटी मोबिलाइजर, डाटा एंट्री आपरेटर, नर्सिंग आफिसर, स्त्री रोग विशेषज्ञ तक को तलब किया गया। ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्र के मामलों की समीक्षा में हालांकि उच्च अधिकारियों ने बाल मृत्यु दर के आकंडों का ठीकरा कार्यकर्ताओं के माथे फोड़ दिया और इतिश्री कर दी। कई मामलों में डाक्टरों की घोर लापरवाही भी सामने आई है। ज्ञात हो कि महू क्षेत्र में हाल ही में निजी अस्पताल में डिलेवरी के दौरान नाल में गर्दन फंसने से बच्चे की मौत का मामला सामने आया था, जिसकी जांच स्वास्थ्य विभाग को ही सौंपी गई है।


घर-घर से लेंगे जानकारी
समीक्षा बैठक में पहुंचे सिविल सर्जन व अधीक्षक जिला चिकित्सालय डॉ. प्रदीप गोयल ने बताया कि गर्भवती महिलाओं का डाटा बैंक तैयार किया जाएगा। जिन गर्भवती महिलाओं की प्रसव डेट नजदीक है, उनके लिए काउंसलिंग सेशन आयोजित किए जाएंगे। आशा कार्यकर्ताओं के माध्यम से अस्पताल में डिलेवरी करवाने से लेकर प्रथम फिडिंग और गर्भ अवस्था के दौरान पोषण आहार लेना भी सिखाया जाएगा, जिसके लिए उन महिलाओं की जानकारी एकत्रित व साझा की जाएगी, जो गर्भवती हैं या बच्चे को जन्म देने वाली हैं।

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