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दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर का बैलास्टलेस ट्रैक होगा आधुनिक और स्वदेशी

गाजियाबाद । दिल्ली-गाज़ियाबाद-मेरठ के बीच बन रहे देश के पहले रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) में कई ऐसी तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है जो देश में पहले नहीं थी। इनमें से एक है इसका बैलास्टलेस ट्रैक, जो पूरी तरह से आधुनिक और स्वदेशी होगा। 180 किमी प्रति घंटा की गति को ध्यान में रखकर ख़ास बैलास्टलेस ट्रैक का इस्तेमाल किया जाएगा। ऐसी उच्च गति के लिए उपयुक्त बैलास्टलेस ट्रैक तकनीक वर्तमान में देश में उपलब्ध नहीं है। इसी कड़ी में कॉरिडोर के ट्रैक स्लैब फैक्ट्री का निर्माण शताब्दी नगर कास्टिंग यार्ड में शुरू हो गया है और यह 180 दिन के अंदर बनकर तैयार हो जाएगी।

एनसीआरटीसी के पीआरओ सुधीर शर्मा ने बताया कि आरआरटीएस के ट्रैक उच्च क्षमता और उच्च गति के अनुरूप होंगे और इन्हे कम मेंटेनेंस की जरूरत होगी, जिससे इनके रख-रखाव में काफी कम खर्च आएगा। उन्होंने बताया कि साहिबाबाद से दुहाई के बीच के 17 किमी लंबे प्राथमिक खंड पर 2023 से और पूरे कॉरिडोर पर 2025 से परिचालन शुरू करने के उद्देश्य से इस फैक्ट्री में ट्रैक स्लैब का निर्माण किया जाएगा। आत्मनिर्भर भारत के विज़न को साकार करने की दिशा में कदम उठाते हुए एनसीआरटीसी ने आरआरटीएस में इस्तेमाल होने वाले बैलास्टलेस ट्रैक को बनाने की तकनीक का स्वदेशीकरण कर लिया है।

शर्मा ने बताया कि मेरठ शहर के अंदर फ़ाउंडेशन निर्माण का कार्य भी शुरू हो गया है। भारत का पहला आरआरटीएस कॉरिडोर दिल्ली, गाजियाबाद, दुहाई और मोदी नगर से होते हुये मेरठ को जोड़ेगा। 82 किमी लंबा यह कॉरिडोर एक घंटे से भी कम समय में मेरठ से दिल्ली की यात्रा को संभव बनाएगा। पूरे कॉरिडोर पर निर्माण कार्य तीव्र गति से चल रहा है। प्राथमिक खंड के चारों स्टेशनों – साहिबाबाद, ग़ाज़ियाबाद, गुलधर और दुहाई का निर्माण पहले से ही प्रगति पर था और बुधवार को दुहाई डिपो का भी निर्माण शुरू कर दिया गया है। अब तक 3650 से अधिक पिलर के नींव और 300 से अधिक पिलर बन चुके है। साथ ही प्राथमिक ट्रैक के लिए वायाडक्ट का निर्माण 6 गैन्ट्री की मदद से 24 घंटे चल रहा है। जल्द ही दो और नए गैन्ट्री के साथ कुल 8 लॉन्चिंग गैन्ट्री से वायाडक्ट का निर्माण होता दिखेगा। कॉरिडोर के सभी सिस्टम और सब-सिस्टम कांट्रैक्ट अवार्ड किए जा चुके है और इनपर काम चल रहा है। शर्मा ने बताया कि आरआरटीएस रोलिंग स्टॉक का निर्माण भी पूर्णतः भारत में ही बम्बार्डियर इंडिया के गुजरात स्थित सावली प्लांट में हो रहा है।

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