- गन्ना के सजेंगे मंडप, पूजा-अर्चना के साथ आतिशबाजी भी होगी
भोपाल। राजधानी में आज देवउठनी ग्यारस पर्व मनाया जा रहा है। घर-घर मंडप सजाकर तुलसी व शालिगराम का विवाह किया जाएगा। इसके साथ ही भगवान लक्ष्मीनारायण को क्षीर सागर से उठाने की रस्म की जाएगी।
वहीं नववर्ष में 89 दिन विवाह समारोह की शुभ तिथियां रहेंगी। पंडित रामजीवन दुबे ने बताया कि देवउठनी ग्यारस पर गौधूलि बेला में मंडप सजाकर भगवान को जगाने की रस्म की जाती है। सुंदर रंगोली सजाकर अपने आंगन या चौक में गन्नो का मंडप सजाया जाता है। इसके बाद तुलसी का पौधा व भगवान शालिगराम की प्रतिमा रखकर भगवान लक्ष्मीनारायण को क्षीर सागर से उठाया जाता है। उनके स्वागत में देवउठनी एकादशी मनाई जाती है। इसी दिन से मांगलिक कार्यों का शुभारंभ हो जाता है। 10 जुलाई देवशयनी एकादशी से चार माह से शादियों पर विराम है।
दीपावली के बाद चार नवंबर को देवउठनी एकादशी मनाई जाएगी। शुक्र अस्त होने के कारण देवउठनी एकादशी चार नवंबर से शादी के मुहूर्त नहीं रहेंगे। शादियों की शुभ तिथि दो अक्टूबर से शुक्र का तारा अस्त होने के कारण नहीं होगी। शुक्र का तारा 20 नवंबर को उदय होगा। नवंबर में शादियों की शुभ तिथि 26 से शुरू होगी। इस वर्ष नवंबर-दिसंबर में 12 दिन शादियां होंगी। 16 से दिसंबर से खरमास शुरू हो जाएगा। इस दौरान शादियां बंद रहेंगी। नए साल में शादियों की शुरुआत 14 जनवरी मकर संक्रांति के बाद होगी। 15 मार्च से 14 अप्रैल तक मीन के सूर्य खरमास के कारण शादियां बंद रहेंगी। देवशयनी एकादशी 29 जून से देवउठनी एकादशी 23 नवंबर तक चार माह के लिए फिर शादियां बंद हो जाएंगी।
Share: