हिंदु धर्म में धार्मिक त्यौहारों (religious festivals) का विशेष महत्व है हर एक धार्मिक पर्व बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। आज यानि 4 नंबवर को पूरे देश में दिवाली का पर्व मनाया जाएगा। रोशनी के इस पर्व को खुशियों का पर्व भी कहा जाता है। दीपावली भारत देश का सबसे बड़ा तथा प्राचीन हिन्दू त्योहार है तथा दीपावली (Diwali) को दीपपर्व भी कहते है, अर्थात दीपो तथा रौशनी का त्योहार। अध्यात्म के अनुसार यह अंधकार पर प्रकाश की विजय को दर्शाता है दिवाली पर लक्ष्मी जी की विशेष पूजा की जाती है। लक्ष्मी जी को सुख-समृद्धि (happiness and prosperity) की देवी कहा गया है। जीवन में जब लक्ष्मी जी कृपा प्राप्त होती है तो व्यक्ति का जीवन में संपन्नता आती है। लक्ष्मी जी को धन की देवी माना गया है। कलियुग में धन को एक प्रमुख साधन माना गया है।
दिवाली का महत्व
दिवाली का पर्व लक्ष्मी जी (Lakshmi ji) को समर्पित है। इस दिन लक्ष्मी जी की आरती, स्तुति आदि की जाती है। मान्यता है कि ऐसा करने से लक्ष्मी जी प्रसन्न होती हैं और धन से जुड़ी समस्याओं को दूर करती हैं। दिवाली का पर्व लक्ष्मी जी की पूजा के लिए सबसे उत्तम माना गया है। शुभ मुहूर्त और विधि पूर्वक पूजा (worship) करने से लक्ष्मी जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
दिवाली 2021 (Diwali 2021 Date)
पंचांग के अनुसार दिवाली का पर्व कार्तिक मास की अमावस्या (new moon) तिथि को मनाया जाता है। हिंदू कैंलेडर के अनुसार इस वर्ष कार्तिक अमावस्या 4 नवंबर 2021 को है। इस दिन चंद्रमा का गोचर तुला राशि में होगा।
दिवाली 2021, शुभ मुहूर्त (Diwali 2021)
दिवाली पर्व: 4 नवंबर, 2021, गुरुवार
अमावस्या तिथि का प्रारम्भ: 4 नवंबर 2021 को प्रात: 06:03 बजे से।
अमावस्या तिथि का समापन: 5 नवंबर 2021 को प्रात: 02:44 बजे तक।
लक्ष्मी पूजन मुहूर्त (Lakshmi Puja 2021 Date)
4 नवंबर 2021, गुरुवार, शाम 06 बजकर 09 मिनट से रात्रि 08 बजकर 20 मिनट
अवधि: 1 घंटे 55 मिनट
प्रदोष काल: 17:34:09 से 20:10:27 तक
वृषभ काल: 18:10:29 से 20:06:20 तक
दिवाली पर लक्ष्मी पूजन की विधि
दिवाली पर लक्ष्मी पूजन से पूर्व स्थान को शुद्ध और पवित्र करें। इसके बाद कलश को तिलक लगाकर स्थापित करें। कलश पूजन करें। हाथ में फूल, अक्षत और जल लेकर लक्ष्मी जी का ध्यान लगाएं। इसके बाद सभी चीजों को कलश पर चढ़ा दें। इसे पश्चात श्रीगणेश जी और लक्ष्मी जी पर भी पुष्प और अक्षत अर्पित चढ़ाएं। इसके उपरांत लक्ष्मी जी और गणेशजी की प्रतिमा को थाली में रखकर दूध, दही, शहद, तुलसी और गंगाजल के मिश्रण से स्नान कराएं। बाद में स्वच्छ जल से स्नान कराएं। इसके बाद लक्ष्मी जी और गणेशजी की मूर्ति को पुनः चौकी पर स्थापित करें। लक्ष्मी जी और गणेश जी को चंदन का तिलक लगाएं और पुष्प माला पहनाएं। खील-खिलौने, बताशे, मिष्ठान, फल, रुपये और स्वर्ण आभूषण रखें। इसके बाद गणेश जी और लक्ष्मी जी की कथा पढ़ें, आरती करें। पूजा समाप्त करने बाद प्रसाद वितरित करें। जरूरतमंद व्यक्तियों को दान दें।
नोट– उपरोक्त दी गई जानकारी व सूचना सामान्य उद्देश्य के लिए दी गई है। हम इसकी सत्यता की जांच का दावा नही करतें हैं यह जानकारी विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, धर्मग्रंथों, पंचाग आदि से ली गई है । इस उपयोग करने वाले की स्वयं की जिम्मेंदारी होगी ।
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