इंदौर न्यूज़ (Indore News)

टेस्टिंग प्रोटोकॉल को भी ताक पर रख डाला मुनक्का निर्माताओं ने

  • जांच में भांग का नशा, तीन साल तक रिकॉर्ड रखना है जरूरी, जिसके चलते भांग के अधिकांश सैम्पल भी हो गए फेल

इंदौर। भांग माफिया और मुनक्का निर्माताओं के गठजोड़ का भी खुलासा प्रशासन की हालिया जांच से हुआ है। भांग की वैध खपत से कई गुना ज्यादा मुनक्का बनाई जाती है, जिसके चलते गरीब तबके से लेकर युवा वर्ग नशे की चपेट में आ रहा है। 500 करोड़ तक का टर्नओवर मुनक्का निर्माताओं का बताया जाता है। प्रशासन को मिली जांच रिपोर्ट से यह भी पता चला कि इन मुनक्का निर्माताओं नो औषधि नियंत्रक आयुष भोपाल के नियमों को भी ताक पर रख दिया, जिसके चलते जो टेस्टिंग प्रोटोकॉल होता है, जिसमें प्रत्येक बैच के कंट्रोल सैम्पल को कम से कम तीन साल तक रखना पड़ता है। 11 मुनक्का निर्माताओं के लाइसेंस निरस्त किए गए हैं और सभी फर्मों को आबकारी विभाग ने नोटिस भी थमा दिए।

आयुर्वेदिक औषधि के नाम पर मुनक्का गोली बनाई जाती है, जिसमें भांग के साथ-साथ अन्य नशे के पदार्थ मिलाकर उसे बेचा जाता है। सस्ती होने के चलते रिक्शा चालक, सब्जी बेचने वाला या ऐसा ही अन्य मजदूर वर्ग नशे के लिए इन मुनक्का गोलियों का सेवन करता है और युवा वर्ग भी इसका उपयोग करने लगा। पिछले दिनों मुजाहिद उर्फ मंजूर खान को कलेक्टर ने रासुका में निरुद्ध किया और पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया और वह सेंट्रल जेल में फिलहाल बंद है। वहीं कलेक्टर मनीष सिंह ने सभी मुनक्का निर्माताओं के निर्माण इकाइयों की जांच के लिए संयुक्त जांच दल भी बनाया, जिसका जिम्मा अपर कलेक्टर अजय देव शर्मा को सौंपा गया।


उनके द्वारा जो जांच प्रतिवेदन सौंपा गया उसके आधार पर अब आबकारी विभाग के प्रभारी सहायक आयुक्त और अपर कलेक्टर राजेश राठौर ने सभी मुनक्का बनाने वाली इकाइयों को शोकाज नोटिस जारी किए हैं और उचित जवाब ना मिलने पर इनके भांग लाइसेंस के निलंबन और निरस्तीकरण की कार्रवाई भी शुरू की जाएगी। अपर कलेक्टर श्री शर्मा के मुताबिक जांच में यह पाया गया कि ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट के नियमों का भी पालन इन मुनक्का निर्माताओं ने नहीं किया। प्रत्येक निर्मित औषधि बैच का टेस्टिंग प्रोटोकॉल होता है, जिसके चलते तीन साल तक उसका रिकॉर्ड भी रखा जाना अनिवार्य है। मगर अधिकांश मुनक्का निर्माता इसका स्पष्ट उल्लंघन करते पाए गए। आबकारी विभाग द्वारा जारी एचडी-1ए लाइसेंस में जो निर्धारित पंजी प्रारुप क और ख होता है, उसके लेखे-जोखे में भी तमाम अनियमितताएं प्राप्त हुई है। मुनक्का बनाने के लिए कितनी भांग खरीदी, कितना उपयोग किया उसका भी सही रिकॉर्ड जांच में नहीं पाया गया।

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